tag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post5543186271277693948..comments2024-02-11T13:55:34.165+05:30Comments on बेचैन आत्मा: बनारसी मस्ती के बीच कवि "कौशिक" की एक ग़ज़लदेवेन्द्र पाण्डेयhttp://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comBlogger39125tag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-30744967701948972812021-09-23T12:49:40.882+05:302021-09-23T12:49:40.882+05:30अब कचौड़ी वाली दादी नहीं रहीं। अब कचौड़ी वाली दादी नहीं रहीं। देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-69085182484009377632021-09-23T12:23:40.516+05:302021-09-23T12:23:40.516+05:30☺️☺️देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-69183816956801046132021-09-23T12:14:28.134+05:302021-09-23T12:14:28.134+05:30ऐसन घुमाई बनारस के...ऐसन घुमाई बनारस के...वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-90627963284762013282011-10-17T00:11:26.341+05:302011-10-17T00:11:26.341+05:30अपनी भाषा में एक ही शब्द कहने का मन है इस पर...
चउ...अपनी भाषा में एक ही शब्द कहने का मन है इस पर...<br />चउचक!!<br /><br />बस एक बात से ऐतराज़ करने को मन होता है, बनारस आहिस्ता-आहिस्ता नहीं जागता, बनारस फुर्सत से बतियाता है। <br />AC में वेंडिंग मशीन नहीं दबाता, कुल्ल्हड़ के सहारे सोंधापन पीता है। <br />दुई ठे (दो नहीं) समोसा खा के दिन भर में अड़तालीस घंटे जीता है। <br /><br />वैसे मेरा भाई पढ़ता तो अधिक खुश होता, हम दोनों में झगडा इस बात पे है कि कि बेहतर क्या है?<br />वो कहता है दादी की जलेबी, जबकि मैं पहलवान के लौंगलते का तलबगार हूँ। :)<br /><br />मन खुश हो गया।Avinash Chandrahttps://www.blogger.com/profile/01556980533767425818noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-23403212398859023822011-10-16T19:00:42.359+05:302011-10-16T19:00:42.359+05:30sahee.....sarwasw khone aur kalash mann ko dubone ...sahee.....sarwasw khone aur kalash mann ko dubone se hi gazal ka janm hota hai.....CS Devendra K Sharma "Man without Brain"https://www.blogger.com/profile/14027886343199459617noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-83368494346723718892011-10-11T16:23:06.442+05:302011-10-11T16:23:06.442+05:30बिल्कुल सही कहा है आपने ...यूं ही नहीं होता गजल क...बिल्कुल सही कहा है आपने ...यूं ही नहीं होता गजल का जनम ... ।सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-59816909792292699952011-10-10T17:24:21.425+05:302011-10-10T17:24:21.425+05:30बनारस देखना बाकी है .शहर बहुत देखें हैं .देश के वि...बनारस देखना बाकी है .शहर बहुत देखें हैं .देश के विदेश के पर बनारस आने का कब से मन है .जब भी वहां के बारे में पढ़ा है या बखान सुना है किसी से इच्छा को पंख लगे हैं .और हाँ कौशिक जी की ग़ज़ल का अपना रंग था जिसे चर्चा ने नै परवाज़ दी .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-57126004503919392752011-10-10T17:22:58.150+05:302011-10-10T17:22:58.150+05:30बनारस देखना बाकी है .शहर बहुत देखें हैं .देश के वि...बनारस देखना बाकी है .शहर बहुत देखें हैं .देश के विदेश के पर बनारस आने का कब से मन है .जब भी वहां के बारे में पढ़ा है या बखान सुना है किसी से इच्छा को पंख लगे हैं .