tag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post2902391477517975465..comments2024-02-11T13:55:34.165+05:30Comments on बेचैन आत्मा: थका मादादेवेन्द्र पाण्डेयhttp://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comBlogger32125tag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-5357946691448516662013-02-02T21:06:48.994+05:302013-02-02T21:06:48.994+05:30और नहीं तो क्या! अब सोच नहीं मिलेगी तब कब मिलेगी? ...और नहीं तो क्या! अब सोच नहीं मिलेगी तब कब मिलेगी? जब आपने इस प्रमेय को 'इति सिद्धम!'..कर दिया। :)देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-29077585617682456802013-02-02T20:55:58.299+05:302013-02-02T20:55:58.299+05:30बताईये भला, हम हैं हीं इतने पारदर्शी, कि आप भी समझ...बताईये भला, हम हैं हीं इतने पारदर्शी, कि आप भी समझ गए थे :)<br />और सोच का क्या है, कभी बेहतर तो कभी न-बेहतर। <br />अपनी-अपनी जगह से हरेक को एक ही चीज़ अलग-अलग नज़र आती है ...वो क्या कहते हैं, कभी गिलास आधा भरा तो कभी आधा खाली :)<br />अब सब एक जैसा सोचने लगे, तो दुनिया कितनी नीरस हो जायेगी, है कि नहीं :)स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-80295824577012848342013-02-02T20:11:20.493+05:302013-02-02T20:11:20.493+05:30मैं पहले ही समझ गया था कि आप क्या कहना चाहती हैं। ...मैं पहले ही समझ गया था कि आप क्या कहना चाहती हैं। आपने विस्तार से समझाया आपका पुनः आभार। ..आप बेहतर सोचती हैं। :)देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-75847832199229619902013-02-02T11:09:26.749+05:302013-02-02T11:09:26.749+05:30जी हाँ देवेन्द्र जी, आपने जो लिखा है वही मैंने समझ...जी हाँ देवेन्द्र जी, आपने जो लिखा है वही मैंने समझा है, अब आप ही देखिये न डर और मादा एक दुसरे के कितने पूरक लगते हैं। <br />गब्बर ने एक डाइलाग कहा था 'जो डर गया समझो मर गया' ..यहाँ बात ज़रा सी अलग है ...जो डर गया वो मादा बन गया' या फिर जो प्राकृतिक मादा है, डरे रहना उसका गहना है, <br />और हम सोचते हैं, मादा के पास मादा है :)<br />स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-43776679124717060822013-02-02T09:05:41.410+05:302013-02-02T09:05:41.410+05:30शानदार प्रतिक्रिया के लिए आपका आभार। कविता को आपने...शानदार प्रतिक्रिया के लिए आपका आभार। कविता को आपने वैसा ही समझा जैसा लिखा गया है।देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-52672026961144468642013-02-02T00:37:30.671+05:302013-02-02T00:37:30.671+05:30एक थका-माँदा खुद को थका-मादा कहे, कम से कम इतना मा...एक थका-माँदा खुद को थका-मादा कहे, कम से कम इतना मादा तो नज़र आया, वर्ना मादा को मादा समझने की मादा भी कहाँ है अब !!!स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-32616001466682325672013-02-01T14:56:43.663+05:302013-02-01T14:56:43.663+05:30ha ha ha :-)ha ha ha :-)इमरान अंसारी https://www.blogger.com/profile/01005182448449326178noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-36265973836924609702013-02-01T09:45:22.761+05:302013-02-01T09:45:22.761+05:30परसाई जी ने एकदम सही कहा है। ...बीबी की मूर्खता बय...परसाई जी ने एकदम सही कहा है। ...बीबी की मूर्खता बयान करना बड़ी संकीर्णता है।देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-70553303877803275212013-02-01T08:47:30.699+05:302013-02-01T08:47:30.699+05:30शाहजहांपुर के कवि अजय गुप्त ने लिखा है:
