tag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post1069905985124879422..comments2024-02-11T13:55:34.165+05:30Comments on बेचैन आत्मा: ऐसा क्यों होता है ?देवेन्द्र पाण्डेयhttp://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comBlogger28125tag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-30366596341622459752010-12-24T11:28:12.369+05:302010-12-24T11:28:12.369+05:30देवेन्द्र जी,
बहुत सुन्दर पोस्ट है आपकी......कई ब...देवेन्द्र जी,<br /><br />बहुत सुन्दर पोस्ट है आपकी......कई बार कई प्रश्नों को अनसुलझा ही छोड़ देना चाहिए |Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-30930486497181571652010-12-24T08:57:08.691+05:302010-12-24T08:57:08.691+05:30इस सबके बाद भी बावजूद भी अहर्निश शुभकामनाएं !इस सबके बाद भी बावजूद भी अहर्निश शुभकामनाएं !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-76488406380527020242010-12-20T14:22:20.087+05:302010-12-20T14:22:20.087+05:30aisa to pata nahi kyon hota hai.
par hota hai... :...aisa to pata nahi kyon hota hai.<br />par hota hai... :)Unknownhttps://www.blogger.com/profile/00193683374558166409noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-90202922381945090542010-12-19T14:58:44.837+05:302010-12-19T14:58:44.837+05:30सार्थक अभिव्यक्ति के लिए हार्दिक बधाई।सार्थक अभिव्यक्ति के लिए हार्दिक बधाई।Patali-The-Villagehttps://www.blogger.com/profile/08855726404095683355noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-23646885462376785552010-12-19T13:39:18.727+05:302010-12-19T13:39:18.727+05:30सच है समय की साथ साथ पैभाशायें और उतार भी दोनों ही...सच है समय की साथ साथ पैभाशायें और उतार भी दोनों ही बदल रहे हैं ... सत्य भी बदल रहा है ... देखें सूरज चाँद कब तक दिशा नहीं बदलतेदिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-5699655504304251272010-12-19T07:56:52.917+05:302010-12-19T07:56:52.917+05:30सुन्दर रचना के लिए आपका साधुवाद.सुन्दर रचना के लिए आपका साधुवाद.संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-85871053682558499612010-12-19T01:54:15.590+05:302010-12-19T01:54:15.590+05:30कुछ प्रश्नों के उत्तर कभी नहीं मिलते.कुछ प्रश्नों के उत्तर कभी नहीं मिलते.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-7077720237970511632010-12-18T22:51:51.829+05:302010-12-18T22:51:51.829+05:30मानव के अंतर्द्वंद को प्रदर्शित करती एक सुन्दर भाव...मानव के अंतर्द्वंद को प्रदर्शित करती एक सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति.Kailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-41583791952643298312010-12-18T21:18:57.070+05:302010-12-18T21:18:57.070+05:30आपकी यह रचना बहुत ही बढिया लगी.
आभारआपकी यह रचना बहुत ही बढिया लगी.<br />आभारज़मीरhttps://www.blogger.com/profile/03363292131305831723noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-25610692708529777702010-12-18T20:34:12.006+05:302010-12-18T20:34:12.006+05:30उत्तर अक्सर कभी कभी प्रश्न के सामने कतराते भी हैं
...उत्तर अक्सर कभी कभी प्रश्न के सामने कतराते भी हैं<br />और फिर बचपन तो शायद प्रश्नों और उत्तरों से परे भी तो होता है<br />शानदार अभिव्यक्ति और एहसासM VERMAhttps://www.blogger.com/profile/10122855925525653850noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-54442657853433515252010-12-18T20:14:41.093+05:302010-12-18T20:14:41.093+05:30बचपन को याद करा देने वाली सुन्दर रचना के लिए बधाई।...बचपन को याद करा देने वाली सुन्दर रचना के लिए बधाई।Dr (Miss) Sharad Singhhttps://www.blogger.com/profile/00238358286364572931noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-30715448944435480882010-12-18T18:32:04.192+05:302010-12-18T18:32:04.192+05:30ये अन्तर्द्वन्द के प्रश्न उत्तर तो जीवन भर पीछा नह...ये अन्तर्द्वन्द के प्रश्न उत्तर तो जीवन भर पीछा नही छोडते। बचपन निस्सन्देह अच्छा होता है इस लिये दुख मे इन्सान यही कामना करता है। अच्छी रचना। बधाई।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-15337692947352834082010-12-18T15:52:33.005+05:302010-12-18T15:52:33.005+05:30... prabhaavashaalee rachanaa !!!... prabhaavashaalee rachanaa !!!कडुवासचhttps://www.blogger.com/profile/04229134308922311914noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-81495206893988559222010-12-18T15:43:54.642+05:302010-12-18T15:43:54.642+05:30देवेन्द्र भाई, बचपन के बहाने आपने बहुत गहरी बात क...देवेन्द्र भाई, बचपन के बहाने आपने बहुत गहरी बात कर दी। इस सार्थक अभिव्यक्ति के लिए हार्दिक बधाई।<br /><br />---------<br /><a href="http://bm.samwaad.com/" rel="nofollow">छुई-मुई सी नाज़ुक...