tag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post3015862978337844984..comments2024-02-11T13:55:34.165+05:30Comments on बेचैन आत्मा: दिमाग तो सात तालों में बंद है.....!देवेन्द्र पाण्डेयhttp://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comBlogger37125tag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-8894276101066562792011-09-30T09:35:23.236+05:302011-09-30T09:35:23.236+05:30दिमाग अगर सात तालों में बंद हो जाता तो कितना अच्छा...दिमाग अगर सात तालों में बंद हो जाता तो कितना अच्छा होता ......................<br />कोई बलबा नहीं ,कोई हुजूम नहीं ,बस एक शांत दिमाग दुनिया की उथल पुथल से बेखबर होता और इंसान कितने सुकून में होता ...............ये इंसान है पूरा दिमाग तिकडमों में लगाता है ..............गलत आचरण करता है और फिर बहाने बनाता है कि दिमाग तो ससुरा .............<br />पर निश्चित ही आपका दिमाग किसी भी ताले में बंद नहीं है इसलिए इतना खूबसूरत लेखन सार्थक हुआ है ........<br />अच्छा तो आप लिखते ही हैneelamhttps://www.blogger.com/profile/00016871539001780302noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-62286283721367751192011-09-29T10:47:20.609+05:302011-09-29T10:47:20.609+05:30भई वाह..................... क्या कटाक्ष है दिमाग आ...भई वाह..................... क्या कटाक्ष है दिमाग आपका तो किसी ताले में नहीं बंद है तभी तो इतना खूबसूरत लेखन सार्थक हुआ .neelamhttps://www.blogger.com/profile/00016871539001780302noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-86277858716122783862011-09-28T10:40:47.892+05:302011-09-28T10:40:47.892+05:30बहुत अच्छी प्रस्तुति।बहुत अच्छी प्रस्तुति।Dr.NISHA MAHARANAhttps://www.blogger.com/profile/16006676794344187761noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-44750050695866664652011-09-20T17:44:00.083+05:302011-09-20T17:44:00.083+05:30वाह गुरु, आप तो गुरुतर, गुरुतम निकले.... बोले तो ग...वाह गुरु, आप तो गुरुतर, गुरुतम निकले.... बोले तो गुरु घंटाल!! क्या फलसफाना अंदाज है आपका...सच में धन्य हुए हम.SKThttps://www.blogger.com/profile/10729740101109115803noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-79864266200499183582011-09-19T20:50:43.539+05:302011-09-19T20:50:43.539+05:30दिमाग पर ताले
किसी और ने नहीं तुम्हीं ने लगाये हैं...दिमाग पर ताले<br />किसी और ने नहीं तुम्हीं ने लगाये हैं<br />इसलिए इनकी चाभियाँ भी<br />तुम्हारे ही पास हैं<br /><br />देखो !<br />अहंकार के तले कहीं दबा होगा<br />मिल जायेगा।<br /><br />....लाजवाब प्रस्तुति। सच है हम अपने आप ही अपने दिमाग पर ताला लगा देते हैं।Kailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-51125220403002182492011-09-19T08:03:43.576+05:302011-09-19T08:03:43.576+05:30behtareen rachna !!!
kabhi kabhi to ye bodh saare...behtareen rachna !!!<br /><br />kabhi kabhi to ye bodh saaree zindagee naheen ho pata shayad ki chabiyan hamare hi pas hain aur tale bhi ham ne hi lagae hain .इस्मत ज़ैदीhttps://www.blogger.com/profile/09223313612717175832noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-30962743506894065862011-09-18T22:12:17.557+05:302011-09-18T22:12:17.557+05:30सुन्दर रचना .काश ! हम अहंकार से दूर हो पाते.