सूर्य जब-...शाहजहांपुर के कवि अजय गुप्त ने लिखा है:<br /><br /><b>सूर्य जब-जब थका-हारा ताल के तट पर मिला,<br />सच कहूं मुझे वो बेटियों के बाप सा लगा।</b><br /><br />लेवेल हास्य-व्यंग्य है! इस पर <a href="http://hindini.com/fursatiya/archives/174" rel="nofollow">परसाई जी के विचार</a> देखियेगा:<br /><br /><b>तो क्या पत्नी,साला,नौकर,नौकरानी आदि को हास्य का विषय बनाना अशिष्टता है?<br />-’वल्गर’ है। इतने व्यापक सामाजिक जीवन में इतनी विसंगतियाँ हैं। उन्हें न देखकर बीबी की मूर्खता बयान करना बडी़ संकीर्णता है।</b><br /><br /><br />अनूप शुक्लhttp://hindini.com/fursatiyanoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-5702739974867699192013-01-31T08:57:06.928+05:302013-01-31T08:57:06.928+05:30ओह...! सहमत। शब्द कहाँ-कहाँ मार करते हैं!!! आपको य...ओह...! सहमत। शब्द कहाँ-कहाँ मार करते हैं!!! आपको या किसी को भी इस शब्द से कोई कष्ट पहुँचा हो तो मुझे इसका खेद है।..समझाने के लिए आपका पुनः आभारी हुआ।देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-51984196704810204062013-01-31T08:20:01.098+05:302013-01-31T08:20:01.098+05:30मैंने 'मेरी श्रीमती' पढ़ी.वास्तविकता यह है... मैंने 'मेरी श्रीमती' पढ़ी.वास्तविकता यह है कि यह 'मादा'शब्द बहुत हीनता-बोधक है.मनुज-जाति अपने विकास ,सुरुचि और बौद्धिकता के कारण अन्य-जीवों से ऊँचे स्तर पर प्रतिष्ठित है.उसके लिये नर-नारी शब्द का विधान है, मानवेतर जीवों के लिये नर-मादा चलता है.कोई भी नर अपनी पत्नी को (क्योंकि वह समान स्तर पर है)मादा कहना पसंद नहीं करेगा.आपकी श्रीमती जी को भी शायद 'मादा' कहलाना न भाये(पूछ देखियेगा).'मादा' से नारी को किस स्तर पर रखा गया इसका बोध होता है. उसके साथवाला नर भी उसी स्तर का द्योतक बन जाता है.<br />*<br />हो सकता है मेरा यह विवेचन सब को सही न लगे(मुंडे-मुंडे मतिर्भिनः),किसी के लिये बाध्यता भी नहीं .सबको अपने अनुसार चलने का अधिकार है.और आप पर कोई आक्षेप नहीं मेरा -विवेचन प्रयुक्त शब्द का है.बुरा लगे तो स्पष्ट बता दें जिससे ब्लाग-जगत में आगे सावधान रहा जाय.प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-20871484385716539022013-01-30T21:31:54.838+05:302013-01-30T21:31:54.838+05:30हाँ, यह होता आ रहा है। मैने भी एकाध और ऐसी कविताएं...हाँ, यह होता आ रहा है। मैने भी एकाध और ऐसी कविताएं लिखी हैं। लेकिन ध्यान दीजिए, यह मात्र काल्पनिक उपहास नहीं है। एक मध्यमवर्गीय पुरूष की बेचारगी भी झलकती है। ऐसी ही दूसरी कविता भी है इसी ब्लॉग पर..मेरी श्रीमती। लिंक दे रहा हूँ..आप चाहेँ तो उसे भी देख सकती हैं..http://devendra-bechainaatma.blogspot.in/2009/11/blog-post.html..आभार।देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-12627508104675986892013-01-30T20:41:46.281+05:302013-01-30T20:41:46.281+05:30यह अपनी थ्योरी है ? :)यह अपनी थ्योरी है ? :)डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-80967032623308346932013-01-30T17:02:40.429+05:302013-01-30T17:02:40.429+05:30क्या बात है...क्या बात है...रश्मि शर्माhttps://www.blogger.com/profile/04434992559047189301noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-84611139873102029832013-01-30T15:00:24.269+05:302013-01-30T15:00:24.269+05:30हा....हा....हा......हा....हा....हा......prem ballabh pandeyhttps://www.blogger.com/profile/16202190259689692899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-43581857150778883072013-01-30T11:54:50.971+05:302013-01-30T11:54:50.971+05:30शताब्दियों की मानसिकता है नरों की.आदत एकदम से तो ब...शताब्दियों की मानसिकता है नरों की.आदत एकदम से तो बदलती नहीं.वैसे भी अपनी हिन्दी के हास्य-व्यंग्यकार जब कुछ मौलिक सोच नहीं पाते तो पत्नी(अपनी या परायी कोई भी मादा)को घसीट देते है!बस सचेत रहिये !प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-74999688948189925012013-01-30T11:03:45.229+05:302013-01-30T11:03:45.229+05:30 वाह-
मादा मांदा
नर-मादा वाह-<br /><br />मादा मांदा <br /><br />नर-मादा रविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-33340198903388033092013-01-30T08:58:54.170+05:302013-01-30T08:58:54.170+05:30बढ़ियाँ हास्य व्यंग ...
