20.8.20

नुक़्ता

नुक़्ता हिन्दी का आधुनिक चलन है। रामचंद्र शुक्ल और हज़ारीप्रसाद द्विवेदी जैसे आचार्य बग़ैर नुक़्ता लगाये अग्रणी विद्वान बन गये। लेकिन हिन्दी मीडिया में अब नुक़्ता का प्रचलन बढ़ता ही जा रहा है। हिन्दी में प्रयुक्त होने वाले अरबी-फ़ारसी शब्दों में पाँच अक्षर (क़, ख़, ग़, ज़ और फ़) ऐसे हैं जिनमें नुक़्ता लगता है। जब नुक़्ता मुझे ज्यादा सताने लगा तो मैंने मिर्ज़ा एबी बेग़ की शागिर्दी में नुक़्ता वाले लोकप्रिय शब्दों की लिस्ट तैयार की। आजकल उर्दू-उर्दू का माहौल देखते हुए लगा कि मुझे वह लिस्ट यहाँ शेयर करनी चाहिए ताकि उसका लाभ ज्यादा लोगों तक पहुंचे और उसे और बढ़ाया भी जा सके। अगर कुछ भूल-चूक हो तो उसे सुधारा भी जा सकेगा। मैंने यह लिस्ट वर्णानुक्रम के अनुसार से बनायी थी ताकि शब्दों को खोजना आसान रहे। इस कड़ी में आज पेश है 'अ' से शुरू होने वाले प्रचलित शब्द जिनमें नुक़्ते का प्रयोग होता है- 

अफ़सोस
अफ़सर
अफ़वाह
अफ़साना
अज़ीम
अर्ज़ी
आवाज़
आज़माइश
औज़ार
आज़ाद/आज़ादी
अंदाज़
अख़बार
आफ़त
आदमख़ोर
आतिशबाज़ी
अज़ीज़(प्रिय)
अक़्लमंद
आशिक़
आफ़त
अग़वा
अर्ज़ (अर्ज़ किया है)
अरज़ (कपड़े का माप)
.........

इ से शुरू होने वाले नुक़्ता वाले प्रचलित शब्द।

इक़रार
इजाज़त
इंतज़ार
इज़हार
इज़्ज़त
इज़ाफ़ा
इज़्ज़त
इल्ज़ाम
इत्तिफ़ाक़
इंतज़ाम
 इश्क़

क से शुरू होने वाले नुक़्ता वाले प्रचलित शब्द। अ, इ और ए से शुरू होने वाले ऐसे शब्दों के लिए पीछे की पोस्ट देखें। जो शब्द लिस्ट में नहीं हैं उनपर नुक़्ता लगाने से पहले किसी उर्दू-दाँ से पूछ कर ही नुक़्ता लगाएँ। ये क में नुक़्ता वाले शब्द नहीं हैं। ये वो हिन्दी शब्द हैं जो क से शुरू होते हैं और उनमें नुक़्ता वाले वर्ण (क़, ख़, ग़, ज़ और फ़) आते हैं, जैसे कमज़ोर में ज़ पर नुक्ता है लेकिन क पर नहीं।

क़द
क़दम
क़ालीन
क़ाज़ी
क़ायदा
क़मीज़
क़ब्ज़ा
कमज़ोर
काग़ज़
काफ़ी
क़ायम
क़ानून
क़ानूनी
क़ैद
क़ैदी
क़ुर्क़ी
क़रीब
क़ब्र
क़ुरान
क़यामत
क़ाबिल
क़र्ज़
क़िस्म
क़सम
क़ैंची
क़िस्मत
क़ुदरत
क़ौम
क़रीब
क़स्बा
क़ुबूल
कफ़न
क़तार
क़रार
क़द्र
क़िस्म
क़ीमत
क़ुर्बानी
क़ुली
क़िस्त
किफ़ायत
क़िला
क़त्ल
कारख़ाना
क़ाबू
क़लम
क़िल्लत
क़लंदर
क़लई
क़ाफ़िला
क़ब्ज़
क़िस्सा
क़साई
क़सीदा
क़सर
क़ंदील
क़बीला

