लगता है पानी बरसेगा, बदरी छाई है।
ठहर ठहर टपके है
पानी
कभी भाप उठता
उमस भरा मौसम है,
कौआ
कांव-कांव करता
पानी
कभी भाप उठता
उमस भरा मौसम है,
कौआ
कांव-कांव करता
लगता है पानी बरसेगा, बिल्ली आई है।
घिर घिर आए काले बादल
मन दादुर सा उछला
उड़ उड़ जाए काले बादल
दिल विरहन सा बैठा
मन दादुर सा उछला
उड़ उड़ जाए काले बादल
दिल विरहन सा बैठा
लगता है आंखें बरसेंगी, ठोकर खाई है।
धूप छांव की आंख मिचौली
रास नहीं आती
अपने आंगन बारिश वाली
रात नहीं आती
रास नहीं आती
अपने आंगन बारिश वाली
रात नहीं आती
लगता है किस्मत ने थाली, फिर सरकाई है।
बारिश का स्वागत गीत ।
ReplyDeleteKitni sundar Rachna hai!
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार 07-07-2018) को "उन्हें हम प्यार करते हैं" (चर्चा अंक-3025) पर भी होगी।
ReplyDelete--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
umdaa
ReplyDeleteपानी जाने कितने रूपों में हमें देखने को मिलता है
ReplyDeleteबहुत सुन्दर