अभी सूर्योदय नहीं हुआ है। भोर का अजोर है। धमेखस्तूप पार्क में दो चक्कर लगाने, घास में टहलने, व्यायाम करने और 10 मिनट ध्यान करने के बाद इतना उजाला हो चुका है कि फोटोग्राफी की जा सके। यहाँ नीम के कई घने वृक्ष हैं। इसे पार्क को आप नीम पार्क भी कह सकते हैं। कुछ वृक्ष के नीचे चारों ओर घेर का लकड़ी के खूबसूरत बेंच बना दिए गए हैं। यहाँ बैठकर घण्टों ध्यान कर सकते हैं, चिड़ियों की बोली सुन सकते हैं और मोर/मोरनियों को घूमते देख सकते हैं। किस्मत अच्छी है तो मोर के नृत्य भी देख सकते हैं।
जहाँ हम खड़े हैं उसके उत्तर दिशा में धमेखस्तूप है और दक्षिण में वन विभाग की बाउंड्री वाल है। बाउंड्री के उस पार पर्याप्त संख्या में मृग/चीतल हैं। उजाला होने से पहले सियार भी खूब चीखते हैं। कुल मिलाकर यहाँ का वातावरण बिलकुल प्रदूषण मुक्त और शांत है। कुछ मिनट बैठ कर, पलकें बन्द कर, सिर्फ सुनते रहने में भी आनन्द है।
https://youtu.be/acAjvbxWPZg
वाह! कितने भाग्यशाली हैं वे लोग जो प्रतिदिन वहाँ जा सकते हैं। जय भगवान बुद्ध !
ReplyDeleteजी, धन्यवाद।
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ReplyDeleteवाह
ReplyDeleteधन्यवाद।
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