बेचैन आत्मा
24.4.12
गंगा चित्र-2
कोई पूरब से आता है, कोई आता पश्चिम से.........
धुलते हैं सब पाप उसी के, जो होते मन के चंगे
हर गंगे, हर हर गंगे।
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