tag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post7453522357398490796..comments2024-02-11T13:55:34.165+05:30Comments on बेचैन आत्मा: फेसबुक में विवाह देवेन्द्र पाण्डेयhttp://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comBlogger23125tag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-47287213232021338032018-07-10T17:17:56.505+05:302018-07-10T17:17:56.505+05:30अपने ब्लॉग से इधर आया....वहां भी ये लिंक दिया था, ...अपने ब्लॉग से इधर आया....वहां भी ये लिंक दिया था, याद भी नहीं था... ब्लॉग वाले दिन थे वो.... Shekhar Sumanhttps://www.blogger.com/profile/02651758973102120332noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-78172238937382280112012-10-15T19:25:13.483+05:302012-10-15T19:25:13.483+05:30सुज्ञ जी के विचार आपसे भिन्न हैं।सुज्ञ जी के विचार आपसे भिन्न हैं।देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-68276352326675984502012-10-15T19:23:27.115+05:302012-10-15T19:23:27.115+05:30माना जाता है कि यह समझौता है। समझाया जाता है कि यह...माना जाता है कि यह समझौता है। समझाया जाता है कि यह पवित्र है। मन भी चाहता है कि इस पर विश्वास करें लेकिन दिल दहल जाता है जब हकीकत में देखने को मिलता है कि कदम-कदम पर इस समझौते के हर शर्तों की धज्जियाँ उड़ाई जाती हैं। इसकी पवित्रता पर भौतिकता की नज़र लग गई है सुज्ञ जी। देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-19865014751640679792012-10-15T19:12:07.853+05:302012-10-15T19:12:07.853+05:30नितांत व्यक्तिगत निर्णय है लेकिन यह समाज तो हाय तौ...नितांत व्यक्तिगत निर्णय है लेकिन यह समाज तो हाय तौबा मचायेगा ही। कोई शुभेच्छा से, कोई कलुषित मानसिकता से। समाज अभी व्यक्तिगत निर्णय की स्वतंत्रता देने की स्थिति में नहीं है। अभी तराजू के पलड़े बराबर नहीं हुए। आपने सही लिखा कि यह एक दिन में नहीं होगा इसके लिए लम्बी प्रतीक्षा करनी पड़ेगी। <br />देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-11964650939391510372012-10-15T18:55:56.564+05:302012-10-15T18:55:56.564+05:30अभी दो ब्लॉग लिंक पोस्ट के साथ जोड़ दिया हूँ। लिख ...अभी दो ब्लॉग लिंक पोस्ट के साथ जोड़ दिया हूँ। लिख दिया ताकि याद हो कब जोड़ा!:)देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-13076357933411074932012-10-15T18:38:33.823+05:302012-10-15T18:38:33.823+05:30रचना जी ने इस विमर्श में इस लिंक को शामिल किया था ...रचना जी ने इस विमर्श में इस लिंक को शामिल किया था जो गलती से डिलीट हो गया....<br /><br />http://indianwomanhasarrived.blogspot.in/2012/10/blog-post_14.html<br /><br />मैने यह लिंक पढ़ा। यहाँ भी लड़कियों को आत्मनिर्भर बनाने पर जोर दिया गया है। ये पंक्तियाँ अच्छी लगीं....<br /><br />हर स्त्री को आत्म निर्भर हो कर अपनी रोजी रोटी का जुगाड़ करना आना चाहिये उसके बाद आप किस के साथ और कैसे इस रोटी को बाँट कर खाए ये आप पर निर्भर करेगा ।देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-85714483185791191092012-10-15T14:28:31.574+05:302012-10-15T14:28:31.574+05:30बढ़िया विमर्श । भई शादी वही लड्डू है जो खाए पछताए ...बढ़िया विमर्श । भई शादी वही लड्डू है जो खाए पछताए जो न खाए पछताए :-)इमरान अंसारी https://www.blogger.com/profile/01005182448449326178noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-30940050055201803952012-10-15T12:56:36.830+05:302012-10-15T12:56:36.830+05:30sorry - i do not have transliteration, so i am com...sorry - i do not have transliteration, so i am commenting in english, bcoz such a long roman comment seems unreadable :(<br /><br />i think, whether to enter into marriage or not is each individual's decision, not a social one. i don't think marriage is just for "aarthik suraksha" or "budhape ka saath". it is for love, family, kids, happiness, shared joys, shared sorrows, extended families like mom and daughters in law, and sons and fathers in law, and so on.... it is for day to day life, not for an unseen emergency. it is definitely NOT about being the boss of another humans life. there is a difference between "living" and "existing".