ख से शुरू होने वाले नुक़्ता वाले प्रचलित शब्द। अ, इ, ए और क से शुरू होने वाले ऐसे शब्दों के लिए पीछे की पोस्ट देखें। जो शब्द लिस्ट में नहीं हैं उनपर नुक़्ता लगाने से पहले किसी उर्दू-दाँ से पूछ कर ही नुक़्ता लगाएँ। ये ख में नुक़्ता वाले शब्द नहीं हैं। ये वो हिन्दी शब्द हैं जो ख से शुरू होते हैं और उनमें नुक़्ता वाले वर्ण (क़, ख़, ग़, ज़ और फ़) आते हैं।

ख़ुद्दार 
ख़ामोश
ख़रगोश
ख़ंजर
ख़ैरियत
ख़्वाब
ख़ुमार
ख़ाली
ख़यानत
ख़तरनाक
ख़ुलासा
ख़त्म
ख़ादिम
ख़लल
ख़िदमत
ख़ामी
ख़ाक
ख़रीदार
ख़स्ता 
ख़राब
ख़मियाज़ा
 ख़ानदान
 ख़ज़ाना
ख़याल
ख़बर
ख़त
ख़ुराफ़ात
ख़ुदग़रज़
 ख़ून
ख़ुदा
ख़ास
ख़ज़ांची
ख़ारिज
ख़ानाबदोश
ख़ानदान
ख़ामोश
ख़ुद
ख़ुश
ख़ून
ख़ूबसूरत
ख़्वाहिश 
ख़तरनाक
ख़राबी
 ख़रीद
ख़र्च
ख़ातिर
ख़ौफ़
 ख़त्म
ख़ास
ख़बर
ख़िलाफ़
 ख़ान (कोयेले वाली खान में ख में नुक़्ता नहीं होता।)
ख़र्च
ख़ुराक
ख़ेमा
ख़ार
 ख़ंदक़
ख़लिश 
ख़ाविंद
ख़िताब
ख़ता
ख़्वाजा
ख़ुशामद
ख़राश
ख़रबूज़ा
ख़ब्त 
ख़र्राटा
ग से शुरू होने वाले नुक़्ता वाले प्रचलित शब्द। अ, इ, ए, क और ख से शुरू होने वाले ऐसे शब्दों के लिए पीछे की पोस्ट देखें। जो शब्द लिस्ट में नहीं हैं उनपर नुक़्ता लगाने से पहले किसी उर्दू-दाँ से पूछ कर ही नुक़्ता लगाएँ। ये केवल ग में नुक़्ता वाले शब्द नहीं हैं। ये वो हिन्दी शब्द हैं जो ग से शुरू होते हैं और उनमें नुक़्ता वाले वर्ण (क़, ख़, ग़, ज़ और फ़) आते हैं।

ग़ैर 
ग़म
 ग़लत
 ग़ुरूर
 गुज़र
 ग़फ़लत
 ग़ज़ब
 ग़मगीन
 ग़ुबार
 ग़लीचा
 ग़रीब
  ग़ैर-क़ानूनी
 ग़ौर
 ग़ुस्सा
 ग़द्दार
 ग़नीमत
 ग़फ़लत
 ग़म
 ग़रज़मंद
 ग़लतफ़हमी
 ग़ुलामी
  ग़ौर
 ग़ज़ल
 गुज़ारिश
 गुलज़ार 
गिरफ़्तार 
ग़ायब
ग़बन
ग़ुंडा
ग़ुसल
ग़श
ग़दर
ग़र्क़
ग़ोता/ग़ोताख़ोर
ग़िलाफ़
 ग़ल्ला(अनाज)
गुफ़्तगू

