tag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post2167765285311326526..comments2024-02-11T13:55:34.165+05:30Comments on बेचैन आत्मा: मैं न भीगा ....!देवेन्द्र पाण्डेयhttp://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comBlogger58125tag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-54916784384650060832010-07-30T22:25:04.938+05:302010-07-30T22:25:04.938+05:30सोचता ही रह गया
देखता ही रह गया
फेंकनी थी छतरिया...सोचता ही रह गया<br /><br />देखता ही रह गया<br /><br />फेंकनी थी छतरिया<br /><br />तानता ही रह गया <br /><br />great lines....could not stop myself from reading this one...sangeetahttps://www.blogger.com/profile/01091803798460651759noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-82163007526692133732010-07-10T09:07:04.564+05:302010-07-10T09:07:04.564+05:30bahut pyaari, bahut sundar...aur penguin my cutie ...bahut pyaari, bahut sundar...aur penguin my cutie pie ...man khush ho gaya padh karप्रियाhttps://www.blogger.com/profile/04663779807108466146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-2934450976655076422010-07-09T14:21:50.019+05:302010-07-09T14:21:50.019+05:30कविता अपनी लय में बरसात कर दे रही है , पाठक बिना क...कविता अपनी लय में बरसात कर दे रही है , पाठक बिना किसी छतरी के भीग सकता है .. बनारस में दौंगरा गिरा होगा , जिससे यह मनभावन कविता निकली होगी .. हमें तो बस भादौ की तलैया में छपछैया करने का मन कर रहा है ! भादौ का इंतिजार करता हूँ ! <br /><br />अर्थगहन पंक्ति को गिरिजेश जी लपक ले गए , नहीं तो मैं रखता ! सुन्दर कविता ! आभार !Amrendra Nath Tripathihttps://www.blogger.com/profile/15162902441907572888noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-50458658029172834712010-07-04T15:31:57.324+05:302010-07-04T15:31:57.324+05:30अच्छी रचना के लिए आपको बधाई।अच्छी रचना के लिए आपको बधाई।राजकुमार सोनीhttps://www.blogger.com/profile/07846559374575071494noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-78989116558697740212010-07-04T08:22:22.933+05:302010-07-04T08:22:22.933+05:30नखलौ में तो सूखा पड़ा हुआ है।
@फेंकनी थी छतरिया
...नखलौ में तो सूखा पड़ा हुआ है। <br />@फेंकनी थी छतरिया<br /><br />तानता ही रह गया <br /><br />अर्थगहन पंक्तियाँ। समूची कविता का प्रवाह अद्भुत है। हाँ ताल फिल्म की वर्षा दृश्यावली मुझे बहुत अच्छी लगी थी। यह पेंग्विन लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम का लोगो है।गिरिजेश राव, Girijesh Raohttps://www.blogger.com/profile/16654262548719423445noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-48042229933080061902010-07-04T00:20:11.626+05:302010-07-04T00:20:11.626+05:30क्या झमाझम झमाझम झमाझम लिखा है, मैं तो भीग गयाक्या झमाझम झमाझम झमाझम लिखा है, मैं तो भीग गयाS.M.Masoomhttps://www.blogger.com/profile/00229817373609457341noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-31510321430063752042010-07-03T17:52:28.185+05:302010-07-03T17:52:28.185+05:30बहुत सुंदर कविता।
झमाझम झमाझम झमाझम......एकदम लह...बहुत सुंदर कविता।<br /><br /> झमाझम झमाझम झमाझम......एकदम लहरदार।सतीश पंचमhttps://www.blogger.com/profile/03801837503329198421noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-44567499941530201122010-07-03T15:50:22.024+05:302010-07-03T15:50:22.024+05:30पर आपकी इस काव्य वर्षा में भीगने से मैं स्वयं को ब...पर आपकी इस काव्य वर्षा में भीगने से मैं स्वयं को बचा न सका।<br />................<br /><a href="http://za.samwaad.com/" rel="nofollow">अपने ब्लॉग पर 8-10 विजि़टर्स हमेशा ऑनलाइन पाएँ।</a>Dr. Zakir Ali Rajnishhttps://www.blogger.com/profile/03629318327237916782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-59902868229882055382010-07-03T15:46:24.374+05:302010-07-03T15:46:24.374+05:30बहुत सुन्दर प्रस्तुति
