आज रविवार है, नववर्ष के पूर्व का अंतिम रविवार। सिगरेट के आखिरी कश सा प्यारा... अंतिम रविवार। मैं आज आप सभी को नववर्ष की बधाई देता हूँ। वर्ष दो हजार दस आप सभी के लिए मंगलमय हो। आप सभी ने मेरे पिछले रविवारीय पोस्ट "यह गहरी झील की नावें....." को सराहा, इसके लिए मैं सभी का शुक्रिया अदा करता हूँ। मुझे पूर्ण विश्वास है कि आप सभी का स्नेह नववर्ष में भी मुझे मिलता रहेगा । प्रस्तुत है आज की पोस्ट:-
बधाई देने....
प्रथम मास के
प्रथम दिवस की
उषा किरण बन
मैं आउंगा बधाई देने नए वर्ष की
तुम अपने कमरे की खिड़कियाँ खुली रखना।
हौले से आ जाउंगा तुम्हारी खिड़कियों से
तुम्हारी उंनिदी पलकों को सहलाकर
चूमकर अधरों को
फैल जाउंगा तुम्हारे कानों तक
तुम अपनी बाहें फैलाकर मेरा एहसास करना
मैं धूप बन लिपट जाउंगा
तुम्हारे संपूर्ण अंग से
तुम देर तक पीते रहना मुझे
चाय की चुश्कियों में............
मैं आउंगा बधाई देने नए वर्ष की
तुम अपने कमरे की खिड़कियाँ खुली रखना।