16.7.11

क्षणिकाएँ

(1) बसंत 
..............
भौरों को दिखला कर 
कलियों के नए बाग 
अंजुरी भर प्यार देकर 
किधर गया फिर बसंत ! 
चूमकर होठों को 
फूंककर प्राण नया 
बोलो न तड़पाकर 
किधर गया फिर बसंत ! 

(2)चक्रव्यूह 
...............
परिवर्तन चाहता है आदमी 
मोह जगाती है जगह 
चक्रव्यूह सा पाता हूँ चारों ओर 
याद आती है एक पौराणिक कथा 
अभिमन्यु मारा जाता है। 

(3)प्रेम 
............
बांधना चाहता हूँ तुझे 
गीतों में मगर
फैलती जाती है तू 
कहानी बनकर। 

(4) मजदूर 
................
उसके एक हाथ 
पत्थर कूटते-कूटते 
पत्थर के हो चुके थे 
और दूसरे में 
उंगलियाँ थी ही नहीं। 

(5) किसान 
..............
उसके खेत 
उसके पैर की बिवाइयों की तरह 
फट चुके हैं 
ये वही खेत हैं 
जिसे उसने 
पिछली बाढ़ के बाद 
बमुश्किल ढूँढ निकाला था। 

(6) कारण 
.............
मौत को देखकर परिंदा उड़ना भूल गया 
यही उसकी 
शर्मनाक मौत का कारण बना। 
.......

39 comments:

  1. ब्लागिंग में कुछ समस्याएं आ रही हैं...

    ब्लॉग इन ड्राफ्ट का प्रयोग करता था। इसका फीचर बदल गया लगता है। नई पोस्ट कैसे पोस्ट हो यह नहीं समझ में आ रहा।

    हमारीवाणी में यह पोस्ट नहीं दिख रही। जबकि पहले की तरह ही क्लिक किया था!

    ReplyDelete
  2. बांधना चाहता हूँ तुझे
    गीतों में
    फैलती जाती है तू
    कहानी बनकर।

    अहा!
    क्या बात कही है देवेन्द्र भाई आपने। इस पर तो सौ गीत/कविता कुर्बान!

    ReplyDelete
  3. सभी क्षणिकाएँ बहुत बढ़िया रहीं!

    ReplyDelete
  4. सभी क्षणिकाएँ मन को गहरे तक छू गईं... हार्दिक बधाई.

    ReplyDelete
  5. सभी क्षणिकाएँ मन को उद्वेलित करने वाली सुन्दर अभिव्यक्ति हैं...

    ReplyDelete
  6. गागर में सागर सी हैं ये क्षणिकाएं।


    ------
    जीवन का सूत्र...
    NO French Kissing Please!

    ReplyDelete
  7. अलग अलग रंग लिए सभी क्षणिकाएं...पर सभी मन को छूने और अपने ही रंग रंगने में समर्थ..

    बहुत बहुत सुन्दर...किसे कम कहूँ,किसे अधिक...

    ReplyDelete
  8. सभी क्षणिकाएँ बहुत बढ़िया रहीं!
    सुन्दर अभिव्यक्ति हैं...

    ReplyDelete
  9. किसान, मजदूर और प्रेम.......तीनो मुझे बहुत पसंद आई........वाह.....शानदार|

    ReplyDelete
  10. बांधना चाहता हूँ तुझे
    गीतों में
    फैलती जाती है तू
    कहानी बनकर।
    वाह ...बहुत खूब कहा है ।

    ReplyDelete
  11. lovely verses
    but last one is awesome !!

    ReplyDelete
  12. हर क्षणिका बेहतरीन है.

    ReplyDelete
  13. एक से एक सशक्त क्षणिका, न जाने कितने अभिमन्यु क्षत विक्षत हैं।

    ReplyDelete
  14. सभी क्षणिकाएं सुन्दर .

    बांधना चाहता हूँ तुझे
    गीतों में
    फैलती जाती है तू
    कहानी बनकर।

    यह सबसे बढ़िया लगी .