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-26726003887929952692011-10-10T16:16:04.059+05:302011-10-10T16:16:04.059+05:30बहुत ही अच्छी लगी गजल|बहुत ही अच्छी लगी गजल|Patali-The-Villagehttps://www.blogger.com/profile/08855726404095683355noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-43929416504926724032011-10-10T00:03:12.667+05:302011-10-10T00:03:12.667+05:30गुरू, ऐसी पोस्ट लिखो तो फ़िर लंबाई मत देखा करो। बन...गुरू, ऐसी पोस्ट लिखो तो फ़िर लंबाई मत देखा करो। बनारसी मस्ती की सही छटा बिखेर गये, कौशिक गुरूजी की गज़ल भी बहुत सुंदर लगी।संजय @ मो सम कौन...https://www.blogger.com/profile/14228941174553930859noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-52640947942573917432011-10-09T22:16:06.961+05:302011-10-09T22:16:06.961+05:30बनारस कई बार देखा, विरोधाभास से भरा नगर। एक बार वह...बनारस कई बार देखा, विरोधाभास से भरा नगर। एक बार वहाँ नौकरी करने का सन्योग भी बना मगर कुछ व्यक्तिगत कारणों से काशी के बजाय अमेरिका के एक छोटे से शहर आना हुआ। उसके बाद से कभी बनारस नहीं देखा। इत्तेफ़ाक़ ही है कि यह टिप्पणी लिखते समय एक भारतीय चैनल के अंतर्राष्ट्रीय संस्करण में बनारसी बाबू फ़िल्म के गीत पर "बनारसी नौटंकी" का बैनर लगा दिख रहा है। ग़ज़ल और उसका विषय पसन्द आया।Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-22769523067946281922011-10-09T14:55:35.635+05:302011-10-09T14:55:35.635+05:30बनारस का अछ्छा वर्णन कइले हौआ.बहुत से यैसे लोग वहा...बनारस का अछ्छा वर्णन कइले हौआ.बहुत से यैसे लोग वहाँ है,जिन्हे छेड देने पर धाराप्रवाह गाली देने लगते है और इसी कारण लोग उनको छेडकर मजा लेते है.<br />कौशिकजी की रचना सुन्दर है.prem ballabh pandeyhttps://www.blogger.com/profile/16202190259689692899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-49650512867868779132011-10-09T14:36:57.207+05:302011-10-09T14:36:57.207+05:30कई स्वाद से भरा पोस्ट.कई स्वाद से भरा पोस्ट.Amrita Tanmayhttps://www.blogger.com/profile/06785912345168519887noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-42663951854805168672011-10-09T10:06:57.650+05:302011-10-09T10:06:57.650+05:30शानदार प्रस्तुती।शानदार प्रस्तुती।Dr.NISHA MAHARANAhttps://www.blogger.com/profile/16006676794344187761noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-81017673037487292011-10-09T09:50:00.967+05:302011-10-09T09:50:00.967+05:30सुंदर गज़ल और बनारस के किस्से. वाह वाह.सुंदर गज़ल और बनारस के किस्से. वाह वाह.रचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-60816305855405894472011-10-09T09:28:18.924+05:302011-10-09T09:28:18.924+05:30इसे पढ़कर तो बनारस का असली रूप देखने को मिला । अच्...इसे पढ़कर तो बनारस का असली रूप देखने को मिला । अच्छा हुआ बनारस जाने से पहले ही सब कुछ पता चल गया । अब सावधान रहेंगे । न कभी चाय पियेंगे , न पान खायेंगे , न नाव में बैठेंगे , न घाट पर जायेंगे --पर फिर बनारस में करेंगे क्या ।<br /><br />चलिए वहां जाकर ही फैसला करेंगे ।<br />बहुत सुन्दर वर्णन । दर्द भरी ग़ज़ल लिखने के गुर भी सीख लिए ।डॉ टी एस दरालhttps://www.blogger.com/profile/16674553361981740487noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-21356423964055641772011-10-08T23:14:37.276+05:302011-10-08T23:14:37.276+05:30पढ़ कर मजा आ गया..बहुत ही अच्छी लगी गजल...