14.12.13

बहुत दिनो के बाद....


बिटिया हॉस्टल से घर आई
बहुत दिनो के बाद
मैं भी दूर शहर से आया
बहुत दिनो के बाद
ठाकुर जी के बरतन चमके 
बहुत दिनो के बाद
सभी फूल इक थाल सजे हैं
बहुत दिनो के बाद
पत्नी ने पकवान बनाये
बहुत दिनो के बाद
महरिन घर का रस्ता भूली
बहुत दिनो के बाद 
चूहे उछल-उछल कर नाचे
बहुत दिनो के बाद
बिल्ली ने की ताका-झांकी
बहुत दिनो के बाद
चर्खी चिड़ियाँ चीख रही थीं
बहुत दिनो के बाद
घर को गहरी नींद आ गई
बहुत दिनों के बाद
बाबा! तेरी याद आ गई 
बहुत दिनो के बाद।
........................



23 comments:

  1. आपकी कविता पढकर नागार्जुन की एक पुरानी कविता याद आ गयी......बहुत सुंदर रचना..

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  2. सुन्दर रचना

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  3. हम भी आये पढ़ने कुछ कुछ बहुत दिनों के बाद :P

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  4. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    नीचे दिया हुआ चर्चा मंच की पोस्ट का लिंक कल सुबह 5 बजे ही खुलेगा।
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (15-12-13) को "नीड़ का पंथ दिखाएँ" : चर्चा मंच : चर्चा अंक : 1462 पर भी होगी!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  5. मुझे तो पहली पंक्ति में ही बाबा की याद आई थी.. फिर अंत तक पहुँचकर देखा कि लो ये तो सचमुच बाबा की याद है!! दिल श्रद्धा से भर गया और आपने जिन यादों को समेटा है उन्हें महसूस किया!

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  6. बहुत सुन्दर स्मृतियों की थिरकन, बहुत दिनों के बाद।

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  7. आज घर गुलजार हो गया बहुत दिनों के बादl यही होता है जब बच्चे घर आते हैं बहुत दिनों के बादl

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  8. कितन अच्छा लगता है ये घर अपना - बहुत दिनों बाद

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  9. घर को घर सा पाया बहुत दिनों के बाद!

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  10. बहुत दिनों बाद देखो तो सब अच्छा लगता है |

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  11. आह कितने प्यारे एहसास ..

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  12. क्या बात है -ऐसा ही हो पुरसकूँ पूरा जीवन

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  13. कितना कुछ हुआ बहुत दिनों के बाद ... और इस एक पल में जीवन सिमिट आया ...

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  14. कल 20/12/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
    धन्यवाद!

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  15. बहुत सुन्दर यादों का झरोखा ..

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  16. कोमल भावो की
    बेहतरीन........

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