त और द से शुरू होने वाले नुक़्ता वाले प्रचलित शब्द। अ, इ, ए, क, ख और ग से शुरू होने वाले ऐसे शब्दों के लिए पीछे की पोस्ट देखें। जो शब्द लिस्ट में नहीं हैं उनपर नुक़्ता लगाने से पहले किसी उर्दू-दाँ से पूछ कर ही नुक़्ता लगाएँ। ये वो हिन्दी शब्द हैं जो त और द से शुरू होते हैं और उनमें नुक़्ता वाले वर्ण (क़, ख़, ग़, ज़ और फ़) आते हैं।

तरीक़ा 
तफ़तीश
 ताज़िया
तूफ़ान
ताज़ा
तमीज़
तराज़ू 
तर्ज़
तक़ाज़ा
ताक़त
तहज़ीब
तख़्त 
तनख़्वाह
 तारीख़
 तरक़्क़ी
 तक़दीर
 तहख़ाना
 तेज़ी
दाग़
 दरवाज़ा
 दाख़िल
 दग़ा
 दिमाग़
 दस्तख़त
 दरख़्वास्त 
दमख़म
 दस्तावेज़
 दिक़्क़त
 दराज़ 

ज से शुरू होने वाले नुक़्ता वाले प्रचलित शब्द। अ, इ, ए, क, ख, ग, त और द से शुरू होने वाले ऐसे शब्दों के लिए पीछे की पोस्ट देखें। जो शब्द लिस्ट में नहीं हैं उनपर नुक़्ता लगाने से पहले किसी उर्दू-दाँ से पूछ कर ही नुक़्ता लगाएँ। ये वो हिन्दी शब्द हैं जो 'ज' से शुरू होते हैं और उनमें नुक़्ता वाले वर्ण (क़, ख़, ग़, ज़ और फ़) आते हैं।

ज़ुल्म 
ज़ालिम
 ज़बरदस्त
 ज़ाहिर
 ज़हर
 ज़ंजीर
जज़ीरा
 ज़मीर
 ज़माना
 ज़मानत
ज़ख़्मी 
ज़रा
 ज़ोर
 ज़िला 
ज़िम्मेदार
 जायज़ा
 जालसाज़ी
 ज़ाहिर
 ज़िंदगी
 ज़िक्र
जहाज़
 ज़ाहिर
 ज़मीन
 ज़ेवरात
 ज़िद
 जांबाज़
 ज़रूरत
 ज़मीन
 ज़्यादा
 ज़रिए
जल्दबाज़ी
 ज़रा
जहाज़
ज़ेवरात
 ज़ोर
 जज़्बा 
ज़रूरी
 ज़ायक़ा
 जलील (श्रेष्ठ)
ज़लील (निकृष्ट)

न, ब और प से शुरू होने वाले नुक़्ता वाले प्रचलित शब्द। अ, इ, ए, क, ख, ग, त, द और ज से शुरू होने वाले ऐसे शब्दों के लिए पीछे की पोस्ट देखें। जो शब्द लिस्ट में नहीं हैं उनपर नुक़्ता लगाने से पहले किसी उर्दू-दाँ से पूछ कर ही नुक़्ता लगाएँ। ये वो हिन्दी शब्द हैं जो 'न, ब और प' से शुरू होते हैं और उनमें नुक़्ता वाले वर्ण (क़, ख़, ग़, ज़ और फ़) आते हैं।

नज़रिया 
नाजायज़
 नज़ारा
 नज़र
 नब्ज़ 
नारेबाज़ी 
नफ़रत
नक़ली
 नक़द
 नज़ाकत
 नक़ल
 नाबालिग़
 नमाज़
 नामज़द
 नाज़ुक
 नाराज़
 नग़मा
 नुक़सान
 नामज़द