पढ़ कर मजा आ गया..बहुत ही अच्छी लगी गजल...धीरेन्द्र सिंह भदौरिया https://www.blogger.com/profile/09047336871751054497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-70427604073034620792011-10-08T22:52:45.166+05:302011-10-08T22:52:45.166+05:30gajab!!!!banaras hamar sasural aur hindustan ke sa...gajab!!!!banaras hamar sasural aur hindustan ke sabhyata aur asabhyata doono ke janamsthali haoडॉ0 विजय कुमार शुक्ल ‘विजय’https://www.blogger.com/profile/06377031220506773558noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-70762737120727437572011-10-08T22:13:33.675+05:302011-10-08T22:13:33.675+05:30कमाल का वर्णन है। सारे दृश्य सजीव होकर आंखों के सा...कमाल का वर्णन है। सारे दृश्य सजीव होकर आंखों के सामने तैरने लगते हैं।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-71094582754094787222011-10-08T21:59:12.983+05:302011-10-08T21:59:12.983+05:30लो भैया...दौड़ता हुआ आदमी चला गया। लिया का बेचारा।...लो भैया...<b>दौड़ता हुआ आदमी</b> चला गया। लिया का बेचारा। एक कविता देकर ही गया। वैसे लगाने के बाद जब भी हम ब्लॉग खोलते..उसका दौड़ना देखा न जाता। यही वजह है कि उस पर एक कविता लिख दिये। उस पोस्ट तक तो बात ठीक ही लग रही थी। लेकिन अब उसका दौड़ना हमको भी खल रहा था। अनूप जी और सलिल भैया के कमेंट के बाद तो हटाने का उपाय जैसवाल जी से पूछना ही पड़ा। इसी बहाने लगाने-हटाने आ गया, ई का कम है ?देवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-40017411565166262332011-10-08T20:53:19.402+05:302011-10-08T20:53:19.402+05:30काशी का अस्सी की याद हो आई। बनारसी गालीयां तो जैसे...काशी का अस्सी की याद हो आई। बनारसी गालीयां तो जैसे फूल की तरह लगती हैं।सतीश पंचमhttps://www.blogger.com/profile/03801837503329198421noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-12974875802795405072011-10-08T20:12:03.564+05:302011-10-08T20:12:03.564+05:30ऐसा लग रहा हैं वहीं -कहीं घूम रहा हूँ,सचित्र वर्णन...ऐसा लग रहा हैं वहीं -कहीं घूम रहा हूँ,सचित्र वर्णन .कौशिक साहब नें भी क्या उम्दा मारा है.<br />बेहतरीन पोस्ट,आभार.डॉ. मनोज मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07989374080125146202noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-42165250715244244172011-10-08T20:04:25.979+05:302011-10-08T20:04:25.979+05:30बहुत उम्दा गज़ल पढ़वाई..ऐसी ही गज़ल का जन्म होता ह...बहुत उम्दा गज़ल पढ़वाई..ऐसी ही गज़ल का जन्म होता है.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-63554054631127974982011-10-08T19:50:29.501+05:302011-10-08T19:50:29.501+05:30padhkar achha laga...
jai hind jai bharatpadhkar achha laga...<br />jai hind jai bharatSAJAN.AAWARAhttps://www.blogger.com/profile/10975214181930047006noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-1858175786086885321.post-43106269973015684582011-10-08T19:43:01.049+05:302011-10-08T19:43:01.049+05:30देवेन्द्र जी .. बहुत खूब
आपने हम जैसे बनारस से बिछ...देवेन्द्र जी .. बहुत खूब<br />आपने हम जैसे बनारस से बिछड़े को फिर से बनारस पहुँचा दिया.<br />आंचलिकता का समावेश आलेख को बहुत ही जीवंत बना दिया है.<br />सलाम आपकी लेखनी को.M VERMAhttps://www.blogger.com/profile/10122855925525653850noreply@blogger.com