कितने ही सुन्दर पल हम इस अ...बहुत सुन्दर प्रस्तुति<br /><br /><br />कितने ही सुन्दर पल हम इस अहं के कारण गंवा देते है। अब के बरसात आये तो भीग कर देखना फिर उस पर अपने शब्दो को पिरोना :-)अंजना https://www.blogger.com/profile/07031630222775453169noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-23875253058741830812010-07-03T08:36:27.259+05:302010-07-03T08:36:27.259+05:30bahut dino baad koyi itna behtareen geet padhne ko...bahut dino baad koyi itna behtareen geet padhne ko mila. jo seedhe dil men utar gaya.<br />bahut bahut badhayi<br /><br />aabharप्रकाश गोविंदhttps://www.blogger.com/profile/15747919479775057929noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-59229431905741704062010-07-03T08:21:56.632+05:302010-07-03T08:21:56.632+05:30बेहतरीन रचना...आनन्द आ गया.बेहतरीन रचना...आनन्द आ गया.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-57814519085666846822010-07-02T10:45:43.392+05:302010-07-02T10:45:43.392+05:30शोभनं काव्यम्
भावपूर्णम्
धन्यवादार्ह:शोभनं काव्यम्<br /><br /><br />भावपूर्णम्<br /><br /><br />धन्यवादार्ह:SANSKRITJAGAThttps://www.blogger.com/profile/12337323262720898734noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-45330078459621352852010-07-02T07:03:38.795+05:302010-07-02T07:03:38.795+05:30मोह में मैं पड़ा था
मुझसे मेरा मैं बड़ा था
bahu...मोह में मैं पड़ा था<br /><br /><br />मुझसे मेरा मैं बड़ा था<br /><br />bahut gahre bhav liye ati sunder prastuti .Apanatvahttps://www.blogger.com/profile/07788229863280826201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-51882882190227423802010-07-01T13:25:20.975+05:302010-07-01T13:25:20.975+05:30सामने बहता समुंदर
एक कतरा पी न पाया
उम्र लम्बी...सामने बहता समुंदर <br /><br />एक कतरा पी न पाया<br /><br />उम्र लम्बी चाहता था<br /><br />एक लम्हां जी न पाया<br />सुन्दर अभिव्यक्ति....स्वातिhttps://www.blogger.com/profile/06459978590118769827noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-49699811585035229742010-06-30T20:27:42.762+05:302010-06-30T20:27:42.762+05:30इस सम्मान के लिए शुक्रिया भाई देवेन्द्र।इस सम्मान के लिए शुक्रिया भाई देवेन्द्र।राजेश उत्साहीhttps://www.blogger.com/profile/15973091178517874144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-39801250490562059332010-06-30T20:05:16.957+05:302010-06-30T20:05:16.957+05:30आदरणीय राजेश उत्साही जी की टिप्पणी के बाद मैंने उन...आदरणीय राजेश उत्साही जी की टिप्पणी के बाद मैंने उन्हें अपनी कविता ए-मेल से भेज कर इसे सम्पादित करने का अनुरोध किया था ...मेरे अनुरोध को स्वीकार करके उन्होंने इस कविता पर काफी मेहनत की और अपने तर्कों द्वारा अपने संशोधनो को वाजिब भी सिद्ध किया ..उनका शुक्रगुजार होते हुए मैंने इसमें संशोधन कर दिया है....कुछ पंक्तियाँ जिन्हें वे अब भी अनावश्यक मान रहे है ..लेकिन मैं उन्हें नहीं छोड़ पा रहा हू. आशा है इसे मेरा उन पंक्तियों के प्रति मोह मान कर क्षमा करेंगे. कष्ट के लिए खेद है.देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-86221801829753842212010-06-30T15:00:59.457+05:302010-06-30T15:00:59.457+05:30इक समुंदर बह रहा था
एक कतरा पी न पाया