बाक़ी
 बाग़
 बर्ख़ास्त 
बुख़ार
बाज़ू
 बेदख़ल
 बेगम (पत्नी)
 बेग़म (जिसे ग़म न हो)
 बग़ीचा
 बुज़ुर्ग
 बुज़दिल 
बेग़रज़
 बाज़ीगर
 बरक़रार
 बेक़ाबू
 बाक़ी 
बाक़ायदा
 बरख़ास्त
 बग़ल
 बग़ावत
बग़ैर
 बाग़ी
 बालिग़
 बुज़दिल
 बक़ाया
 बेक़रार
 बाज़ार 

परवाज़
 पाकीज़ा
 पैग़ाम
 पुख़्ता

म से शुरू होने वाले नुक़्ता वाले प्रचलित शब्द। अ, इ, ए, क, ख, ग, त, द, ज, न, ब और प से शुरू होने वाले ऐसे शब्दों के लिए पीछे की पोस्ट देखें। जो शब्द लिस्ट में नहीं हैं उनपर नुक़्ता लगाने से पहले किसी उर्दू-दाँ से पूछ कर ही नुक़्ता लगाएँ। ये वो हिन्दी शब्द हैं जो 'म' से शुरू होते हैं और उनमें नुक़्ता वाले वर्ण (क़, ख़, ग़, ज़ और फ़) आते 

माफ़िया
मुख़तलिफ
मुख़ालिफ़
मुआवज़ा
महज़
मुनाफ़ा
मुल्ज़िम
माफ़ी 
मक़बरा
मुक़द्दमा
मंज़िल
 मज़बूत
मज़ार
मंज़ूर
मज़हब
मरीज़
मर्ज़ी
मिज़ाज
मुताबिक़
मक़ाम/मुक़ाम
मुलाक़ात
मशक़्क़त
मक़सद
 मेज़
मुआवज़ा
 मुनाफ़ा
मज़ा
मंज़िल
मज़दूर
मज़बूत
मज़ार
मज़ाक़
मंज़ूर
मुक़ाबला
मरीज़
मंज़र
मुख़ालफ़त
मौक़ा

य, र, ल, स और श से शुरू होने वाले नुक़्ता वाले प्रचलित शब्द। अ, इ, ए, क, ख, ग, त, द, ज, न, ब, प और म से शुरू होने वाले ऐसे शब्दों के लिए पीछे की पोस्ट देखें। जो शब्द लिस्ट में नहीं हैं उनपर नुक़्ता लगाने से पहले किसी उर्दू-दाँ से पूछ कर ही नुक़्ता लगाएँ। 

यक़ीन
रोज़ा
रोज़ाना
रमज़ान
रक़म
रूख़्सत
रोज़
रेज़गारी
रोज़गार
 राज़ी
 राहज़नी
रुख़
रौनक़
रफ़्तार
रक़म
राज़
रज़ामंदी
रोज़ा
लज़ीज़
लिफ़ाफ़ा
सब्ज़ी 
साज़
 सु्र्ख़ियां
सख़्त
सु्र्ख़ियां
 सुराग़
सिफ़ारिश
सबक़
सज़ा
सलीक़ा
सफ़र
 साफ़
शोरो-ग़ुल
 शनाख़्त
शरीफ़
 शराफ़त
 शौक़
 शक़

