मुद्रा पे हरदम वकुल ध्यान रखना
करो काग चेष्टा कि कैसे कमायें
बनो अल्पहारी रहे श्वान निद्रा
फितरत यही हो कि कैसे बचायें।
पूजा करो पर रहे ध्यान इतना
दुकनियाँ से ग्राहक कहीं टल न जाए।
दिखो सत्यवादी रहो मिथ्याचारी
प्रतिष्ठा उन्हीं की जो हैं भ्रष्टाचारी।
'लल्लू' कहेगा तुम्हे यह ज़माना
जो कलजुग में रक्खोगे ईमानदारी।
मिलावट करो पर रहे ध्यान इतना
खाते ही कोई कहीं मर न जाए।
नेता से सीखो मुखौटे पहनना
गिरगिट से सीखो सदा रंग बदलना
पंडित के उपदेश सुनते ही क्यों हो
ज्ञानी मनुज से सदा बच के रहना।
करो पाप लेकिन घड़ा भी बड़ा हो
मरने से पहले कहीं भर न जाए।
...................................
गाँठ बाँध ली बातें......
ReplyDelete:-)
अनु
...लेकिन देवेन्द्र जी ने तो गांठें खोलने के मकसद से उपदेश दिए हैं :)
Deleteदीपावली में बचत करने की बढ़िया सीख
ReplyDeleteक्या बात है .............
ReplyDeleteअच्छा व्यंग्य है ।
ReplyDeleteकबीर की उलटबांसी से व्यंगोक्तियाँ !
ReplyDeleteभाई पाण्डेय जी गोपालदास नीरज के गीत की पैरोडी अच्छी लगी |
ReplyDeleteहाँ, दमदार पैरोडी!
Deleteमुझे भी वही याद आया....
Deleteअच्छा उद्बोधन है।
ReplyDeleteaapko deepawali ki badhaai,humne seekh padh li.magar hum seekh ikkathi karte hain bsssss.kisi din jhaadoo ban jaayega ,buharne ke kaam aayega :P :)
ReplyDeletewaah....vicharniy mudde ....
ReplyDelete:):)
ReplyDeleteक्या बात है पांडये जी
ReplyDeleteसत्य वर्णन करती...बहुत प्रभावशाली रचना
बहुत सही......ज़माने के साथ बदलती कविता :-)
ReplyDeleteसमझ गये बेईमानी बहुत ईमानदारी से करनी चाहिए .....:)
ReplyDeleteकरो ... पर सोचो भी
ReplyDeleteबचा बचाकर रखना है।
ReplyDeleteआभार |
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति ||
अंतर्जाल पर निभाओ तुम रिश्ते
ReplyDeleteमगर रहे ध्यान इतना कि कहीं फंस न जाओ :-)
इसे ऐसे कहा जाय तो कैसा रहे...?
Deleteनेट फ्रेंड बनाओ पर रहे ध्यान इतना
टाँका ये काँटा कहीं बन न जाये।
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Delete.
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... :))
...
:))
Delete(:(:
DeletePRANAM.
A very happy diwali to you!
ReplyDeleteसार्थक सीख देती सुंदर रचना
ReplyDeleteसुन्दर व्यंग्य
ReplyDeleteबहुत लाजवाब व्यंग...वर्तमान के कबीर होने की झलक दिखाई दे रही है. बहुत शुभकामनाएं.
ReplyDeleteरामराम.
:):)
DeletePRANAM.
आनद की यादें.. आई मीन, आनद की बातें बताईं आपने इस दीवाली पर.. इसके बाद तो कुछ नहीं बचता कहने को!!
ReplyDeleteबस शुभकामनाएँ!!
यानि कि नमक में आटा न करो तब तक ठीक:)
ReplyDeleteदीपोत्सव पर्व पर हार्दिक बधाई और शुभकामनायें ....
ReplyDelete:)
ReplyDelete:)))
ReplyDeleteपञ्च दिवसीय दीपोत्सव की शुभकामनायें और बधाइयां
बहुत सटीक अभिव्यक्ति...दीपोत्सव की हार्दिक मंगलकामनाएं!
ReplyDeleteक्या बात है!! टिपिकल बेचैन आत्मा स्टाइल!!
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