अटके हो
किसी के आस में
तो झरो!
जैसे झरते हैं पत्ते
पतझड़ में
रूके हो किनारे
साथी की तलाश में
तो बहो!
तेज धार वाली नदी में
बिन माझी के नाव की तरह
धऱती पर पड़े हो
तो उड़ो!
जैसे उड़ती है धूल
बसंत में
हाँ तुमसे भी कहता हूँ...
वृक्ष हो
तो नंगे हो जाओ!
माझी हो
तो संभालो अपनी पतवार!
आँधी हो
तो समझ जाओ!
तुम उखाड़ नहीं पाओगे
कभी भी
किसी को
समूल!
जर्रे-जर्रे में
होती है
आग, पानी, हवा, मिट्टी या फिर..
आकाश बनने की
संभावना।
................
क्या बात है ! सुन्दर कविता !
ReplyDeleteबहुत सुंदर भावों की अभिव्यक्ति
ReplyDeleteRECENT POST: होली की हुडदंग ( भाग -२ )
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteअद्भुत अभिव्यक्ति!! आंधियों भरे अंधेरे में अचल दीप समान!!
ReplyDeleteसुंदर, बहुत सुंदर
ReplyDeleteलगता है यह आपकी सर्वश्रेष्ठ कविता बन पड़ी है...बधाई..
ReplyDelete..आभार।
Deleteमेरे कमेंट को आखिरी टुकड़े को किनारे रख कर ही देखा जाए :-)
ReplyDeleteकिसी की आस में........सुन्दर भावनाओं से ओतप्रोत रचना .
ReplyDeleteजे बात ... जय हो महाराज ... :)
ReplyDeleteआज की ब्लॉग बुलेटिन क्योंकि सुरक्षित रहने मे ही समझदारी है - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
धन्यवाद।
Deleteवाह लाजवाब और सशक्त रचना.
ReplyDeleteरामराम.
धन्यवाद।
ReplyDeleteखुबसूरत भावों की अभिव्यक्ति
ReplyDeleteपोजिटिव एनेर्जी देती रचना .
ReplyDeleteखाली की संभावना सर्वाधिक, हम पड़े हैं खाली।
ReplyDelete
ReplyDeleteखुबसूरत भावों की अभिव्यक्ति
new postकोल्हू के बैल
ओ हेनरी की एक ऐसी ही कहानी में उस अटके हुए पत्ते में जीवन की संभावनाएं छिपी थीं... नदी के दोनों किनारे किसी साथी की तलाश में नहीं, नदी के अंदर हाथ मिलाए लहरों को झेलते हैं.. धूल उडती है ताकि बारिश की वज़ह बन सके..
ReplyDeleteबहुत सुन्दर कविता.. ज़र्रे ज़र्रे में छिपी संभावनाओं की पहचान कराती, एक सार्थक कविता.. अरे! भूल गया देवेन्द्र भाई, एक बात कहना.. एक सार्थक कविता, हमेशा की तरह!! :)
शानदार प्रतिक्रिया हमेशा की तरह..आभार।
Deletejivn me urja ka snchar kati sundar kavita
ReplyDeleteकमाल लेखन और सार्थक बेहतरीन रचना के लिए बधाई | आभार
ReplyDeleteकभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
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सराहनीय है आपका अभिव्यक्ति-कौशल!
ReplyDeleteजर्रे जर्रे में होती है सम्भावना ...
ReplyDeleteबिलकुल होती है !
प्रेरक रचना !
जीवन की संभावनाओं को समेटे और सन्देश पूर्ण रचना ।
ReplyDeleteवाह कितनी गहरी बात कही है …………लाजवाब अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteसार्थक सन्देश देती गम्भीर अभिव्यक्ति .....
ReplyDeleteसाभार.....
सच है जर्रे जर्रे में संभावनाएं हो सकती हैं.
ReplyDeleteसार्थक सन्देश देती सुंदर अभिव्यक्ति.
अति सुंदर!
ReplyDeleteबहुत खूब ... सार्थक विचार लिए ... संभावनाओं का विस्तृत आकाश बिछाए ...
ReplyDeleteगहरी रचना ...
वाह्ह्ह्हह्ह्ह्हह बहुत सुन्दर
ReplyDeleteवाह ..क्या बात है. संभावनाएं जगाती, शानदार अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteअक्षरश: सत्य......बहुत बहुत सुन्दर कवितायेँ ।
ReplyDeleteआप इतना अच्छा लिखते हैं पर आजकल आपके ब्लॉग पर बहुत कम पढने को मिलता है देव बाबू......अनुरोध है की फोटोग्राफी से अतिरिक्त अपने लेखन के लिए भी उचित समय अवश्य निकालें........
वक़्त मिले तो हमारे ब्लॉग पर भी तशरीफ़ लायें ।
प्रेरणास्पद सोच .....
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