मार्निंग वॉक में शाख से झूलते कई आजाद तोते दिखे।
मैंने कहा..
बोलो! जय श्री राम।
तोते इस शाख से उस शाख पर झूलते और मुझे देख कहते- 'टें' 'टें'।
मैं फिर बोला-
गोपी कृष्ण कहो बेटू, गोपी कृष्ण।
तोते बोले- टें..टें।
अच्छा बोलो...जय भीम।
तोते बोले-टें..टें।
तभी मुझे जेएनयू की घटना का संस्मरण हो आया. मैंने सोचा अभी ये मेधावी छात्र होंगे।
मैंने कहा-बोलो! आजादी। छीन के लेंगे आजादी!!! भारत तेरे टुकड़े होंगे, इंशाअल्लाह-इंशाअल्लाह।
तोते इस बार गुस्से से चीखते हुए उड़ गए- टें.. टें..टें.. टें..
मुझे एक बात समझ में आ गई. तोते यदि वास्तव में आजाद हों तो बस अपनी ही जुबान बोलते हैं। जय श्री राम, जय भीम या आजादी-आजादी बोलने वाले तोते तो वे होते हैं जिन्हें पढ़ाया/रटाया जाता है।
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