<br /><br />but yes - if one DOES choose to enter this relation, then one has a moral binding to respect the conditions involved with it - being mutual caring, loyalty, and so on.<br /><br />we humans are neither animals nor devas. we are in between the two stages. we created this institution of marriage as the best option before us for the survival of our race with certain moral and ethical bindings and security, with our evolution.<br /><br />if this institution of marriage is not going to meet the moral / physical / social etc. needs of the human race, it will get dissolved in another million or so years in the process of evolution, the way our appendix has almost disappeared. and it is not going to happen in one day.<br /><br />i don't understand why so much hue and cry is needed about this. if a man / woman who is independent chooses not to marry - it is purely his / her own decision. on the same token, if one wants to marry, it is again their own decision. it is none of the samaj ke thekedar's business to interfere either way. <br /><br />today i read in the latest post at pittpat blog : swatantrata yadi thopi jaaye to daasatv ban jaatee hai...Shilpa Mehta : शिल्पा मेहताhttps://www.blogger.com/profile/17400896960704879428noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-69690187776363034342012-10-15T12:36:31.292+05:302012-10-15T12:36:31.292+05:30आराधना का वो स्टेटस जब देखा तब तक 70 कमेंट्स हो चु...आराधना का वो स्टेटस जब देखा तब तक 70 कमेंट्स हो चुके थे,सोचा फुर्सत से पढूंगी,पर उतनी फुर्सत मिली नहीं।<br />अच्छा है आपने कुछ टिप्पणियों को यहाँ संकलित किया।<br />लोगो के अलग-अलग विचार जानने को मिले। <br /><br />शादी तो जरूर करनी चाहिए,पर किसी समझौते के तहत नहीं।<br />पर अफ़सोस है,हमारे समाज में होता यही है। <br />एक साथी (companion) के लिए शादी नहीं की जाती बल्कि इसलिए की जाती है या ये कहना ठीक होगा कि माता-पिता द्वारा कर दी जाती है कि पति धनोपार्जन करेगा और पत्नी घर और बच्चे संभालेगी। <br /><br />दोनों के मन में भी यही बात रहती है पति अक्सर खुद को पालक के रोल में ही देखता है। और पत्नी भी यही समझती है।<br />दोनों एक साथी या दोस्त की तरह नहीं रहते।<br />अब धीरे धीरे परिवर्तन हो रहा है पर बस महानगरों और बड़े शहरों में ही बाकी जगह अब भी यही स्थिति है। rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-81434947539688806192012-10-14T21:01:10.432+05:302012-10-14T21:01:10.432+05:30पूर्णतया सहमत हूँ। विवाह को लड़कियों का कैरियर नही...पूर्णतया सहमत हूँ। विवाह को लड़कियों का कैरियर नहीं माना जाना चाहिए। आत्मनिर्भर बनाना, कैरियर बना चुकने के पश्चात सही साथी की तलाश में सहयोग प्रदान करना ही एक मात्र लक्ष्य होना चाहिए। सुंदर प्रतिक्रिया के लिए प्रेम बल्लभ पाण्डेय जी का आभार।देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-10299642767913067942012-10-14T18:50:42.643+05:302012-10-14T18:50:42.643+05:30अच्छा संकलन ताकि सनद रहे ...मैंने वो पोस्ट लिख भी ...अच्छा संकलन ताकि सनद रहे ...मैंने वो पोस्ट लिख भी डाली !