30.5.21

तीन बकरियाँ



फसल कट चुकने के बाद

मालिक ने छोड़ दी

तीन बकरियाँ

खेत में

चरने के लिए


धूप में 

आगे-पीछे

देर तक चलते-चलते

न आया मुँह

किसी के

घास का एक तिनका


सबसे पीछे वाली ने

आगे चल रही दोनों बकरियों को 

उलाहना दिया..

मेरे हिस्से का भी खा लिया!

बीच वाली ने भी

स्वर में स्वर मिलाया..

मेरा भी!

आगे वाली ने माथा पीट लिया..

हाय!

जब बुरे दिन आते हैं

तो अपने भी

शक करने लगते हैं। 


अक्सर यही होता है

दूध

दुह लेने के बाद

छोड़े जाते हैं

बछड़े,

खेत काट लेने के बाद

छोड़ी जाती हैं

बकरियाँ।


अभाव में

एक दूसरे पर शक करते हुए

लड़ते/मरते रहते हैं

कमजोर प्राणी

समझ ही नहीं पाते

दूध 

कोई और दुह कर ले जाता है,

फसल

कोई और काट कर ले जाता है।

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29.5.21

सेवानिवृत्ति के दिन

मॉर्निंग वॉक के समय लॉन में शर्मा जी मिल गए। घूम घाम कर लौटे थे और बेंच पर, मुँह लटकाकर  विश्राम कर रहे थे। मैने पूछा...मुँह क्यों लटकाए हैं शर्मा जी? आपके तो तीन-तीन बेटे हैं, क्या हुआ?

बड़ा लड़का बहुत दुःखी रहता है। जब देखो तब पैसे मांगता रहता है। 

अच्छा! दूसरा वाला?

वह भी दुखी रहता है लेकिन कभी किसी से कुछ नहीं मांगता। स्वाभिमानी है। जितना कमाता है, उतने में ही गुजारा करता है।

गनीमत है और तीसरा? वो तो कमाने के लिए अमेरिका गया था न?

हाँ, वह बहुत खुश है। बचपन से बहुत तेज था। हर सप्ताह वीकेंड पर पत्नी के साथ पार्टी करता है, नई-नई जगह घूमने जाता है और फेसबुक, इंस्टाग्राम में खूबसूरत तस्वीरें पोस्ट करता है। 

तब तो खूब डॉलर भेजता होगा?

नहीं, कभी एक पैसा नहीं भेजा। मैने मांगा भी नहीं। कल  शाम ही तो उसका फोन आया था। पूछ रहा था, "पिताजी! आप रिटायर्ड हो जाएंगे तो ग्रेच्युटी, भविष्य निधि और सब मिलाकर कुल कितना मिल जाएगा? सोच रहा हूँ यहाँ एक मकान खरीद लूँ और आपको भी यहीं बुला लूँ। रिटायर्ड होने में अभी कितने दिन हैं?"

अरे!!!

कल बैंक गया था। मैनेजर कह रहा था, "आपने बेटे को अमेरिका पढ़ाने के लिए घर की जमानत पर जो एजूकेशन लोन लिया था, बढ़कर 50 लाख से ऊपर हो चुका है। कम से कम हर महीने ब्याज तो चुकाते रहिए। रिटायर्ड होने में अभी कितने दिन हैं?"

10.5.21

फेसबुक के आने से पहले स्वर्गीय हो जाने वाली माएँ।

कितनी अभागन हैं!

फेसबुक के आने से पहले स्वर्गीय हो जाने वाली माएँ।

नहीं देख पाईं

'मदर्स डे' वाली एक भी पोस्ट।


काश! फेसबुक के जमाने मे भी जिंदा होंतीं

तो देखतीं

सब कितना प्यार करते हैं अपनी माँ को!


कसम से

पोस्ट पढ़-पढ़ कर

रो देतीं

मन ही मन कहतीं

मैने बेकार ही तुमको ताना दिया..

"खाली अपनी पत्नी की सुनता है नालायक।"


बेटे का आँखें तरेरना,

गुस्से से हाथ जोड़ क्षमा माँगना/कहना...

"अब बस भी करो अम्मा, अब हमें सुख से जीने दो"

धमकी देना...

"नहीं मानोगी तो छोड़ आएंगे तुम्हें वृद्धाश्रम!"


फेसबुक में अपनी और अपने बेटे की प्यारी तस्वीरें देख,

खुश हो जातीं, भूल जातीं

सभी गहरे जख्म।


कैसे याद रख पातीं

पिता के साथ किए गए जहरीले संवाद...

"जिनगी में

का देहला तू हमका?

खाली अपने सुख की खातिर

पइदा कइला,

तू हमका!"


माँ!

तुम्हें तो बस

पुत्रों की मुस्कान से मतलब था

जल्दी चली गई तुम,

हमे छोड़कर।


एक सुख भी नहीं दे सके,

नहीं दिखा सके, मदर्स डे वाली

एक भी पोस्ट।

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