tag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post3163121581034246843..comments2024-02-11T13:55:34.165+05:30Comments on बेचैन आत्मा: धूप, हवा और पानीदेवेन्द्र पाण्डेयhttp://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comBlogger32125tag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-34189069309078704732010-01-30T18:39:52.937+05:302010-01-30T18:39:52.937+05:30Bahut sundar rachana ke liye abhar...Bahut sundar rachana ke liye abhar...कविता रावत https://www.blogger.com/profile/17910538120058683581noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-10006661151737776252010-01-30T13:24:51.108+05:302010-01-30T13:24:51.108+05:30यह समापन सुन्दर लगा -
"नाली में तैरते कागज क...यह समापन सुन्दर लगा - <br />"नाली में तैरते कागज की नाव को खोलकर<br />पढ़ने लगता है उसका बेटा<br />प्रकृती सभी को सामान रूप से बांटती है<br />धूप, हवा और पानी."<br /><br />आभार प्रस्तुति के लिये ।Himanshu Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/04358550521780797645noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-52709484915654701722010-01-28T23:28:31.667+05:302010-01-28T23:28:31.667+05:30आज के मध्यमवर्गीय समाज का एक सटीक चित्रण ..बड़ी ख...आज के मध्यमवर्गीय समाज का एक सटीक चित्रण ..बड़ी खूबसूरती से सब कुछ दर्शाया आपने ..सुंदर रचना और भाव भी...बहुत बहुत धन्यवाद देवेन्द्र जी ..विनोद कुमार पांडेयhttps://www.blogger.com/profile/17755015886999311114noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-23643394039768267062010-01-28T17:30:11.663+05:302010-01-28T17:30:11.663+05:30बहुत खुबसूरत रचना
बहुत बहुत आभारबहुत खुबसूरत रचना <br />बहुत बहुत आभारPushpendra Singh "Pushp"https://www.blogger.com/profile/14685130265985651633noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-52735562659832297862010-01-27T15:21:33.972+05:302010-01-27T15:21:33.972+05:30निःशब्द हो गया. ६३ बरस की आज़ादी और ६० वर्षीय '...निःशब्द हो गया. ६३ बरस की आज़ादी और ६० वर्षीय 'लोकतंत्र' के बाद भी हालात जस के तस. हम पानी को तरसते हुए चाँद पर बसेंगे. विकास की दौड़ में आगे रहने की लालसा और महाशक्ति बनने का सपना, यथार्थ के धरातल पर चूर होते दीखता है. <br />कविता की तारीफ क्या करूं, आप ने तो सच बयान किया है, तल्ख सच.सर्वत एम०https://www.blogger.com/profile/15168187397740783566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-79569061372579762202010-01-27T13:26:05.687+05:302010-01-27T13:26:05.687+05:30देवेन्द्र जी, अभि कुछ दिन पहले मै भी बनारस दिल्ली ...देवेन्द्र जी, अभि कुछ दिन पहले मै भी बनारस दिल्ली हो आया था घुम्ने के लिए.. आपकी कविता मा प्राचीन और आधुनिक परम्परा कि द्वन्द्ध कि झलक मिल्ती है.. और मानबिय मूल्य कि स्थापना के लिए एक तड़प दिख्ती है.. माफ किजियेगा मै नेपाल से हु और मुझे हिन्दी लिखना आता नही.. नेपाली ले मिल्तिजुलती है और हिन्दी फिल्म साहित्य देख्ता हु.. सो जाने अन्जाने लिखरहाहुHAWAhttps://www.blogger.com/profile/05591585431361640166noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-79563772878550332472010-01-27T10:43:04.504+05:302010-01-27T10:43:04.504+05:30... सुन्दर रचना !!!... सुन्दर रचना !!!कडुवासचhttps://www.blogger.com/profile/04229134308922311914noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-24194147077629317012010-01-27T09:59:30.505+05:302010-01-27T09:59:30.505+05:30...प्रकृती सभी को सामान रूप से बांटती है
