मेढक उछल रहे किनारे
मछली का मन चंचल है
नदी में हलचल है
मगरमच्छ लाचार पड़े हैं
संत समाधी पर अड़े हैं
आगे गहरा कुआँ खुदा है
पीछे चौड़ी खाई है
कल कल में अब दलदल है
नदी में हलचल है।
एक भगीरथ ने ललकारा
निर्मल होगी नदी की धारा
गंदे नाले सभी हटेंगे
कचरे साफ अभी करेंगे
निरूपाय खल का बल है
नदी में हलचल है।
हंसो से कह रहे शिकारी
नीर क्षीर विवेक छोड़ दे
पंछी चीख रहे मूर्ख तू
अब पिंजड़े के द्वार खोल दे
बढ़ रहा ज्वार पल पल है
नदी में हलचल है।
आज नदी में हलचल है।
ReplyDeleteआज तो समुद्र में ज्वार चढा है ... अच्छी प्रस्तुति
ReplyDeleteएक भगीरथ ने ललकारा
ReplyDeleteनिर्मल होगी नदी की धारा ......
swami nigmanand ji ka balidaan vyarth nahi jayega .....aaj nahi to kl.....aisa hi hoga...shubhkaamnaye or aabhar uprokt sunder prastuti hetu.
is halchal me jivan hai...
ReplyDeleteबढ़ रहा ज्वार पल पल है
ReplyDeleteनदी में हलचल है।
सुमधुर....सार्थक ...रचना ...
आज तो वाकई हलचल है ....
बहुत खूबसूरत .........अपनी कहानी आप कहती नदी की ये हलचल बहुत सुन्दर लगी|
ReplyDeleteसुनामी आ जाए तो अच्छा होगा . अच्छी लगी रचना.
ReplyDeleteसुंदर भावाभिव्यक्ति...
ReplyDeleteअच्छी प्रस्तुति...........
ReplyDeleteइस सुन्दर रचना पर टिप्पणी में देखिए मेरे चार दोहे-
ReplyDeleteअपना भारतवर्ष है, गाँधी जी का देश।
सत्य-अहिंसा का यहाँ, बना रहे परिवेश।१।
शासन में जब बढ़ गया, ज्यादा भ्रष्टाचार।
तब अन्ना ने ले लिया, गाँधी का अवतार।२।
गांधी टोपी देखकर, सहम गये सरदार।
अन्ना के आगे झुकी, अभिमानी सरकार।३।
साम-दाम औ’ दण्ड की, हुई करारी हार।
सत्याग्रह के सामने, डाल दिये हथियार।४।
@@@एक भगीरथ ने ललकारा
ReplyDeleteनिर्मल होगी नदी की धारा
गंदे नाले सभी हटेंगे
कचरे साफ अभी करेंगे..
वाह-जय हो..
बहुत ही सार्ह्तक रचना.. आज के हालात को सही तरह से दर्शाती हुई है ..
ReplyDeleteआभार
विजय
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कृपया मेरी नयी कविता " फूल, चाय और बारिश " को पढकर अपनी बहुमूल्य राय दिजियेंगा . लिंक है : http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/07/blog-post_22.html
सिंह जगे, कोलाहल न हो,
ReplyDeleteशुद्धि हेतु गंगाजल न हो?
साभार प्रवीण पाण्डेय जी .
bahut sunder aaj kee sthitee ka chitran .
ReplyDeletebahut sunder aaj kee sthitee ka chitran .
ReplyDeleteअब ये हलचल सुनामी बन गयी है
ReplyDeleteसार्थक प्रस्तुति... आभार...
ReplyDeleteसादर,
डोरोथी.
बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति.......
ReplyDeleteनमस्कार....
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर लेख है आपकी बधाई स्वीकार करें
मैं आपके ब्लाग का फालोवर हूँ क्या आपको नहीं लगता की आपको भी मेरे ब्लाग में आकर अपनी सदस्यता का समावेश करना चाहिए मुझे बहुत प्रसन्नता होगी जब आप मेरे ब्लाग पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराएँगे तो आपकी आगमन की आशा में........
आपका ब्लागर मित्र
नीलकमल वैष्णव "अनिश"
इस लिंक के द्वारा आप मेरे ब्लाग तक पहुँच सकते हैं धन्यवाद्
वहा से मेरे अन्य ब्लाग लिखा है वह क्लिक करके दुसरे ब्लागों पर भी जा सकते है धन्यवाद्
MITRA-MADHUR: ज्ञान की कुंजी ......
जी, नदी में हलचल है.
ReplyDeletehalchal to aa chuki hai...aage intzar hai ufan kab aata hai aur kya parinam nikalte hain.
ReplyDeletesunder bimb prastuti.