मैंने नुक़्ता वाले शब्दों की पूरी सूची अपने वॉल पर शेयर कर दी है। पिछले पोस्ट पर जाकर उन्हें देखा जा सकता है। पूरी सूची शेयर कर देने के बाद यह कहना जरूरी हो गया है कि जिन पाँच अक्षरों (क़, ख़, ग़, ज़ और फ़) पर नुक़्ता लगता है उनमें से पहले तीन का सटीक उच्चारण करने में इस देश के बड़े उर्दू-दाँ की ज़बान भी हलक में फँसने लगती है क्योंकि इन तीनों के स्वर गले से निकालने होते हैं। एक बड़े काबिल सीनियर ने मुझसे कहा था कि ज़ और फ़ के उच्चारण पर ध्यान दो बाक़ी को इग्नोर करो। हक़ीक़त यही है कि उर्दू-हिन्दी वाले भले ही लिखते वक़्त नुक़्ता लगा दें लेकिन वो ज़ और फ़ के अलावा बाक़ी अक्षरों को नुक़्ते के साथ बोल नहीं पाते। जैसे वक़्त, नुक़्ता, हक़ीक़त बोलना हिंदुस्तानियों के लिए टेढ़ी खीर है। अरब ही इन्हें सही से बोल पाते हैं। इसलिए मेरी राय में हमें नुक्ता लगाते समय भी केवल ज़ और फ़ पर नुक़्ता लगाना चाहिए क्योंकि इनका ही हम उच्चारण कर पाते हैं। मेरे ख्याल से लिखते समय क़, ख़ और ग़ में नुक़्ता लगाना बौद्धिक दिखावा भर है। कल और परसों मैं वर्णानुक्रम वाली सूची से केवल ज़ और फ़ वाले शब्द छाँट कर शेयर करूँगा। ताकि आप सब भी क़, ख़ और ग़ को भुला कर ज़ और फ़ पर ध्यान दे सकें।

कुछ लोगों की अक़्ल में ही नुक़्ता लगा होता है। सनद रहे, मैं उनकी अक्ल से नुक्ता नहीं हटाना चाहता। इसके दो कारण हैं। एक यह कि यह उनकी फैक्ट्री सेटिंग हैं। दूसरा यह कि अरबी-फ़ारसी वर्णमाला के हिसाब से उनकी अक्ल में सही जगह नुक्ता लगा है। यह अलग बात है कि मैं बस हिन्दी भाषा और समाज को ज़हन में रखते हुए ही ये बातें रख रहा हूँ। नीचे मैं उन प्रचलित हिन्दी शब्दों की लिस्ट दे रहा हूँ जिनमें नुक्ता वाले ज़ और फ़ आते हैं। हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि ज़ और फ़ का नुक्ता इसलिए भी ज़्यादा ज़ोर पकड़ रहा है क्योंकि ये दोनों ध्वनियाँ इंग्लिश वर्णमाला में भी हैं। क़, ख़ और ग़ की ध्वनियाँ इंग्लिश में नहीं हैं इसलिए कॉर्पोरेट मीडिया में भी ज़ और फ़ को लेकर टोकने वाले ही ज़्यादा मिलेंगे। बीबीसी हिन्दी में मैं जब भी फिल्म बोलता था तो एक मित्र टोक देते थे कि रंगनाथ जी फ़िल्म। उन जैसे सहृदयों की मदद से मेरे कुछ फ़ और ज़ सही हो पाये। मेरे ख्याल से जो साथी क़, ख़ और ग़ के चक्कर में पड़ना चाहें शौक से पड़ें लेकिन पहले चरण में ज़ और फ़ पर काम कर लें। इन दो को दुरुस्त करके ९० प्रतिशत पेशेवर दिक्कतों से पार पाया जा सकता है। बाकी इल्म और हुनर की कोई आखिरी सीमा नहीं होती, जिसे जहाँ तक जाना हो जा सकता है।