</a> <br /><a href="http://hr.samwaad.com/" rel="nofollow">कुँवर बच्चों के बचपन को बचालो। </a>Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-73279152387896452902010-12-18T11:58:27.942+05:302010-12-18T11:58:27.942+05:30यैसा ही तो होता है हर किसी के साथ.लगता है प्रश्न क...यैसा ही तो होता है हर किसी के साथ.लगता है प्रश्न करना और उत्तर तलासना ही छोड़ देना चाहिए.prem ballabh pandeyhttps://www.blogger.com/profile/16202190259689692899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-4549665075768377072010-12-18T11:25:04.880+05:302010-12-18T11:25:04.880+05:30मन में उतःने वाले द्वंद्व को अच्छे शब्द दिए हैं .....मन में उतःने वाले द्वंद्व को अच्छे शब्द दिए हैं ..संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-48537324544056902312010-12-18T10:58:49.070+05:302010-12-18T10:58:49.070+05:30sundar rachna...........badhai hosundar rachna...........badhai hoEr. सत्यम शिवमhttps://www.blogger.com/profile/07411604332624090694noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-38825713934641043872010-12-18T10:22:28.135+05:302010-12-18T10:22:28.135+05:30क्या, क्यों किसलिए, सुलझे तो कैसे,
जवाबों से ही नि...क्या, क्यों किसलिए, सुलझे तो कैसे,<br />जवाबों से ही निकलते सवाल ये ;)<br /><br />सोच सोच कर सोचा यह है की सोचना फ़िज़ूल है, इसलिए अब नहीं सोचते, पर देखा जाए तो ये नतीजा भी सोचने से ही निकला, इसलिए सोचने की कुछ सार्थकता भी है ;)Majaalhttps://www.blogger.com/profile/08748183678189221145noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-23849084086148903022010-12-18T09:30:46.794+05:302010-12-18T09:30:46.794+05:30मासूमियत भरा , तनाव मुक्त , समस्याओं से इतर जीवन ,...मासूमियत भरा , तनाव मुक्त , समस्याओं से इतर जीवन , भला क्यों प्रतीत नहीं होगा :)उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-86200269580666159322010-12-18T09:11:20.649+05:302010-12-18T09:11:20.649+05:30Ek anuttrit prashnn......
sr publishing ke baad ek...Ek anuttrit prashnn......<br />sr publishing ke baad ek bar yadi post ko dubara edit kr liya jaay to spacing wgairh ki problem solv ho sakti hai.<br />abhaar..........पी.एस .भाकुनीhttps://www.blogger.com/profile/10948751292722131939noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-67809628929869106962010-12-18T08:04:41.676+05:302010-12-18T08:04:41.676+05:30मेरे लिए तो अब लगता है कि उत्तर ढेर सारे हैं मगर ...मेरे लिए तो अब लगता है कि उत्तर ढेर सारे हैं मगर उनके प्रश्नों को ही ढूंढ नहीं पा रहा हूँ ..समय के बियाबान में कहीं खो से गए लगते हैं !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-67969195923534850592010-12-18T07:41:22.344+05:302010-12-18T07:41:22.344+05:30देवेन्द्र जी, ज्ञान और विवेक जटिलता पैदा करते हैं,...देवेन्द्र जी, ज्ञान और विवेक जटिलता पैदा करते हैं, और जटिलता सहजता को समाप्त करती हैं.<br /><br />देखिये, एक छोटा बच्चा बेवजह मुस्कुरा देता है! <br /><br />सुन्दर रचना के लिए आपका साधुवाद. <br /><br />ब्लॉग पर पधारकर अपना मार्गदर्शन जरुर दें<br /><br />"आप भी आईये,<br />हमें भी बुलाते रहिये,<br />दोस्ती बुरी बात नहीं,<br />दोस्त बनाते रहिये"<br /><br />पुनः आपका साधुवादArvind Jangidhttps://www.blogger.com/profile/02090175008133230932noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-68233556589117609702010-12-18T04:06:39.595+05:302010-12-18T04:06:39.595+05:30एक शेर हैं , शायद इकबाल का ,
'' अच्छा है ...एक शेर हैं , शायद इकबाल का , <br />'' अच्छा है दिल के पास रहे पासबाने-अक्ल <br />लेकिन कभी कभी उसे तनहा भी छोड़ दे ! '' <br /><br />जब हम अक्ल की पहरेदारी को ढीली करेंगे - चाहे आजिच आकर या शौकिया - तो दिल सबसे पहले बच्चा ही बनना चाहेगा न , बचपना की ओर लौटना चाहेगा . यह गाना अकारण नहीं फेमस हो गया कि 'दिल तो बच्चा है न' !! इसलिए 'एल्फेड्ली' वाले प्रचार के अंदाज में कह रहा हूँ , 'दुबारा न पूछना' सर जी :) , कि ---<br /><br />'' बचपना भला प्रतीत होता है न !<br /><br />ऐसा क्यों होता है ? ''<br /><br />''आनंद की यादों'' को अब प्रिंट-आउट लेकर देखूंगा ! ज्यादा स्क्रीन नहीं देख पाइत ! आभार !Amrendra Nath Tripathihttps://www.blogger.com/profile/15162902441907572888noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-64589216335992242362010-12-18T02:43:36.432+05:302010-12-18T02:43:36.432+05:30बचपन सरल जो है... भला तो होगा ही!
सुन्दर अभिव्यक्त...बचपन सरल जो है... भला तो होगा ही!<br />सुन्दर अभिव्यक्ति!अनुपमा पाठकhttps://www.blogger.com/profile/09963916203008376590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-5762155849071179102010-12-17T23:55:13.040+05:302010-12-17T23:55:13.040+05:30बहुत सुंदर कविता जी धन्यवादबहुत सुंदर कविता जी धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.com