13.9.10
आग
नदी के किनारे
'और' आग तलाशते
एक युवक से
बुझी हुई राख ने कहा-
हाँ !
बचपन से लेकर जवानी तक
मेरे भीतर भी
यही आग थी
जो आज
तुम्हारे पास है।
बचपन में यह आग
दिए की लौ के समान थी
जो 'इन्कलाब जिंदाबाद' के नारे को
'तीन क्लास जिंदाबाद' कहता था
और समझता था
कि आ जाएगी एक दिन 'क्रांति'
बन जाएगी अपनी
टपकती छत !
किशोरावस्था में यह आग और तेज हुई
जब खेलता था क्रिकेट
शहर की गलियों में
तो मन करता था
लगाऊँ एक जोर का छक्का
कि चूर-चूर हो जाएँ
इन ऊँची-ऊँची मिनारों के शीशे
जो नहीं बना सकते
हमारे लिए
खेल का मैदान !
युवावस्था में कदम रखते ही
पूरी तरह भड़क चुकी थी
यह आग
मन करता था
नोंच लूँ उस वकील का कोट
जिसने मुझे
पिता की मृत्यु पर
उत्तराधिकार प्रमाणपत्र के लिए
सात महिने
कचहरी का चक्कर लगवाया !
तालाब के किनारे
मछलियों को चारा खिलाते वक्त
अकेले में सोंचता था
कि बना सकती हैं ठहरे पानी में
अनगिन लहरियाँ
आंटे की एक छोटी गोली
तो मैं क्यों नहीं ला सकता
व्यवस्था की इस नदी में
उफान !
मन करता था
कि सूरज को मुठ्ठी में खींचकर
दे मारूँ अँधेरे के मुँह पर
ले !
चख ले धूप !
कब तक जुगनुओं के सहारे
काटेगा अपनी रातें !
हाँ
यही आग थी मेरे भीतर भी
जो आज
तुम्हारे पास है।
नहीं जानता
कि कब
किस घाट पर
पैर फिसला
और डूबता ही चला गया मै भी।
जब तक जिंदा रहा
मेरे गिरने पर
खुश होते रहे
मेरे अपने
जब मर गया
तो फूँककर चल दिए
यह बताते हुए कि
राम नाम सत्य है।
(हिंद-युग्म में प्रकाशित)
11.9.10
ईद मुबारक।
गगन में ईद का, घर में
तीज का चाँद निकला है
आज भारत में घूम कर देखो
हर तरफ चाँद निकला है
...ईद मुबारक।
5.9.10
जंगल राज में शिक्षा व्यवस्था
आज शिक्षक दिवस है। हमारे देश-प्रदेश में शिक्षा के प्रति सभी खूब जागरूक हैं। जहाँ शिक्षक पूरी निष्ठा एवं लगन से विद्यार्थियों को शिक्षित करने में लगे हैं वहीं विद्यार्थी भी तन-मन से अध्ययनरत हैं। शासकीय एवं प्रशासनिक स्तर पर भी शिक्षा के क्षेत्र में खूब ईमानदारी देखने को मिलती है। अधिकारी-कर्मचारी मनोयोग से रात-दिन मेहनत कर रहे हैं। परिणाम भी आप सभी के सामने है लेकिन अचानक से मेरे दिमाग में एक खयाल आया कि इन दो पायों से इतर, जरा जंगल में घूमा जाय और वहाँ कि शिक्षा-व्यवस्था पर ध्यान दिया जाय ! मैने कल्पना किया कि यदि जंगल राज हो तो वहाँ की शिक्षा व्यवस्था कैसी होगी। इन्हीं सब कल्पनाओं पर आधारित, प्रस्तुत है एक व्यंग्य रचना जिसका शिर्षक है....
जंगल राज में शिक्षा व्यवस्था
कीचड़ में फूल खिला
जंगल में स्कूल खुला
चिडि़यों ने किया प्रचार
आज का ताजा समाचार
हम दो पायों से क्या कम !
स्कूल चलें हम, स्कूल चलें हम।धीरे-धीरे सभी स्कूल जाने लगे
जानवरों में भी
दो पायों के अवगुन आने लगे !
हंसों ने माथा पटक लिया
जब लोमड़ी की सलाह पर
भेड़िए ने
प्रबंधक का पद झटक लिया !
जंगल के राजा शेर ने
एक दिन स्कूल का मुआयना किया
भेड़िए ने
अपनी बुद्धि-विवेक के अनुसार
राजा को
सभी का परिचय दिया.....
आप खरगोशों को ऊँची कूद
घोड़ों को लम्बी कूद
चीटियों को कदमताल कराते हैं
नींद अज़गरी
रूआब अफ़सरी
परीक्षा में बाजीगरी दिखाते हैं
आप हमारे
प्रधानाचार्य कहलाते हैं !