रोज़ा
रोज़ाना
रमज़ान
रोज़
रेज़गारी
रोज़गार
राज़ी
राहज़नी
रफ़्तार
राज़
रज़ामंदी
रोज़ा
लज़ीज़
लिफ़ाफ़ा
सब्ज़ी 
साज़
सिफ़ारिश
सज़ा
सफ़र
साफ़
शरीफ़
शराफ़त
माफ़िया
मुख़तलिफ
मुख़ालिफ़
मुआवज़ा
महज़
मुनाफ़ा
मुल्ज़िम
माफ़ी 
मंज़िल
 मज़बूत
मज़ार
मंज़ूर
मज़हब
मरीज़
मर्ज़ी
मिज़ाज
 मेज़
मुआवज़ा
 मुनाफ़ा
मज़ा
मंज़िल
मज़दूर
मज़बूत
मज़ार
मज़ाक़
मंज़ूर
मरीज़
मंज़र
मुख़ालफ़त
नज़रिया 
नाजायज़
 नज़ारा
 नज़र
 नब्ज़ 
नारेबाज़ी 
नफ़रत
 नज़ाकत
 नमाज़
 नामज़द
 नाज़ुक
 नाराज़
नामज़द
बाज़ू
 बुज़ुर्ग
 बुज़दिल 
बेग़रज़
 बाज़ीगर
 बुज़दिल
 बाज़ार 
परवाज़
 पाकीज़ा
ज़ुल्म 
ज़ालिम
 ज़बरदस्त
 ज़ाहिर
 ज़हर
 ज़ंजीर
जज़ीरा
 ज़मीर
 ज़माना
 ज़मानत
ज़ख़्मी 
ज़रा
 ज़ोर
 ज़िला 
ज़िम्मेदार
 जायज़ा
 जालसाज़ी
 ज़ाहिर
 ज़िंदगी
 ज़िक्र
जहाज़
 ज़ाहिर
 ज़मीन
 ज़ेवरात
 ज़िद
 जांबाज़
 ज़रूरत
 ज़मीन
 ज़्यादा
 ज़रिए
जल्दबाज़ी
 ज़रा
 ज़ोर
 जज़्बा 
ज़रूरी
 ज़ायक़ा
 जलील (श्रेष्ठ)
ज़लील (निकृष्ट) 
तफ़तीश
 ताज़िया
तूफ़ान
ताज़ा
तमीज़
तराज़ू 
तर्ज़
तक़ाज़ा
तहज़ीब
तेज़ी
दरवाज़ा
दस्तावेज़
दराज़
गुज़र
ग़फ़लत
ग़ज़ब
ग़फ़लत
ग़रज़मंद
ग़लतफ़हमी
ग़ज़ल
गुज़ारिश
गुलज़ार 
गिरफ़्तार
ग़िलाफ़
गुफ़्तगू
ख़मियाज़ा
ख़ज़ाना
ख़ुराफ़ात
ख़ुदग़रज़
ख़ज़ांची 
ख़ौफ़
ख़िलाफ़
क़ाज़ी
क़मीज़
क़ब्ज़ा
कमज़ोर
काग़ज़
काफ़ी
क़र्ज़
कफ़न
किफ़ायत
क़ाफ़िला
क़ब्ज़
इजाज़त
इंतज़ार
इज़हार
इज़्ज़त
इज़ाफ़ा
इल्ज़ाम
इत्तिफ़ाक़
इंतज़ाम
इफ़्तार
एतराज़
एज़ाज़ (किसी के सम्मान में)
एजाज़ (बुलंदी)
अफ़सोस
अफ़सर
अफ़वाह
अफ़साना
अज़ीम
अर्ज़ी
आवाज़
आज़माइश
औज़ार
आज़ाद/आज़ादी
अंदाज़
आफ़त
आदमख़ोर
आतिशबाज़ी
अज़ीज़(प्रिय)
आफ़त
अर्ज़ (अर्ज़ किया है)
अरज़ (कपड़े का माप)
ऑफ़िस

लेखक श्री रंगनाथ सिंह।

2.8.20

लोहे का घर



वो धूप है कि खेत में आदमी, पँछी या जानवर कोई नज़र नहीं आ रहा। दूर झुग्गी में बेना डुलाती दादी और आम की छाँव में जुगाली करती भैंस दिखी थी बस्स। खेत सूने हैं। गाँव का श्रम शहर में घूमने नहीं, मजूरी करने गया होगा। शहरी पहाड़ ढूँढ रहे होंगे। पहाड़ी कारों के काफिले से काले हो रहे हिमालय को देख रहा होगा। सुरुज नारायण मस्ती में हैं..भागो-भागो, कहाँ तक भागोगे?
...................

