12.5.20

खुश रहिए, मस्त रहिए

हँसाना पहले भी
आसान नहीं हुआ करता था
फिर भी लोग
हँसते थे, हँसाते थे।

अब तो
और भी कठिन हो गया है
दिन ब दिन
बढ़ती जा रही है
दुखियारों की संख्या
और हँसाने वाले, रोने लगे हैं
खुद ही।

फिर भी,
यह जानते हुए भी कि
कम ही होते हैं
जान से ज्यादा
चाहने वाले दुनियाँ में
जब तक
जान में जान है
खुश रहिए, मस्त रहिए
मरना तो है ही
एक दिन
नहीं आया, कोई यहाँ
अमर होकर।
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