भेड़िया आगे बढ़ा...
आपका बड़ा मान है, सम्मान है
आपका विषय गणित और विज्ञान है
आप स्कूल से ज्यादा घर में व्यस्त रहते हैं
क्योंकि घर में आपकी
कोचिंग की दुकान है !
शेर अध्यापकों से मिलकर बड़ा प्रसन्न था
वहीं एक कौए को देखकर पूछा-
इनका यहाँ क्या काम ?
भेड़िए ने परिचय दिया....
आप हमारे संगीत अध्यापक हैं श्री मान !
इनकी बोली भले ही कर्कश हो
आधुनिक संगीत में बड़ी मांग है
इन्होने जिस सांग का सृजन किया है
उसका नाम 'पॉप सांग' है !
शेर ने कोने में खड़े एक अध्यापक को दिखाकर पूछा-
ये सबसे दुःखी अध्यापक कौन हैं ?
जबसे खड़े हैं तब से मौन हैं !
भेड़िए ने परिचय दिया....
ये हिन्दी के अध्यापक हैं
कोई इनकी कक्षा में नहीं जाता
हिन्दी क्यों जरूरी है
यह भेड़िए की समझ में नहीं आता !
शेर ने पूछा...
वे प्रथम पंक्ति में बैठे बगुले भगत यहाँ क्या करते हैं ?
मैने देखा, सभी इनसे डरते हैं !
भेड़िए ने कहा.....
इनसे तो हम भी डरते हैं !
ये बड़े कलाकारी हैं
आपके द्वारा नियुक्त
शिक्षा अधिकारी हैं !
शेर ने कहा-
अरे, नहीं S S S..
ये बड़े निरीह प्राणी होते हैं
इनसे डरने की जरूरत नहीं है
तुम्हारे सर पर हमारा हाथ है
तुमसे टकरा सकें
इतनी इनकी जुर्रत नहीं है।
परिचय के बाद
दावत का पूरा इंतजाम था
शेर को 'ताजे मेमने' का गोश्त व 'बकरियाँ' इतनी पसंद आईं
कि उसने भेड़िए को
गले से लगा लिया
बगुलों को ईमानदारी से काम करने की नसीहत दी
स्कूल में चार-चाँद लगाने का आश्वासन दिया
और पुनः आने का वादा कर चला गया।
जाते-जाते
रास्ते भर सोचता रहा...
तभी कहूँ
ये दो पाए
स्कूल खोलने पर
इतना जोर क्यों देते हैं !
शेर अध्यापकों से मिलकर बड़ा प्रसन्न था
वहीं एक कौए को देखकर पूछा-
इनका यहाँ क्या काम ?
भेड़िए ने परिचय दिया....
आप हमारे संगीत अध्यापक हैं श्री मान !
इनकी बोली भले ही कर्कश हो
आधुनिक संगीत में बड़ी मांग है
इन्होने जिस सांग का सृजन किया है
उसका नाम 'पॉप सांग' है !
शेर ने कोने में खड़े एक अध्यापक को दिखाकर पूछा-
ये सबसे दुःखी अध्यापक कौन हैं ?
जबसे खड़े हैं तब से मौन हैं !
भेड़िए ने परिचय दिया....
ये हिन्दी के अध्यापक हैं
कोई इनकी कक्षा में नहीं जाता
हिन्दी क्यों जरूरी है
यह भेड़िए की समझ में नहीं आता !
शेर ने पूछा...
वे प्रथम पंक्ति में बैठे बगुले भगत यहाँ क्या करते हैं ?
मैने देखा, सभी इनसे डरते हैं !
भेड़िए ने कहा.....
इनसे तो हम भी डरते हैं !
ये बड़े कलाकारी हैं
आपके द्वारा नियुक्त
शिक्षा अधिकारी हैं !
शेर ने कहा-
अरे, नहीं S S S..
ये बड़े निरीह प्राणी होते हैं
इनसे डरने की जरूरत नहीं है
तुम्हारे सर पर हमारा हाथ है
तुमसे टकरा सकें
इतनी इनकी जुर्रत नहीं है।
परिचय के बाद
दावत का पूरा इंतजाम था
शेर को 'ताजे मेमने' का गोश्त व 'बकरियाँ' इतनी पसंद आईं
कि उसने भेड़िए को
गले से लगा लिया
बगुलों को ईमानदारी से काम करने की नसीहत दी
स्कूल में चार-चाँद लगाने का आश्वासन दिया
और पुनः आने का वादा कर चला गया।
जाते-जाते
रास्ते भर सोचता रहा...
तभी कहूँ
ये दो पाए
स्कूल खोलने पर
इतना जोर क्यों देते हैं !