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सुख ! चैन ! प्यार !
नदिया के पार।
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सुख ! चैन ! प्यार !
ReplyDeleteनदिया के पार।
देवेन्द्र जी कविता नहीं आईना है .. शायद इसी को इक्कीसवीं सदी कहते हैं.
वास्तविकता से परिचय भयभीत करता है. बहुत खूबसूरती से बयाँ किया है आपने. धन्यवाद. नववर्ष की शुभकामनायें.
ReplyDeleteदेवेन्द्र भईया निशब्द कर दिया आपने इस कविता के माध्यम से । सच्चाई बयां करती लाजवाब रचना ।
ReplyDeleteअगर सच कड़वा होता हो तो कहूँगा ओह कटु वचन !
ReplyDeleteसटीक अभिव्यक्ति। कमाल की रचना। बधाई।
ReplyDeleteसत्य वचन ....
ReplyDelete:-(
देख तेरे इस देश की हालत, क्या हो गयी भगवान....
ReplyDeleteaapne to news channel ko kavita me la diya..
ReplyDeletelekin yahi satya hai....
sabdo me khubsurti se sanjoya....badhai:)
hurrrr, are-re-re, thay-thayn
ReplyDeletenadiya ke par.
naye varsh ki hardik subhkamnayein.
देवेन्द्र जी , नए साल में नीम के पकोड़े !
ReplyDeleteचलिए कुछ मूंह मीठा कीजिये , हमारे ब्लॉग पर ।
शुभकामनायें ।
जबरदस्त,वाह.
ReplyDeleteअखबार ..... नहीं नहीं देश की हेड लाइन लिख दी आपने तो ....
ReplyDeleteपर अब ये रोज़ की बातें हो गयी हैं ...
घोटालो की तो बहार आयी हुयी है .......आपके भी डिपार्टमेंट में कोई चांस हो तो मौक़ा चुकियेगा मत ....चार पाच सौ करोड़ इधर उधर कर देगे तो कोई बड़ा पहाड़ नहीं टूट जाएगा ....आम बात है . हम एक उभरती आर्थिक महाशक्ति है .....इतनी छोटी रकम तो ऐं- वें ही एडजस्ट हो जायेगी .
ReplyDeleteमीठे कवच में लिपटी कड़वी गोली!!
ReplyDeleteयही सब हो रहा है, जिसे सहजता से स्वीकार कर लिया जाता है...
ReplyDeleteबहुत अच्छी रचना है.
घोर निःशब्दता की स्थिति बन आई है...क्या कहूँ...????
ReplyDeleteनमन है आपकी कलम को...ऐसी अभिव्यक्ति को..पारखी नजर को..संवेदनशील ह्रदय को....
हुर्र....!
ReplyDeleteलड़की
प्रेमी के साथ
फुर्र....!
और
ठांय-ठांय
खत्म हुआ
जीवन का
कांय-कांय !
में जिस प्रकार अति संक्षेप में एक वृहत,विकट स्थिति को रेखांकित किया गया है, काव्य कला का बेजोड़ नमूना है यह...
देवेन्द्र जी,
ReplyDeleteबात कहाँ से कहाँ जोड़ दी है आपने......बहुत खूब....बहुत बढ़िया व्यंग्यात्मक पोस्ट है |
अच्छा लिखा ।
ReplyDeleteमकर संक्रान्ति पर रोचक और वास्तविक का संप्रेषण है ।
महगाई के कारण चाँद देखकर रोटी नजर आये,और समाचारों से दिल दहल जाए.
ReplyDeleteवास्तविकता से परिचय कराती रचना ..
ReplyDeleteआज का ताजा समाचार बहुत सही लिखा है आपने ! रोज यही होता है . धन्यवाद. नववर्ष की शुभकामनायें..
ReplyDeleteताज़ा समाचार तो अब जीवन का विद्रूप सच बन गया है ... आँख खोलो नहीं कि ...ये तांडव दिखने लगता है .. आह... कितनी वास्तविक रचना ..आपको बधाई ..
ReplyDeleteमकर संक्राति ,तिल संक्रांत ,ओणम,घुगुतिया , बिहू ,लोहड़ी ,पोंगल एवं पतंग पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं........
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