10.9.23

बनारसनामा

8 सितम्बर, 2123 को श्री कन्हैया लाल गुप्त स्मृति भवन, रथयात्रा, वाराणसी में स्वर्गीय घनश्याम गुप्त जी की 82वीं जयंती मनाई गई। इस अवसर पर काशिका बोली में रचित उनकी छान्दसिक कृति 'बनारसनामा' का भव्य लोकार्पण किया गया। इस अवसर पर गुरुदेव श्री जितेन्द्र नाथ मिश्र सहित बनारस के कई साहित्यकार, वरिष्ठ पत्रकार और गुप्त जी के परिवार के सदस्य उपस्थित थे। वरिष्ठ गीतकार श्री सुरेन्द्र वाजपेयी जी ने सभा का कुशल संचालन किया।

'बनारस नामा' का प्रकाशन अभिनयम प्रकाशन, वाराणसी द्वारा किया गया है। पुस्तक पृष्ठ, छपाई, और ऐतिहासिक दृष्टि से समृद्ध है। मूलतः काशिका बोली में प्रकाशित इस कृति को पढ़कर बनारस के इतिहास को समझा जा सकता है। सरसरी तौर पर देखने मात्र से यह समझा जा सकता है कि पुस्तक काफी समृद्ध है और इसमें में तत्कालीन बनारस को जिया गया है।  लेखक बनारस के प्रसिद्ध मिष्टान्न भण्डार 'मधुर जलपान' के मालिक थे, इन दो पंक्तियों में उन्होंने बनारस की जो उपमा दी है, वह मुग्ध करने वाली है....

काशी कs दिल बहुत बड़ा हौ, इहाँ हौ पूरी दुनिया।

लगेला जैसे रस में डूबल इक दोनिया में बुनिया।।

कोई काम जब टल जाता है तो उसे हमेशा के लिए भुला दिए जाने की पूरी संभावना रहती है लेकिन मृत्यु के 23 वें वर्ष में उनकी पुस्तक का लोकार्पण यह बताता है कि यह बनारस के साहित्य प्रेमियों की और उनके परिवार की कितनी दबी इच्छा थी जो अब तक जीवित थी! पुस्तक घनश्याम गुप्त जी को विनम्र श्रद्धांजलि तो है ही, उनके प्रेमियों में मनुष्यता के जिन्दा रहने का प्रमाण भी है।


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