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-15210605170855617802012-10-14T18:26:55.471+05:302012-10-14T18:26:55.471+05:30जी, मेरा मंतव्य इसी बात को आगे लाना था कि क्या लड़...जी, मेरा मंतव्य इसी बात को आगे लाना था कि क्या लड़कियों के लिए विवाह भी एक कैरियर के रूप में माना जाना चाहिए? आज जबकि हम देख रहे हैं कि दहेज और घरेलू हिंसा जैसे कारणों से विवाह टूटते हैं, तो लड़कियाँ असहाय हो जाती हैं क्योंकि हम उन्हें इस ढंग से पालते हैं कि विवाह उनके लिए एक कैरियर की तरह होता है. यदि लड़कियों को आत्मनिर्भर बनाया जाय और विवाह का आधार मात्र प्रेम रखा जाय, तो ये स्थिति न आये...<br />पर अफ़सोस कि मेरे मंतव्य को कोई नहीं समझा. विवाह की अनिवार्यता और विवाह के स्वरूप पर चर्चा होने लगी. खैर, कोई बात नहीं.muktihttps://www.blogger.com/profile/17129445463729732724noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-80940050421298994492012-10-14T17:20:02.692+05:302012-10-14T17:20:02.692+05:30धन्यवाद, आपके सौजन्य से ’फ़ेसबुक में विवाह’ देख पा...धन्यवाद, आपके सौजन्य से ’फ़ेसबुक में विवाह’ देख पाये:)संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-76097485734805417702012-10-14T13:22:02.946+05:302012-10-14T13:22:02.946+05:30आराधना मुक्ति ने कैरियर की बात उठाई है,क्या शादी क...आराधना मुक्ति ने कैरियर की बात उठाई है,क्या शादी करने को कैरियर कहा जा सकता है ? मगर ये दुःख की बात है की लडकियों के साथ यैसा ही सोचा जाता है.prem ballabh pandeyhttps://www.blogger.com/profile/16202190259689692899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-78505661190333106192012-10-14T13:21:11.122+05:302012-10-14T13:21:11.122+05:30@ इस प्रकार विवाह एक समझौता ही होगा.....
बेशक वि...@ इस प्रकार विवाह एक समझौता ही होगा.....<br /><br /><br />बेशक विवाह सँस्था एक समझौता ही है. उभयपक्ष की पारस्परिक सुविधा व सहमति का समझौता. यहाँ सँघर्ष अथवा किसी एक की जीत के लिए कोई स्थान नही है. सारी समस्या ही इस पवित्र समझौते को मजबूरी के अर्थ मे समझौता मानने से है. स्वार्थी मानसिकता सदैव शोषण के सँदेह मे ही जीती है, स्वार्थ एक तरफा सुविधाएँ खोजता/चाहता है. अगर हम स्वार्थमय जीत की ही अपेक्षा करे तो निश्चित ही असफल होँगे. जिनकी मात्र अधिकारो पर काकदृष्टि जमी रहती है जबकि इस पावन समझौते मे केवल विश्वास और कर्तव्य के अनुबँध ही निश्चित है जिसका का ईमानदारी से पालन अनिवार्य है इस अनुबँध मेँ स्वार्थ के समर्थन मेँ कोई धारा नही है. जिन्हेँ समझौता शब्द मे ही हीनता का अहसास हो उनका जीवन निरंतर घर्षण मे ही व्यतीत होना निश्चित है.सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-6969491670884412512012-10-14T10:00:55.601+05:302012-10-14T10:00:55.601+05:30पता नहीं,मेरा तो सिर्फ यही कहना है- मैं जिंदगी का ...पता नहीं,मेरा तो सिर्फ यही कहना है- मैं जिंदगी का साथ निभाता यला गया।देवेंद्रhttps://www.blogger.com/profile/13104592240962901742noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-388011811908373622012-10-14T09:51:57.990+05:302012-10-14T09:51:57.990+05:30जहाँ प्रेम,विश्वास और ईमानदारी बरकरार है वहीं कोई ...जहाँ प्रेम,विश्वास और ईमानदारी बरकरार है वहीं कोई भी संबंध टिका रह सकता है। जिस पल यह खत्म हुआ उसी समय से जंगल का कानूल लागू हो जाता है..जिसकी लाठी उसकी भैंस। फिर कोई भी किसी से कम नहीं है चाहे वह पुरूष हो या फिर स्त्री। वर्तमान में यह लाठी पुरूषों के पास होने के कारण स्त्रियों पर शोषण दिखाई देता है। प्रेम और आपसी विश्वास की नींव जब दरकने लगती है तो उसी पल विवाह की जरूरत अधिक महसूस होती है। क्योंकि यहाँ दो कुटुंब संबल बन खड़े होते हैं। दोनो मिलकर प्रयास करते हैं कि विवाहित जोड़े के मध्य जो शंकाएं उपजी हैं उसका समाधान कर दिया जाय। जरूरी नहीं कि दोनो मिलकर ईमानदार प्रयास ही करें, सफल ही हों लेकिन एक संभावना तो रहती ही है कि ये आपसी संबंधों को फिर से मजबूती प्रदान करेंगे। देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-40302428951298598452012-10-14T01:12:19.638+05:302012-10-14T01:12:19.638+05:30विवाह समाज की आवश्यकता है .....