उम्र लम्बी च...इक समुंदर बह रहा था<br />एक कतरा पी न पाया<br />उम्र लम्बी चाहता था<br />एक लम्हा जी न पाया<br /><br />हर पंक्ति बहुत कुछ कहती हुई, आभार इस सुन्दर अभिव्यक्ति के लिये ।सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-88892978251798239852010-06-29T23:20:45.403+05:302010-06-29T23:20:45.403+05:30सुन्दर अभिव्यक्ति. दिल की बात दिल तक पहुँच और क्या...सुन्दर अभिव्यक्ति. दिल की बात दिल तक पहुँच और क्या चाहिए एक कवि को.बधाई!!Prem Farukhabadihttps://www.blogger.com/profile/05791813309191821457noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-20268538744521135812010-06-29T23:07:38.380+05:302010-06-29T23:07:38.380+05:30अतिसुन्दर रचना.मुझे भी यह एहसास हो रहा है की मुझे ...अतिसुन्दर रचना.मुझे भी यह एहसास हो रहा है की मुझे भी भींग जाना चाहिए था अबतक लेकिन मैं के कारण ही भीग नहीं पा रहा हूँ.पूरी तरह अगर मैं विदा हो जाता तो ब्रह्माण्ड में ब्याप्त अनंत ऊर्जा में भीगकर अब तक उसमें ही मील गया होता.prem ballabh pandeyhttps://www.blogger.com/profile/16202190259689692899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-74172614303876719802010-06-29T16:49:48.814+05:302010-06-29T16:49:48.814+05:30अच्छी लगी आप की रचना,
चाहता था युगों से
प्रेम की ...अच्छी लगी आप की रचना,<br />चाहता था युगों से <br />प्रेम की बरसात हो<br />भीग जाऊँ...डूब जाऊँ<br />और प्रीतम साथ हों<br />वाह क्या बात है....Shabad shabad https://www.blogger.com/profile/09078423307831456810noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-28938594069669304352010-06-29T13:21:31.885+05:302010-06-29T13:21:31.885+05:30ओढ़कर छतरी चला था
मोह में मैं पड़ा था
मुझसे मेरा म...ओढ़कर छतरी चला था<br />मोह में मैं पड़ा था<br />मुझसे मेरा मैं बड़ा था<br />मैं न भीगा .... मैं न भीगा .... मैं न भीगा।<br />...बहुत अच्छी रचना।arvindhttps://www.blogger.com/profile/15562030349519088493noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-8429193056928399462010-06-29T09:59:42.352+05:302010-06-29T09:59:42.352+05:30awesome !!!!!!!!!!
मैं चिटठा जगत की दुनिया में नय...awesome !!!!!!!!!!<br /><br />मैं चिटठा जगत की दुनिया में नया हूँ. मेरे द्वारा भी एक छोटा सा प्रयास किया गया है. मेरी रचनाओ पर भी आप की समालोचनात्मक टिप्पणिया चाहूँगा. एवं यह भी जानना चाहूँगा की किस प्रकार मैं भी अपने चिट्ठे को लोगो तक पंहुचा सकता हूँ. आपकी सभी की मदद एवं टिप्पणिओं की आशा में आपका अभिनव पाण्डेय <br />यह रहा मेरा चिटठा:- <br /><a href="http://sunhariyaadein.blogspot.com/" rel="nofollow">**********सुनहरीयादें********** </a>abhinav pandeyhttps://www.blogger.com/profile/11042946864144949802noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-32543358935597006962010-06-28T23:21:54.743+05:302010-06-28T23:21:54.743+05:30क्या देवेन्द्र जी बारिश में भी आपकी आत्मा बैचेन...क्या देवेन्द्र जी बारिश में भी आपकी आत्मा बैचेन ही रही। सुंदर कविता। बालसुलभ मन से लेकर मस्त मन तक की बातें इसमें हैं। बधाई। पर इतना कहने से मत रोकिए कि इसमें संपादन की गुजांइश है। बीच की कुछ पंक्तियां अनायास ही ताल फिल्म के गाने की याद दिला देती हैं। आप उन्हें छोड़ सकते हैं या किसी और तरह से कह सकते हैं।राजेश उत्साहीhttps://www.blogger.com/profile/15973091178517874144noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-48747647588620820492010-06-28T21:40:30.513+05:302010-06-28T21:40:30.513+05:30ओये होए .....न पैन्गुइन भीगा न मछलियाँ भीगीं ........ओये होए .....न पैन्गुइन भीगा न मछलियाँ भीगीं .....!!<br /><br />पर मौसम भीगा भीगा था ....हवा भी ज्यादा ज्यादा थी .....पर बीच में ये 'मैं' आ गया ....अजी एक दिन इसे तक पे रख भीग ही लेते ....????हरकीरत ' हीर'https://www.blogger.com/profile/09462263786489609976noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-69961754810647953132010-06-28T21:37:38.415+05:302010-06-28T21:37:38.415+05:30ओये होए .....न पैन्गुइन भीगा न मछलियाँ भीगीं ........ओये होए .....न पैन्गुइन भीगा न मछलियाँ भीगीं .....!!<br /><br />पर मौसम भीगा भीगा था ....हवा भी ज्यादा ज्यादा थी .....पर बीच में ये 'मैं' आ गया ....अजी एक दिन इसे तक पे रख भीग ही लेते ....????हरकीरत ' हीर'https://www.blogger.com/profile/09462263786489609976noreply@blogger.com