:-)बढ़ियाँ हास्य व्यंग ...<br />:-)मेरा मन पंछी साhttps://www.blogger.com/profile/10176279210326491085noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-5731792051260339522013-01-30T08:28:21.858+05:302013-01-30T08:28:21.858+05:30लेबल हास्य-व्यंग्य है । हमारे समाज में डरना, कांपन...लेबल हास्य-व्यंग्य है । हमारे समाज में डरना, कांपना, हांफना आज भी पुरूषों के लक्षण नहीं माने जाते। जब कि यह अवगुण सभी में पाये जाते हैं। विस्मयादिबोधक चिन्ह तो लगाया हूँ! इससे काम न चले तो बताइये अब क्या करूँ? बन तो गई। :) देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-316317506153035942013-01-30T08:23:25.875+05:302013-01-30T08:23:25.875+05:30लेबल हास्य-व्यंग्य है । हमारे समाज में डरना, कांपन...लेबल हास्य-व्यंग्य है । हमारे समाज में डरना, कांपना, हांफना आज भी पुरूषों के लक्षण नहीं माने जाते। जब कि यह अवगुण सभी में पाये जाते हैं। देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-59078546029588062722013-01-30T08:18:09.843+05:302013-01-30T08:18:09.843+05:30आज की मादा सौरी नारी थकी हुई नहीं है!!:)
रचना सुबह...आज की मादा सौरी नारी थकी हुई नहीं है!!:)<br />रचना सुबह की लाली की तरह होठों पर स्मित भाव अंकित करती है.. वैसे शीर्षक देखकर <br />मुझे लग गया था कि लिफ़ाफ़े में मजमून क्या होने वाला है!! जय हो!!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-91904001928086321672013-01-30T08:13:47.933+05:302013-01-30T08:13:47.933+05:30शब्दों से किसी को धोना, संभवतः आपकी इस रचना को ही ...शब्दों से किसी को धोना, संभवतः आपकी इस रचना को ही कहते हैं।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-81028624408082753682013-01-30T07:02:04.222+05:302013-01-30T07:02:04.222+05:30@ वास्ते रंगत उड़ा / कांपता / हांफता = मादा , कवित...@ वास्ते रंगत उड़ा / कांपता / हांफता = मादा , कविता 'वर्ग विरोधी' जैसी बन गई है !<br />@ वास्ते रंगत उड़ी / कांपती / हांफती = पत्नि की 'हिदायतें' कविता में निहित विरोधाभास जैसा है !उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-45144161281126166782013-01-30T05:42:31.853+05:302013-01-30T05:42:31.853+05:30तो ये मादा के लक्षण माने हैं आपने ?तो ये मादा के लक्षण माने हैं आपने ?प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-10961023279658179872013-01-30T00:00:09.180+05:302013-01-30T00:00:09.180+05:30ब्लाग शीर्षक चित्र क्या जबरदस्त लगाया है आपने !!!!...ब्लाग शीर्षक चित्र क्या जबरदस्त लगाया है आपने !!!! मजा आ गया ! अभिषेक आर्जवhttps://www.blogger.com/profile/12169006209532181466noreply@blogger.com