एक सुव्यवस्था है......विवाह समाज की आवश्यकता है .....एक सुव्यवस्था है....प्रेम और पारस्परिक विश्वास पर आधारित वह प्रासाद है जो स्त्री-पुरुष दोनों को सुरक्षा का वचन देता है। किंतु आज के परिवेश में पाण्डेय जी की बात अधिक व्यावहारिक है। बस्तर की अभिव्यक्ति जैसे कोई झरनाhttps://www.blogger.com/profile/11751508655295186269noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-40399511288917962892012-10-13T16:14:47.814+05:302012-10-13T16:14:47.814+05:30मैने आपका मंतव्य शुरू में ही ज्यों का त्यों लिख दि...मैने आपका मंतव्य शुरू में ही ज्यों का त्यों लिख दिया है। प्रेम और विश्वास ही विवाह को संबल प्रदान करते हैं। हकीकत यह भी है कि विवाहोपरांत वैवाहिक संबंधों पर अर्थ असरकारी प्रभाव दिखाना शुरू करता है। इसलिए आवश्यक है कि लड़कियाँ शिक्षित हों, अपने पैर पर खड़ी हों, पैसे के लिए पति पर आश्रित न हों। कालांतर में यदि किसी कारणवश प्रेम घटा। मानवीय लोभ और स्वार्थ हावी हुआ तो वे उसका मुकाबला कर सकें। पति से आर्थिक सुरक्षा की गारंटी लेने से अच्छा है, स्वयम सबल हों। देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-60812804347620868132012-10-13T15:52:30.351+05:302012-10-13T15:52:30.351+05:30हाँ, वहाँ पर विवाह के विषय में आये बहुत से कमेन्ट ...हाँ, वहाँ पर विवाह के विषय में आये बहुत से कमेन्ट एक अच्छा संकलन है कि भिन्न-भिन्न लोग विवाह के विषय में क्या सोचते हैं? मेरा भी यही कहना है कि विवाह का अर्थ है- साथ रहने और प्यार को महसूस करने की इच्छा की सामाजिक स्वीकृत. विवाह लड़कियों के लिए इसलिए आवश्यक नहीं होना चाहिए कि उनकी सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित होती है और लड़कों के लिए इसलिए ज़रूरी नहीं कि उनके लिए खाना बनाने और घर संभालने वाली मिल जायेगी. विवाह का आधार प्रेम होना चाहिए, चाहे वो अपनी मर्ज़ी से विवाह के पूर्व हुआ हो या माँ-बाप की मर्ज़ी से विवाह करने के बाद धीरे-धीरे हो...शेष सभी बातें विवाह की आवश्यक शर्त नहीं हैं, हाँ उससे अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ी ज़रूर हैं. muktihttps://www.blogger.com/profile/17129445463729732724noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-482065943871216022012-10-13T09:51:27.563+05:302012-10-13T09:51:27.563+05:30सहजीवन बिना समाज में निर्वाह नहीं, उसे कुछ ऐसा स्व...सहजीवन बिना समाज में निर्वाह नहीं, उसे कुछ ऐसा स्वरूप मिले जिससे उसमें स्थायित्व रहे। इसे विवाह का नाम दिया गया है। हर संबंधों की तरह इसमें भी समस्यायें होती हैं, उन्हें सुलझाना हो, वही उचित है। प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-54091260760089389032012-10-13T06:58:05.396+05:302012-10-13T06:58:05.396+05:30अच्छा विवाह-सूत्र संकलन है। अच्छा विवाह-सूत्र संकलन है। अनूप शुक्लhttps://www.blogger.com/profile/07001026538357885879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-41742955943144452142012-10-12T22:30:50.750+05:302012-10-12T22:30:50.750+05:30बहुत ख़ूब वाह!
आपकी नज़रे-इनायत इसपर भी हो-
रात ...बहुत ख़ूब वाह!<br /><br />आपकी नज़रे-इनायत इसपर भी हो-<br /><br /><a href="http://cbmghafil.blogspot.in/2012/10/blog-post_12.html" rel="nofollow"><b>रात का सूनापन अपना था</b></a><br />चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’https://www.blogger.com/profile/01920903528978970291noreply@blogger.com