धोबी के गधे
प्रायः
इस बात से दुखी रहते हैं कि
दूसरे,
उससे कम बोझ क्यों उठाते हैं ?
इस बात से दुखी रहते हैं कि
दूसरे,
उससे कम बोझ क्यों उठाते हैं ?
धोबी, उसी पर
अधिक बोझ क्यों लादता है?
अधिक बोझ क्यों लादता है?
वे
एक दूसरे पर खीझते हैं,
शिकायत करते हैं,
"मेरे ऊपर ही इत्ता बोझ क्यों?
फलाने पर तो कभी नहीं !
ऐसी बातें सुनकर
उसकी तरह बोझ से दुखी
दूसरे गधों को बहुत मजा आता है
लेकिन उसे बहुत बुरा लगता है
जिसकी शिकायत हुई है।
वह धमकाता है..
"खबरदार!
गधे हो,
गधे की तरह रहो,
साँप बनकर डंसना छोड़ दो!"
जिस दिन धोबी
सभी गधों पर समान बोझ लादता है,
उस दिन भी वे खुश नहीं होते!
उनकी खुशी का दिन निश्चित होता है
वे
वे
उस दिन
खुशी के मारे ढेँचू-ढेँचू करने लगते हैं
जब देखते हैं कि
उनका कोई साथी
भारी बोझ तले दबा
दुखी मन से
चला जा रहा है!
वे
अधिक प्रसन्न होते हैं
जब धोबी
उनके ऊपर चढ़कर
सरपट भागता है!
तब वे
खुद को गधा नहीं,
घोड़ा समझते हैं!
उस वक्त
उन्हे इस बात का भी एहसास नहीं रहता कि
ग्राहकों की जेब तो
धोबी ही साफ़ करते हैं
गधे तो
कभी कपड़े का,
कभी धोबी का बोझ ढोने के लिए
पाले जाते हैं!
उस वक्त
उन्हे इस बात का भी एहसास नहीं रहता कि
ग्राहकों की जेब तो
धोबी ही साफ़ करते हैं
गधे तो
कभी कपड़े का,
कभी धोबी का बोझ ढोने के लिए
पाले जाते हैं!
धोबी जानता है
किस गधे को
कब खुश करना है,
कब दुखी।
गधे कभी नहीं जान पाते
आगे बढ़कर
बोझ से लदे
साथी के दुखों को कम करना।
ये जानते हैं
बोझा ढोना,
दुखी होना,
और
साथियों के दुःख से
प्रसन्न होना।
इनका घर
धोबी के संपर्क जाल में रहने वाला
धोबी के संपर्क जाल में रहने वाला
वह खूँटा होता है
जहाँ ये
भूख मिटाने और रात बिताने के लिए
छोड़ दिये जाते हैं!
ये
धोबी के कुत्ते नहीं होते!
इसलिए
घर के भी होते हैं
घाट के भी।
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