प्रकृ...सुन्दर रचना .काश ! हम अहंकार से दूर हो पाते.<br />प्रकृति ने अहंकार खुद की रक्छ्या करने के लिए दिया,मगर समाज ने अनेक तरह के अहंकार से बडा सा बोझ सर पे रख दिया.prem ballabh pandeyhttps://www.blogger.com/profile/16202190259689692899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-10850897318841706962011-09-18T18:05:36.286+05:302011-09-18T18:05:36.286+05:30गहन चिंतन दर्शाती ये कविता बहुत ही अच्छी लगी | ......गहन चिंतन दर्शाती ये कविता बहुत ही अच्छी लगी | ......आपका बहुत -बहुत धन्यवाद् ....Suresh kumarhttps://www.blogger.com/profile/05489753526784353258noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-48980037335548142862011-09-18T18:05:30.933+05:302011-09-18T18:05:30.933+05:30दिमाग पर ताले
किसी और ने नहीं तुम्हीं ने लगाये हैं...दिमाग पर ताले<br />किसी और ने नहीं तुम्हीं ने लगाये हैं<br />इसलिए इनकी चाभियाँ भी<br />तुम्हारे ही पास हैं<br /><br />देखो !<br />अहंकार के तले कहीं दबा होगा<br />मिल जायेगा।<br /><br />बहुत बढ़िया प्रस्तुति.<br />सादर बधाई.रचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-70503228484674817732011-09-18T15:58:28.937+05:302011-09-18T15:58:28.937+05:30संदेश को जिस खूबसूरती से प्रस्तुत किया है ,बरम्बार...संदेश को जिस खूबसूरती से प्रस्तुत किया है ,बरम्बार सराहनीय है.अहंकार का नाश हो.अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)https://www.blogger.com/profile/11022098234559888734noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-26743690717081401852011-09-18T10:33:16.278+05:302011-09-18T10:33:16.278+05:30पहले तो पता ही नहीं लगता कि अक्ल पर ताले जड़े हैं ...पहले तो पता ही नहीं लगता कि अक्ल पर ताले जड़े हैं . और जिस स्तर पर यह बोध जागा ,एक तो वहाँ तक पहुँचना मुश्किल. पहुँचने पर जिसने चेताया वही असली गुरु .<br />'अप्प दीपो भव' की बहुत सुन्दर व्यंजना !प्रतिभा सक्सेनाhttps://www.blogger.com/profile/12407536342735912225noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-88414076129227433482011-09-18T09:52:25.931+05:302011-09-18T09:52:25.931+05:30BAHUT SUNDAR !BAHUT SUNDAR !meenahttps://www.blogger.com/profile/02602102047676103896noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-80838279222618500752011-09-18T07:45:27.905+05:302011-09-18T07:45:27.905+05:30सच है , अहंकार के ताले ही मतिभ्रम पैदा कर देते है...सच है , अहंकार के ताले ही मतिभ्रम पैदा कर देते हैं। कुंजी हम व्यर्थ तलाशते फिरते हैं।ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-39840419244830489312011-09-18T02:18:14.415+05:302011-09-18T02:18:14.415+05:30http://premchand-sahitya.blogspot.com/
यदि आप को ...http://premchand-sahitya.blogspot.com/<br /><br />यदि आप को प्रेमचन्द की कहानियाँ पसन्द हैं तो यह ब्लॉग आप के ही लिये है |<br />हिन्दी लेखन को बढ़ावा दें | हिन्दी का प्रचार - प्रसार खुद भी करें तथा करने वालों को प्रोत्साहित भी करें |<br /><br />यदि यह प्रयास अच्छा लगे तो कृपया फालोअर बनकर उत्साहवर्धन करें तथा अपनी बहुमूल्य राय से अवगत करायें |अवनीश सिंहhttps://www.blogger.com/profile/10974435719726977104noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-49131194796923953012011-09-18T00:00:11.194+05:302011-09-18T00:00:11.194+05:30सार्थक प्रस्तुति। बात में सच्चाई है।सार्थक प्रस्तुति। बात में सच्चाई है।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-71795224521948278682011-09-17T20:47:29.397+05:302011-09-17T20:47:29.397+05:30बहुत बढ़िया प्रस्तुति ||
आपको हमारी ओर से