धूप, हवा ......प्रकृती सभी को सामान रूप से बांटती है<br />धूप, हवा और पानी.<br /><br />देवेन्द्र जी, यह रचना आपके विशिष्ट काव्य शैली से परिव्हय कराती है. आज राष्ट्रिय त्यौहार के मौके पर ऐसा दृश्य देखना दुखद है.Sulabh Jaiswal "सुलभ"https://www.blogger.com/profile/11845899435736520995noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-81143598669477527172010-01-27T08:54:07.915+05:302010-01-27T08:54:07.915+05:30सही कहा है प्रकृति तो सब को समान बाँटती है मगर मनु...सही कहा है प्रकृति तो सब को समान बाँटती है मगर मनुश्य कम्ज़ोर से छीन लेता है बहुत मार्मिक अभिव्यक्ति है शुभकामनायेंनिर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-65611487792829985422010-01-27T08:13:34.287+05:302010-01-27T08:13:34.287+05:30वाह!! देवेन्द्रजी प्रकृति सामान रूप से बंटती है पर...वाह!! देवेन्द्रजी प्रकृति सामान रूप से बंटती है पर गरीबों के हिसे के धुप हवा पानी भी छीन लिए जाते हैं!!!<br />गणतंत्र दिवस की शुभकामनायेंMurari Pareekhttps://www.blogger.com/profile/16625386303622227470noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-39907607148913634692010-01-26T18:07:33.205+05:302010-01-26T18:07:33.205+05:30बहुत ही सुन्दर.
गणतंत्र दिवस की शुभकामनायेंबहुत ही सुन्दर.<br /> गणतंत्र दिवस की शुभकामनायेंवन्दना अवस्थी दुबेhttps://www.blogger.com/profile/13048830323802336861noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-84663763591842269432010-01-26T16:12:07.964+05:302010-01-26T16:12:07.964+05:30बहुत सुन्दर रचना ! आपको और आपके परिवार को गणतंत्र ...बहुत सुन्दर रचना ! आपको और आपके परिवार को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें!Urmihttps://www.blogger.com/profile/11444733179920713322noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-77573916503012246942010-01-26T09:28:34.603+05:302010-01-26T09:28:34.603+05:30आजादी की आधी सदी के बाद भी, बल्कि अनंत काल से बुनि...आजादी की आधी सदी के बाद भी, बल्कि अनंत काल से बुनियादी सुविधाओं को तरसता आम आदमी, आज गण तंत्र दिवस के दिन ये पोस्ट पढ़ते HUE आत्मा अधिक ही व्याकुल हुई है आत्मा.<br /><br />-- <br />mansoorali hashmiMansoor ali Hashmihttps://www.blogger.com/profile/09018351936262646974noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-53225318384180877222010-01-26T00:43:26.432+05:302010-01-26T00:43:26.432+05:30Gantantr diwas kee anek shubhkamnayen!Gantantr diwas kee anek shubhkamnayen!kshamahttps://www.blogger.com/profile/14115656986166219821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-58538577086774162732010-01-26T00:18:25.764+05:302010-01-26T00:18:25.764+05:30देखने लगती है
ललचाई आँखों से
ऊँचे घरों की छतों पर
...देखने लगती है<br />ललचाई आँखों से<br />ऊँचे घरों की छतों पर<br />मशीन से चढ़ता<br />पलटकर नालियों में गिरकर बहता पानी.<br /><br /><br />बहुत सुंदर पंक्तियों के साथ ...बहुत सुंदर रचना....डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali)https://www.blogger.com/profile/13152343302016007973noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-23727594892853168162010-01-26T00:09:09.270+05:302010-01-26T00:09:09.270+05:30गणतंत्र दिवस की आपको बहुत शुभकामनाएंगणतंत्र दिवस की आपको बहुत शुभकामनाएंApanatvahttps://www.blogger.com/profile/07788229863280826201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-50128734731645121862010-01-25T20:58:56.991+05:302010-01-25T20:58:56.991+05:30बढ़िया अभिव्यक्ति !बढ़िया अभिव्यक्ति !Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-22643638466406322682010-01-25T18:07:50.217+05:302010-01-25T18:07:50.217+05:30marmik upmao se saja kar bahut acchha kataksh hai....marmik upmao se saja kar bahut acchha kataksh hai.अनामिका की सदायें ......https://www.blogger.com/profile/08628292381461467192noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-79422886970608285452010-01-25T14:16:51.919+05:302010-01-25T14:16:51.919+05:30"Baichain Aatma" ki yah abhivyakti kai s..."Baichain Aatma" ki yah abhivyakti kai sawal khade kar gayi.shubkamnayen.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-42640447329519828282010-01-25T06:32:34.800+05:302010-01-25T06:32:34.800+05:30अच्छी पोस्ट!अच्छी पोस्ट!हास्यफुहारhttps://www.blogger.com/profile/14559166253764445534noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-83152694312385482582010-01-24T23:01:41.548+05:302010-01-24T23:01:41.548+05:30एक अलहदा और बहुत जरूरी अंदाज दिखा इस बार..और इतना ...एक अलहदा और बहुत जरूरी अंदाज दिखा इस बार..और इतना प्रभावी और कचोटता हुआ सा..जहाँ एक ओर दड़बेनुमा घर, सुबह की दुर्गंध युक्त सबा, बच्चों के थकी और डरावनी नींद, दयनीय सी धूप और सूखे नल के आगे खड़ी लम्बी कतार उस बस्ती के दृश्य को सजीव करता है तो कागज की नाँव के द्वारा सबसे जरूरी प्रश्न भी उठाता है..<br /><br />प्रकृती सभी को सामान रूप से बांटती है<br />धूप, हवा और पानी.<br /><br />फिर भी ऐसी विषमता क्यों?अपूर्वhttps://www.blogger.com/profile/11519174512849236570noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-2551190715275606932010-01-24T21:10:39.597+05:302010-01-24T21:10:39.597+05:30इसमें चित्रात्मकता बहुत है। आपने बिम्बों से इसे सज...इसमें चित्रात्मकता बहुत है। आपने बिम्बों से इसे सजाया है। बिम्ब का सुंदर तथा सधा हुआ प्रयोग। बिम्ब पारम्परिक नहीं है – सर्वथा नवीन।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-27563241209177573222010-01-24T19:45:20.710+05:302010-01-24T19:45:20.710+05:30ह्रदय-विदारक चित्रण किया है आपने.नजाने ये गरीबी का...ह्रदय-विदारक चित्रण किया है आपने.नजाने ये गरीबी का जीवन जीने को कब तक बाध्य होगें लोग.जनसख्या-विर्धि र्हिनात्मक होनी चाहिए अब.....और अधिकारी लोग न जाने कब सुधरेंगे ?<br />ये सब असंभव है और येसी जिंदगियां भी जीती रहेंगी मर-मर कर.<br />कोई जीवन के दामन में मर-मर कर पैबंद टाँकता <br />कोई बिलख-बिलख ईस्वर से बस मौत की भीख मागता .prem ballabh pandeyhttps://www.blogger.com/profile/16202190259689692899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-59685928976898361172010-01-24T18:41:39.672+05:302010-01-24T18:41:39.672+05:30बच्चे से पढाया .. यही तरीका तो गजब ढाता है ..
'...बच्चे से पढाया .. यही तरीका तो गजब ढाता है ..<br />'' नाली में तैरते कागज की नाव को खोलकर<br />पढ़ने लगता है उसका बेटा<br />प्रकृती सभी को सामान रूप से बांटती है<br />धूप, हवा और पानी. '' <br />...... सुन्दर कविता ... आभार ,,,Amrendra Nath Tripathihttps://www.blogger.com/profile/15162902441907572888noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-90410142400436126392010-01-24T17:38:29.174+05:302010-01-24T17:38:29.174+05:30आपके ब्लॉग पर आकर आपकी पहले की रचनाएँ पढ़ी ...एक भ...आपके ब्लॉग पर आकर आपकी पहले की रचनाएँ पढ़ी ...एक भावुक कवि जो प्रकृति की सुन्दरता में जीवन के यथार्थ के बिम्बों को तलाशता है...हवा धूप पानी पत्थर से छायावादी या सौंदर्य परक काव्य आसानी से रचा जा सकता है ...आपने कठोर यथार्थ को अभिव्यक्त किया जो अपेक्षाकृत कठिन काम है.प्रकाश पाखीhttps://www.blogger.com/profile/09425652140872422717noreply@blogger.com