#फिफ्टी की जिस बोगी में जहाँ बैठा था वहाँ भीड़ बहुत थी। वैष्णव देवी और बाघा बार्डर के दर्शन कर खुशी-खुशी लौट रहा था एक बिहारी परिवार। वे मैथली में बोल रहे थे। उनके साथ बच्चे और बूढ़ी दादी भी थी।
उनकी एक समस्या थी..पानी। गर्मी से बेहाल प्यासे बच्चों और बूढी दादी के लिए पानी। इतने पैसे वाले भी नहीं थे कि सबके लिए बिसलरी की बोतल खरीद सकते। हिम्मत कर के महिला ने एक बोतल 20 रुपये में खरीदी और बच्चों की प्यास बुझाई। अभी और भी प्यासे थे।
हर स्टेशन पर पानी के लिए महिला का उतरना और #्रेन की सीटी की आवाज पर भाग कर खाली बोतल हिलाते हुए मायूस लौटना देखा न जाता। महिला के साथ उनका पति और दूसरे युवा भी थे मगर उन्हें कोई फर्क नहीं! नई मिल्छे हेने पानी..ऐसा ही कुछ बोल कर अपनी औरत को भी मना कर रहा था जाने से। मैंने जब समझाया कि इधर छोटे-छोटे टेसन पर ट्रेन अधिक देर नहीं रुकती। बनारस पहुंच कर ले लेना। वहाँ आराम से मिल जाएगा तो वह बात समझ कर आराम से बैठ गई। पति समझाये तो महिलाएं बात जल्दी नहीं समझतीं। कोई और वही बात कह दे तो झट्ट से समझ मे आ जाता है। 
उफ्फ! ये गर्मी और ये प्यास। घबड़ा कर उठा और दूसरी बोगी में घूमने लगा। दूसरी में भीड़ कम थी। खाली थे बर्थ। एक खिड़की से झाँका तो मस्ती से डूब रहे थे सुरुज नरायण। गर्मी, प्यास और पानी की समस्या के असली मुजलिम तो यही हैं! मैंने प्रमाम किया और एक तस्वीर हींच ली। ताकि जब सूर्यदेव पर मुकदमा चले तो सबूत दिखाने के वक्त काम आये।
......................

तू फिर कब चलेगा #escalator#कैंट स्टेशन #वाराणसी के प्लेटफॉर्म नम्बर 9 के बाहर जब तू बन कर तैयार हुआ था, कितने खुश थे मेरे घुटने! एक दिन सुबह जब मैं #ट्रेन पकड़ने आया तब तू चल रहा था! मैंने खड़े-खड़े हवा में तैर कर चढ़ी थीं पूरी सीढ़ियां। कितना धन्यवाद दिया था #रेलवे को! भले रोज लेट चलाता है ट्रेन मगर विकास का काम भी हो रहा है। सज्ज हो रहे हैं प्लेटफॉर्म। सुविधाएँ बढ़ रही हैं। लेट की तकलीफ चुनाव तक कौन याद करता है! चुनाव के समय तो काम बोलता है।
हाय! वो दिन था और आज का दिन। महीना, महीनों में बदल रहे हैं। क्या बनाने वाला इसमें प्राण फूँकना भूल गया? क्या इसकी सीढ़ियों को किसी देवता के चरण रज की दरकार है? आखिर तू कब तक हाथी के दांत की तरह मुँह चिढ़ाता रहेगा? देख! यह आदमी तेरी सीढ़ियों पर अपने दम पर चलकर तेरी नपुंसकता का मजाक उड़ा रहा है! मुझसे तेरी बेइज्जती देखी नहीं जाती। तू कब चलेगा मेरे escalator?
......................