31.12.11

लोकपाल की याद में.....


अस्सी में...पप्पू की अड़ी पर बैठा था। लोकपाल बिल पर बड़ी गरमा गरम बहस के बीच मैने कहा.."खौला चकाचक गुनगुना हो गया है, भारी गदा था झुनझुना हो गया है।" सभी कहने लगे..बहुत सही...आगे ? आगे घर आकर लिखा। अली सा से पूछा कि ठीक है ? वे बोले, "यहां-यहां गड़बड़ है बाकी सब ठीक है।" दूसरे वाले शेर के पहले मिसरे में खामियाँ बता कर वो बोले, "आप गज़ल लिख रहे हो, मतलब मुसीबत में हो। मैं मुसीबत मोल नहीं लेता।" मैने हामी भरी। गज़ल लिखना मतलब मुसीबत मोल लेना ही है। जो कहना चाहते हैं उसे  गज़ल में अभिव्यक्त कर पाना बड़ा ही कठिन काम है। उनके कहे अनुसार दूसरे शेर को सुधार दिया। वैसे भी समय कम मिलता है। तीन दिन बाद यह गज़ल पूरी हुई मान कर प्रकाशित कर रहा हूँ। इसमें आप भी प्रयास कर सकते हैं तो करें..और अच्छी गज़ल बन जाय। नव वर्ष 2012 में आप सभी पर ( मेरे बाद ) सरस्वती की कृपा बनी रहे। आप सभी बहुत अच्छा लिख पायें और खूब कमेंट पायें। अभी प्रस्तुत है बड़ी मेहनत से लिखी यह गज़ल ..झूठी तारीफ मत कीजियेगा । सही-सही बताइये कि कैसी है ?


खौला चकाचक गुनगुना हो गया है
भारी गदा था झुनझुना हो गया है।

मैली सही पर डुबकियाँ तो लगाओ
थैला अचानक दो गुना हो गया है।

गन्दा नहाता ही कहाँ सर्दियों में
चन्दन लगा कर चुनमुना हो गया है।

कैसी शरम किसका रहम-ओ-करम है
अपना 'सरौता' रहनुमा हो गया है।

हाकिम हमेशा जो कहे वो सही है
आदेश पढ़कर कुनमुना हो गया है।

पप्पू दुकनियाँ बड़बड़ाता बहुत है
घर में अकेले भुनभुना हो गया है।

....................................

21 comments:

  1. देवेंदर जी साल के जाते जाते कमाल करदिया बढ़िया गजल लोकपाल पर


    .......नववर्ष आप के लिए मंगलमय हो

    शुभकामनओं के साथ
    संजय भास्कर
    http://sanjaybhaskar.blogspot.com

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  2. सही सही कह रहे हैं, बहुत सुन्दर और सटीक लिखा है आपने. झुनझुने जैसा ही होकर रह गया है ये लोकपाल... नव वर्ष की हार्दिक शुभकमनाएं...

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  3. मस्त!

    एक मिसरा हमरी ओर से भी जोड़िये तो...

    समझते थे जिसे समझदार, बहस-तलब बुद्धिजीवी
    देखो तो कैसे कम्बख्त वह 'निगड़ा' हो गया है :)

    # निगड़ - हाथी के पांव में बान्धी जाने वाली लोहे की सिकड़ी।

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  4. लोकपाल तो अब अनसुना हो गया है।

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  5. नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं

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  6. समझते हैं मसीहा हम जिसे अपना,
    हुक्काम के लिए वो 'भगोड़ा' हो गया है !


    बढ़िया प्रयास ...ग़ज़ल में आज़माइश और अली सा की समझाइस, सोने पे सुहागा !

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  7. सतीश जी..

    मस्त शेर, सही बात लिखी है आपने
    मुसीबत फिर काफिये का 'लफड़ा' हो गया है।

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  8. शानदार....जानदार ! नए शाल की ढेरों शुभकामनाये आपको !

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  9. बढ़िया कहें है भाई.....कौनो कमी नाही है.....नया साल मुबारक हो आपको और आपके प्रियजनों को |

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  10. Vaah Devendr Ji .... Prayas kamaal ka hai ... Ab kya kahne ...
    Naya sher mera banate banate
    Bivi se Ab to jhagda ho Gaya hai ....

    Aapko naye Saal 2012 ki Bahut Bahut mangal kamnayen ....

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  11. काहे जगाते हो यह लोकतन्त्र, अन्नाजी,
    मौसम हसीं, वह नींद में, कुनमुना हो गया है।

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  12. बहुत सुन्दर प्रस्तुति वाह!...नववर्ष की मंगल कामना

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  13. अब गज़ल है कि नहीं यह तो बताने वाले बताएंगे। पर जो भी है गजब है।

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  14. हमारी मुसीबत से मुंह मोडकर ,
    जो नेता था वो बदगुमाँ हो गया!
    .
    जिसे समझा चन्दन लगाया था माथे,
    वही दाग इक बदनुमा हो गया.
    .
    'सलिल'कल जो बन्दर नचाता था वो
    मेरा वोट ले रहनुमा हो गया!
    /
    पांडे जी, बहुत खतरनाक काफिया देये हैं आप.. बहर संभालो तो काफिया तंग पड़ जाता है और काफिया संभालो तो बहर से पाँव बाहर आ जाते हैं!! जल्दबाजी में इतना ही... हो सका तो इसी साल कुछ और अशआर जोड़ने की कोशिश करूँगा!!

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  15. आप की प्रतीक्षा में शाम होने को आई
    काफिया बहर दुन्नो कठिन हैं बड़े भाई
    22 122 212 2122
    आज जल्दबाजी में अशआर जोड़ते चले जायेंगे
    कभी काफिये में, कभी बहर में उलझ जायेंगे

    बदनुमा, बदगुमाँ को बाहर निकालने के लिए शुक्रिया। दुन्नो दिल्ली में थे! और हम यहां बनारस में ढूँढ रहे थे।

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  16. सुंदर अभिव्यक्ति बेहतरीन गजल लोकपाल पर .....
    नया साल सुखद एवं मंगलमय हो,....

    मेरी नई पोस्ट --"नये साल की खुशी मनाएं"--

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  17. गजल वो भी लोकपाल पर..हुन -हुना है..

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  18. ये ग़ज़ल क्या सुनायी है आपने सारी खुशी हवा हो गयी है :)
    नए साल पर नए कवित्त फूटें और परिवार चकाचक याहे ...
    शुभकामनायें!

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  19. शानदार गज़ल! वाह रे लोक-पाल……लोगों को एशो आराम से पलने पालने के तरीके में बैरियर खड़ा करने वाला बिल आसानी से कैसे पास होता………आशा करें वर्ष 2012 देश-वासियों के लिये, सबके लिये सुकून भरा हो……हार्दिक शुभकामनाओं सहित………

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  20. बढिया.
    वैसे हमको गजल-वजल की बिल्कुल समझ नहीं है :)

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