tag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post6267830246790365866..comments2024-02-11T13:55:34.165+05:30Comments on बेचैन आत्मा: 'धूमिल' की धूम देवेन्द्र पाण्डेयhttp://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comBlogger17125tag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-52866861640889218292013-11-30T18:57:41.796+05:302013-11-30T18:57:41.796+05:30सुदामा जी के इस प्रभावी रचना से मन मुग्ध हो गया है...सुदामा जी के इस प्रभावी रचना से मन मुग्ध हो गया है । उन्हें जन्मदिन की हार्दिक बधाई पहुँचे । <br /><br />बनारस में इतने साहित्यकार जन्म लिए और अपनी रचना से देश -विदेश में ऐसी धूम मचाई कि काशी की मिट्टी में साहित्य की सुगंध आती है । <br /><br />सुन्दर प्रस्तुति और सुदामा जी की रचना पढ़वाने के लिए आपका हार्दिक आभार !! <br />विनोद कुमार पांडेयhttps://www.blogger.com/profile/17755015886999311114noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-81910552209810121232013-11-14T17:35:00.209+05:302013-11-14T17:35:00.209+05:30देवेंद्र जी प्रणाम। आपने धूमिल पर लिखा आलेख पढा आभ...देवेंद्र जी प्रणाम। आपने धूमिल पर लिखा आलेख पढा आभार, और उस बहाने आपके ब्लॉग पर दुबारा धूमिल की कविता पढने का बी सौभाग्य पाया। साहित्य और समीक्षा डॉ. विजय शिंदेhttps://www.blogger.com/profile/18249451298672443313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-36722379579937624642013-11-13T08:20:44.715+05:302013-11-13T08:20:44.715+05:30हर जूते में एक आदमी है , या हर आदमी का अपना जूता ज...हर जूते में एक आदमी है , या हर आदमी का अपना जूता जिसमे वह जुता है !<br /> बेहतरीन रचना पढ़वाने का आभार !वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-41755343291267868622013-11-12T14:13:48.957+05:302013-11-12T14:13:48.957+05:30निशब्द कर दिया इस कविता ने । लम्बी होने के बावजूद ...निशब्द कर दिया इस कविता ने । लम्बी होने के बावजूद अंत तक बाँधे रही । शुक्रिया आपका इसको साझा करने का |इमरान अंसारी https://www.blogger.com/profile/01005182448449326178noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-46820425986362730872013-11-12T13:30:33.362+05:302013-11-12T13:30:33.362+05:30जीवन के कडुवे सच को अपने शब्दों में उतारना धूमिल ज...जीवन के कडुवे सच को अपने शब्दों में उतारना धूमिल जी की खासियत रही है ... <br />मज़ा आया पढ़ के इसे .. आभार ....दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-78065078741287276852013-11-11T23:02:50.164+05:302013-11-11T23:02:50.164+05:30कमाल के जीव हैं! धूमिल की कविता मंच से सुनाकर निकल...कमाल के जीव हैं! धूमिल की कविता मंच से सुनाकर निकल जाते हैं!!! यूँ नहीं घटा मंचीय कवि सम्मेलन का स्तर।देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-52663466459494072172013-11-11T20:52:06.647+05:302013-11-11T20:52:06.647+05:30काश यह कविता मैंने दो वर्ष पहले पढली होती । मुझे य...काश यह कविता मैंने दो वर्ष पहले पढली होती । मुझे याद है एक काव्य गोष्ठी में किसी ने यही कविता पढकर बडी वाहवाही लूटी थी । ग्वालियर में ऐसी कविता लिखने वाला कोई है यह जानकर मैं अभिभूत हो उठी थी । बहुत चाहने पर भी उनसे पता व फोन न. न ले सकी । काश ले लिया होता । कमाल की कविता है ।गिरिजा कुलश्रेष्ठhttps://www.blogger.com/profile/07420982390025037638noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-875624707246911772013-11-11T13:58:38.233+05:302013-11-11T13:58:38.233+05:30धूमिल जी को पढ़ना अच्छा लगा.. ..धूमिल जी को पढ़ना अच्छा लगा.. ..Amrita Tanmayhttps://www.blogger.com/profile/06785912345168519887noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-79313201668552599752013-11-11T09:17:52.116+05:302013-11-11T09:17:52.116+05:30पहली बार पढ़ी है , आभार !पहली बार पढ़ी है , आभार !Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-16806591812713196552013-11-10T18:52:16.373+05:302013-11-10T18:52:16.373+05:30 मशहूर रचना है उनकी मशहूर रचना है उनकी Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-56774471189585106972013-11-10T18:40:02.356+05:302013-11-10T18:40:02.356+05:30अद्भुत रचना!!अद्भुत रचना!!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-77958119237215344472013-11-10T15:32:41.134+05:302013-11-10T15:32:41.134+05:30बहुत प्रभावी रचना बहुत प्रभावी रचना Onkarhttps://www.blogger.com/profile/15549012098621516316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-35765566268220967072013-11-10T13:05:51.423+05:302013-11-10T13:05:51.423+05:30सुन्दर प्रस्तुति-
सादर नमन आदरणीय कविश्रेष्ठ के श्...सुन्दर प्रस्तुति-<br />सादर नमन आदरणीय कविश्रेष्ठ के श्री चरणों में-<br />आभार आपका-रविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-29367684152409478742013-11-10T10:52:49.432+05:302013-11-10T10:52:49.432+05:30आदमी खुद अपने पैर के जुते बन गए ...विचित्र दशा
न...आदमी खुद अपने पैर के जुते बन गए ...विचित्र दशा <br />नई पोस्ट <a href="http://www.kpk-vichar.blogspot.in/2013/11/blog-post_10.html#comment-form" rel="nofollow"> काम अधुरा है</a>कालीपद "प्रसाद"https://www.blogger.com/profile/09952043082177738277noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-26570510472501516342013-11-10T10:51:51.155+05:302013-11-10T10:51:51.155+05:30"भविष्य गढ़ने में, चुप और चीख
अपनी अपनी जगह ए..."भविष्य गढ़ने में, चुप और चीख <br />अपनी अपनी जगह एक ही किस्म से <br />अपना अपना फ़र्ज़ अदा करते है"<br />***<br />Thanks for sharing the poem with us!<br />regards,अनुपमा पाठकhttps://www.blogger.com/profile/09963916203008376590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-39092926588564438042013-11-10T10:37:35.834+05:302013-11-10T10:37:35.834+05:30मोचिराम के द्वारा जीवन की सच्चाई को बयान करती रचना...मोचिराम के द्वारा जीवन की सच्चाई को बयान करती रचना !!<br />बहुत बहुत बधाई !विकास सोनीhttps://www.blogger.com/profile/02698704132870085265noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-15659424717163539952013-11-10T10:02:07.849+05:302013-11-10T10:02:07.849+05:30सुदामा पांडे धूमिल की इस कविता को पढवाने के लिए बह...सुदामा पांडे धूमिल की इस कविता को पढवाने के लिए बहुत बहुत आभार ! सचमुच आग सबको जलाती है कुछ को आदत पड़ जाती है जलने की..कुछ चिल्लाते हैं..चुप या चीख दोनों ही तो सच है आज के ज़माने का...Anitahttps://www.blogger.com/profile/17316927028690066581noreply@blogger.com