    ReplyDelete
  15. एक से बढ़कर एक गहरे अर्थों और संवेदना भरी लम्बी तासीर उदगमित करती क्षणिकाएं !
    कमाल करते हो बेचैन भाई !

    ReplyDelete
  16. पहली तो बेजोड़ है -बसंत मुआ ऐसा ही करता है! आस दिलाकर निराश करता है !

    ReplyDelete
  17. क्षणिकाएँ प्रभावी बनी हैं... बधाई..

    ReplyDelete
  18. एक से बढकर एक, लाजवाब अभिव्यक्ति.

    रामराम.

    ReplyDelete
  19. प्रत्येक क्षणिका एक से बढ़कर एक

    ReplyDelete
  20. सभी एक से बढकर एक!

    ReplyDelete
  21. एक से बढ़कर एक
    क्षण का सुख लिया ||
    बधाई ||

    ReplyDelete
  22. @बांधना चाहता हूँ तुझे
    गीतों में
    फैलती जाती है तू
    कहानी बनकर....
    बहुत बेहतरीन लाइनें,आभार.

    ReplyDelete
  23. गागर में सागर की तरह हैं आपकी रचनाएँ....इन्हें क्षणिकाएं कहकर इनका मान छोटा न करें !

    ReplyDelete
  24. उसके एक हाथ
    पत्थर कूटते-कूटते
    पत्थर के हो चुके थे
    और दूसरे में
    उंगलियाँ थी ही नहीं।
    एक एक क्षणिका भाव पूर्ण्………सुंदर प्रस्तुति।

    ReplyDelete
  25. दूसरे नंबर की क्षणिका सबसे अछ्छी लगी.
    आपकी ब्लागिंग की परेशानी कैसे हल होगी ये मुझे मालूम नहीं,नहीं तो अवश्य कोशिश करता.

    ReplyDelete
  26. bahut hi acha laga sabko padhkar,,,
    2nd no ki kuch jyada pasand ayi
    jai hind jai bharat

    ReplyDelete
  27. आप का बलाँग मूझे पढ कर अच्छा लगा , मैं भी एक बलाँग खोली हू
    लिकं हैhttp://sarapyar.blogspot.com/

    आपको मेरी हार्दिक शुभकामनायें.

    अगर आपको love everbody का यह प्रयास पसंद आया हो, तो कृपया फॉलोअर बन कर हमारा उत्साह अवश्य बढ़ाएँ।
    --
    hai

    ReplyDelete
  28. Beautifulpoems wih different tastes and emotions,I liked them all,including poem on face book.Pl enjoy writing,you have agood poetic sense.
    Good day
    dr.bhoopendra

    ReplyDelete
  29. देवेन्द्र जी सारी क्षणिकाएं बहुत सुन्दर और लाजवाब रहा! दिल को छू गयी हर एक क्षणिकाएं! बेहतरीन प्रस्तुती!

    ReplyDelete
  30. बांधना चाहता हूँ तुझे
    गीतों में
    फैलती जाती है तू
    कहानी बनकर।
    बेहतरीन.............

    ReplyDelete
  31. गागर में सागर.

    ReplyDelete
  32. हर क्षणिका ने बाँध लिया ... कुछ शब्दों में गहरी बातें कहती हैं क्षणिकाएं और आपने पूरा इन्साफ किया है ... बहुत लाजवाब ...

    ReplyDelete
  33. आखिरी क्षणिका ने स्तब्ध सा कर दिया क्य परिन्दा क्या मनुष्य सभी यही तो करते है
    सभी क्षणिकाये लाज्बाब है आभार

    ReplyDelete
  34. बांधना चाहता हूँ तुझे
    गीतों में
    फैलती जाती है तू
    कहानी बनकर।

    Beautiful expression

    .

    ReplyDelete
  35. बहुत खूब!
    सभी रचनाएँ अच्छी लगी.

    तीसरी और पांचवी बहुत प्रभावी लगीं.....!

    ReplyDelete
  36. भावों के समुन्दर में डुबकीलगवाती सह -भावित भाव -कणिकाएं .

    ReplyDelete
  37. तरंगीत करती हुई क्षणिकाएं .

    ReplyDelete