हम शहरियों के लिए
कितना कठिन है
धोना
सुखाना
चक्की से पिसा कर
घर ले आना
आंटा!
उनकी नियति है
जोतना
बोना
उगाना
पकने की प्रतीक्षा करना
काटना
दंवाई करना
खाने के लिए रखकर
बाजार तक ले जाना
गेहूँ!!!
हमारे पास विकल्प है
हम
बाज़ार से
सीधे खरीद सकते हैं
आंटा
उनके पास कोई विकल्प नहीं
उन्हें
उगाना ही है
गेहूँ
हम खुश हैं
उनकी मजबूरी के तले
हमारे सभी विकल्प
सुरक्षित हैं!
कितना कठिन है
धोना
सुखाना
चक्की से पिसा कर
घर ले आना
आंटा!
उनकी नियति है
जोतना
बोना
उगाना
पकने की प्रतीक्षा करना
काटना
दंवाई करना
खाने के लिए रखकर
बाजार तक ले जाना
गेहूँ!!!
हमारे पास विकल्प है
हम
बाज़ार से
सीधे खरीद सकते हैं
आंटा
उनके पास कोई विकल्प नहीं
उन्हें
उगाना ही है
गेहूँ
हम खुश हैं
उनकी मजबूरी के तले
हमारे सभी विकल्प
सुरक्षित हैं!