सादर ब...बहुत बढ़िया प्रस्तुति ||<br /><br />आपको हमारी ओर से<br /><br />सादर बधाई ||रविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-42031855469977047832011-09-17T17:56:08.879+05:302011-09-17T17:56:08.879+05:30भटकती आत्मा सुना था। खैर बेचैन होती होगी तभी भटकत...भटकती आत्मा सुना था। खैर बेचैन होती होगी तभी भटकती भी होगी। खैर इसका समाधान तो इसमें है कि हम खुद को जीते जी समझ लें।<br /><a href="http://rajey.blogspot.com/2011/09/200.html" rel="nofollow"> अंतिम समाधान?</a>Rajeyshahttps://www.blogger.com/profile/01568866646080185697noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-71563038901266794522011-09-17T17:14:51.911+05:302011-09-17T17:14:51.911+05:30'कस्तूरी कुंडली बसे ,मृग ढूँढे बन माहिं ' ...'कस्तूरी कुंडली बसे ,मृग ढूँढे बन माहिं ' लगभग यही हाल हो गया है छात्र का !लेकिन उसे याद तो गुरूजी ही दिलायेंगे !संतोष त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00663828204965018683noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-71291080750875059582011-09-17T15:54:24.636+05:302011-09-17T15:54:24.636+05:30बढ़िया है भाई जी .बढ़िया है भाई जी .ashishhttps://www.blogger.com/profile/07286648819875953296noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-61688743000451753872011-09-17T15:27:26.338+05:302011-09-17T15:27:26.338+05:30दिमाग पर ताले
किसी और ने नहीं तुम्हीं ने लगाये हैं...दिमाग पर ताले<br />किसी और ने नहीं तुम्हीं ने लगाये हैं<br />इसलिए इनकी चाभियाँ भी<br />तुम्हारे ही पास हैं<br />वाह ...बहुत ही बढि़या ।सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-20951179760150547592011-09-17T14:46:57.543+05:302011-09-17T14:46:57.543+05:30गुरु जी...........आप और आपकी रचनाएँ वाकई अलग हैं.....गुरु जी...........आप और आपकी रचनाएँ वाकई अलग हैं.........कितनी सहजता से आप बात को कितनी गहराई में ले जाते हैं.....आपके ब्लॉग पर पढ़ी उत्कृष्ट रचनाओं में से एक लगी ये पोस्ट............हैट्स ऑफ इसके लिए |Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-49816724868535971222011-09-17T11:58:15.576+05:302011-09-17T11:58:15.576+05:30उचित बात.उचित बात.Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/14612724763281042484noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-29081616553138537302011-09-17T11:33:54.730+05:302011-09-17T11:33:54.730+05:30गुरू जी हंसकर बोले
नहीं नहीं....
तुम्हारा दिमाग का...गुरू जी हंसकर बोले<br />नहीं नहीं....<br />तुम्हारा दिमाग काम नहीं कर रहा इसलिए समझ नहीं रहे<br />तुम्हारी तरह बहुत से लोग ऐसे हैं<br />जो अपनी जेब नहीं तलाशते<br />और मेरे पास आते हैं<br />दिमाग पर ताले<br />किसी और ने नहीं तुम्हीं ने लगाये हैं<br />इसलिए इनकी चाभियाँ भी<br />तुम्हारे ही पास हैं<br /><br />देखो !<br />अहंकार के तले कहीं दबा होगा<br />मिल जायेगा।<br />bahut khoobरश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-41672046313043463972011-09-17T10:21:25.930+05:302011-09-17T10:21:25.930+05:30पांडे जी!
इस दर्शन पर तो सादर खड़े होकर ताली बजाने ...पांडे जी!<br />इस दर्शन पर तो सादर खड़े होकर ताली बजाने को जी कर रहा है!! अद्भुत ज्ञान है यह.. देवता भी मेरे तेरे, प्रार्थना गृह भी मेरे-तेरे के तले और तो और जीवन की चर्या में भी भला उसकी कमीज़ मेरी कमीज़ से सफ़ेद कैसे का भाव!! यह सब हमारे दिमाग की कुंजी को छिपा देते हैं.. आज कोई मजाक नहीं.. बस नमन!!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-19896473313695102612011-09-16T23:35:18.359+05:302011-09-16T23:35:18.359+05:30अहंकार ही ले डूबता है ..सार्थक लेखन ..अहंकार ही ले डूबता है ..सार्थक लेखन ..संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.com