गंभीर कविताएँ पढ़कर भारी हुए मन को हल्का करने के लिए प्रस्तुत हास्य-व्यंग्य विधा पर एक कविता जिसका शीर्षक है -मेरी श्रीमती।
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प्रश्न-पत्र गढ़ती रहती है
वह मुझसे लड़ती रहती है।
मुन्ना क्यों कमजोर हो गया ?
शानू को कितना बुखार है ?
राशन पानी खतम हो गया
अब किसका कितना उधार है ?
शानू को कितना बुखार है ?
राशन पानी खतम हो गया
अब किसका कितना उधार है ?
दफ्तर से जब घर जाता हूँ
वह मुझको पढ़ती रहती है।
वह मुझको पढ़ती रहती है।
सब्जी लाए भूल गए क्या ?
चीनी लाए भूल गए क्या ?
आंटा चक्की से लाना था
खाली आए भूल गए क्या !
मुख बोफोर्स बनाकर मुझ पर
बम-गोले जड़ती रहती है।
प्रश्नों से जब घबड़ाता हूँ
कहता अभी थका-मांदा हूँ
कहती कैसे थक सकते हो
तुम नर हो, मैं ही मादा हूँ !
मुझको ही झुकना पड़ता है
वह हरदम चढ़ती रहती है।
पूरे घर की प्राण वही है
हाँ मेरी भी शान वही है
हीरो-होण्डा दिल की धड़कन
चेहरे की मुस्कान वही है
बनके सतरंगी रंगोली
आँगन में कढ़ती रहती है।
प्रश्न-पत्र गढ़ती रहती है
वह मुझसे लड़ती रहती है।
baichain ji aap ki baichini ka kya yahi raj hai?ha ha ha. kavita achchhi lagi.par apane patidev ko nahi padvaungi.badiya.
ReplyDeletebechain aatma ne hamare chehre par lambiiiiiii muskaan la di, waakai mann halka ho gaya padhkar .... ghar-ghar kee yahi kahani
ReplyDeleteये आपकी नहीं सबकी श्रीमती की गाथा है ......... बहुत ही अच्छा हास्य है ...........
ReplyDeleteप्रश्न-पत्र गढ़ती रहती है
ReplyDeleteवह मुझसे लड़ती रहती है।
मुन्ना क्यों कमजोर हो गया ?
शानू को कितना बुखार है ?
राशन पानी खतम हो गया
अब किसका कितना उधार है ?
बहुत सुन्दर देवेन्द्र जी, आप परेशान न हो यह हर हर की कहानी है और सच पूछो तो विवाहिक जीवन का असली मजा, असली सार भी यही है !
मुख बोफोर्स बनाकर मुझ पर
ReplyDeleteबम-गोले जड़ती रहती है।
वाह -वाह बीबी का मुहँ बोफोर्स ,
जनाब और आप
क्या कहा जाय और रहा भी न जाय
घर की मुर्गी दाल बराबर ,
बाहर की दाल भी मुर्गी लगती है ,
इसीलिए इन कमबख्तों से इनकी बीबी हरदम लड़ती रहती है
अन्यथा मत लीजियेगा देवेन्द्र जी
प्रश्न-पत्र गढ़ती रहती है...
ReplyDeleteप्रश्नों से जब घबड़ाता हूँ....
यूँ घबराने से तो काम नहीं चलेगा देवेंरा जी अब सच स्स्ह बता ही दीजिये ...वो ...काफी...हाउस ....किसके...साथ....??
वाह देवेन्द्र जी क्या बेहतरीन हास्य प्रस्तुत किया आपने..शादी के बाद जिंदगी इस कदर प्रश्नों में उलझ जाते है..गुदगुदाती हुई सुंदर रचना...बधाई
ReplyDeletebhai thandi fuhare barsa di aapne .aannd a gya .
ReplyDeletebahut sahajata se bhavo kee abhivyakti kee dain hai aapake paas .hulkee pulkeepyaree see rachana .Badhai .
ReplyDeleteaap bahut achha likhate hai
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