बेटियों को पढ़ाने से पहले
सोच लो तुम
पढ़ गयीं तो
ज्ञान की बातें करेंगी रोज तुमसे
सुन सकोगे?
सूर्य को देवता कहते हो तुम तो
आग का गोला कहेंगी!
मान लोगे?
चांद को देवता कहते हो तुम तो
धरती का पुछल्ला कहेंगी!
मान लोगे?
तुम कहोगे
हम सवर्ण!
ढूंढकर पात्र को ही
दान देंगे!
वे कहेंगी
आदमी तो आदमी है
क्या है हिन्दू, क्या है मुस्लिम
शूद्र औ ब्राह्मणों में फ़र्क क्या है?
मान लोगे?
भारत का संविधान
हमने भी पढ़ा है
दान का अधिकार तुमको
किसने दिया है?
क्या तुम्हारी संपत्ति हैं हम?
मान लोगे?
हो गई शादी तो पति की
हर बात को स्वीकार वे कैसे करेंगी?
व्रत धरो, पूजा करो,
हम परमेश्वर! मालिक तुम्हारे!
क्या सहज ही मान लेंगी?
या कहेंगी..
मूर्ख हो तुम!
हक यह तुमको किसने दिया है?
मित्र बन कर रह सको तो रह लो वरना
तलाक देती हूं तुम्हें,
राह कोई और देखो!
साथ फिर भी बेटियों का
दे सकोगे?
बेटियों को पढ़ाने से पहले
मजबूत कर लो अपना कलेजा
खोल लो
आंखें भी अपनी
सोच लो
जान जाएंगी बड़ी होकर
बेटियां
सत्य क्या, अधिकार क्या है!
बेटियों को पढ़ाने से पहले
धर्म और जाति की
दीवारें गिरा दो
पीढ़ियों से आ रही
कुरीतियां मिटा दो
आदमी को बाटने वाले सभी
नारे मिटा दो
छूटते ही कैद से
क्या रुकेंगी?
पंख उनको मिल गए तो
क्या थमेंगी?
नई हवा में झुलस कर
जब गिरेंगी
दर्द उनका फिर भला
कैसे सहोगे?
बेटियों को पढ़ाने से पहले
सोच लो तुम
ज्ञान की बातें करेंगी रोज तुमसे
सुन सकोगे?
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