खामोश हो गईं
शाख पर बैठीं
चिड़ियाँ
शरमा कर
सिंदूरी हो गई
सरसों के पीले फूलों पर
दिनभर खेलती
धूप
आपस में नहीं मिलते
चाँद और सूरज
सुबह औ शाम
मगर दिखता है
धरती पर
प्रेम ।
शाख पर बैठीं
चिड़ियाँ
शरमा कर
सिंदूरी हो गई
सरसों के पीले फूलों पर
दिनभर खेलती
धूप
आपस में नहीं मिलते
चाँद और सूरज
सुबह औ शाम
मगर दिखता है
धरती पर
प्रेम ।
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteआपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन भवानी प्रसाद मिश्र और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
ReplyDeleteबढ़िया।
ReplyDeleteवाह !
ReplyDeleteक्या बात है ... प्रेम है इसलिए हूप भी पीली से लाल हो जाती है ...
ReplyDeleteआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 23-02-2017 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2597 में दिया जाएगा |
ReplyDeleteधन्यवाद
सुन्दर !
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