ऐ जाते हुए चाँद,ज़रा मुस्करा के देख,कोई और भी तुम्हारे साथ डूब रहा है !
चल उठ अभिसार का वक्त ख़त्म हुआ !
कैमरा उठा फोटो खींच सेहत बना :)
बलॉग में डाल! यह क्यों छोड़ दिया?:)
अहा..
लगता है आसमान में सूरज का पेड़ है, रोज़ एक निकल आता है ,दिन भर आँखें दिखाता ,डोलता ,शाम पड़े समुंदर में डूब जाता है !
नारी-गौतम को छला, छले आज भी सोम ।राह दिखाना ढोंग है, ताके पूरा व्योम ।ताके पूरा व्योम, डरे नहिं राहु-केतु से ।प्रणय-कक्ष में झाँक, रहा वह नित्य सेतु से ।रविकर आओ शीघ्र, भगाओ तम-व्यभिचारी ।यह पापी निर्लज्ज, आज भी ताके नारी ।।
omnipresent ...सर्वव्याप्त ...चाँद की उस आभ मे भी वो ही है ....!!
:) mera shubh din kabool karen...
वाह ...अनुपम प्रस्तुति।
वाह... गज़ब के फोटोग्राफ्स....
इतनी साफ सुथरी और चौड़ी सड़क बनारस में ? अशोका होटल के सामने वाली सड़क है का?
काशी हिंदू विश्वविद्यालय की सड़क है। खेत भी वहीं का कृषि विभाग है। गायें भी वहीं की हैं।
अगर कोई वहां का नहीं है तो वो हैं कैमरामैन :)
बस एक शब्द ....अतिसुन्दर.
वाह ! खूबसूरत! आपके बहाने हम भी नज़ारा कर लेते हैं.
ज़ेहन खूबसूरत नज़र खूबसूरत और तो और अंगुली के इशारे पे नाचती नहाती कुदरत ;-)
यहाँ फेसबुक वाले लाइक की कमी खल रही है। आपका कमेंट लाइक किया।:)
मनोरम!!
वाह, अति सुन्दर!
सुन्दर है जी! अतिसुन्दर भी!
बहुत खूबसूरत चित्र !
ऐ जाते हुए चाँद,ज़रा मुस्करा के देख,
ReplyDeleteकोई और भी तुम्हारे साथ डूब रहा है !
चल उठ अभिसार का वक्त ख़त्म हुआ !
ReplyDeleteकैमरा उठा फोटो खींच सेहत बना :)
Deleteबलॉग में डाल! यह क्यों छोड़ दिया?:)
Deleteअहा..
ReplyDeleteलगता है आसमान में सूरज का पेड़ है, रोज़ एक निकल आता है ,
ReplyDeleteदिन भर आँखें दिखाता ,डोलता ,शाम पड़े समुंदर में डूब जाता है !
नारी-गौतम को छला, छले आज भी सोम ।
ReplyDeleteराह दिखाना ढोंग है, ताके पूरा व्योम ।
ताके पूरा व्योम, डरे नहिं राहु-केतु से ।
प्रणय-कक्ष में झाँक, रहा वह नित्य सेतु से ।
रविकर आओ शीघ्र, भगाओ तम-व्यभिचारी ।
यह पापी निर्लज्ज, आज भी ताके नारी ।।
omnipresent ...सर्वव्याप्त ...चाँद की उस आभ मे भी वो ही है ....!!
ReplyDelete:) mera shubh din kabool karen...
ReplyDeleteवाह ...अनुपम प्रस्तुति।
ReplyDeleteवाह... गज़ब के फोटोग्राफ्स....
ReplyDeleteइतनी साफ सुथरी और चौड़ी सड़क बनारस में ? अशोका होटल के सामने वाली सड़क है का?
ReplyDeleteकाशी हिंदू विश्वविद्यालय की सड़क है। खेत भी वहीं का कृषि विभाग है। गायें भी वहीं की हैं।
Deleteअगर कोई वहां का नहीं है तो वो हैं कैमरामैन :)
Deleteबस एक शब्द ....अतिसुन्दर.
ReplyDeleteवाह ! खूबसूरत! आपके बहाने हम भी नज़ारा कर लेते हैं.
ReplyDeleteज़ेहन खूबसूरत नज़र खूबसूरत और तो और अंगुली के इशारे पे नाचती नहाती कुदरत ;-)
ReplyDeleteयहाँ फेसबुक वाले लाइक की कमी खल रही है। आपका कमेंट लाइक किया।:)
Deleteमनोरम!!
ReplyDeleteवाह, अति सुन्दर!
ReplyDeleteसुन्दर है जी! अतिसुन्दर भी!
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत चित्र !
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