1)मैं इतना कटु नहीं लिख सकता..हुआ नहीं हूँ, करीब तो आ ही गया हूँ।:) (2) सही है। बुरों का भी सम्मान समारोह मनाइये।:) (3)सही पहचाना, पिखला शीशा ही तो निकला है।:)
ब्लॉग जगत में कैसे कैसे लोग हैं,अपने बाल नोचने का दिल करता है !
देवेन्द्र भाई ... पुरस्कार बंट गए, हम और आप रह गए देखते ! साला आखिरी भी नहीं दिया किसी ने :( इनके भरोसे बैठोगे तो केशव भी नाराज होंगे, क्यों न हम कुछ करें ! अली साहब को कुर्सीमैन बनाएंगे, लोग उनकी इमानदारी पर भरोसा करेंगे ! कुल जमां १०-१२ ब्लोगर भी मिल गए तो काम हो गया !अनूप शुक्ला को भी पटाया जा सकता है, अरविन्द मिश्र से आप बात कर लेना उम्मीद है वे भी तैयार हो जायेंगे ! सुना है ताऊ भी मैदान में आ गया है वह दशक पुरस्कार देने के चक्कर में है मगर वहाँ का खर्चा ज्यादा होगा,ताऊ घाघ है ... उम्मीद है चुप नहीं रहोगे !
पुरस्कार की तो कोई उम्मीद ना थी। जानता हूँ हमसे अच्छे बहुत हैं। दुःख तो पसंद करने वालों ने दिया। किसी ने झूठे से भी नाम नहीं लिया! पूरी लिस्ट से ही पत्ता गोल!!(:
अपनी पिछली दो नारी वादी पोस्टों, कविता.. 'मैं तो आम हूँ' और 'कन्या भ्रूण हत्या' में आपके यही दो शब्द देखना चाहता था..सही कहा। हाय! इस खुराफात में दिखा।(:
पोस्ट में 'जे' नहीं दिखता लेकिन डैशबोर्ड में दिखता है। मुझे लगता है मेरी बड़ी वाली स्माइली डैशबोर्ड में 'जे' बन जाती है। दूसरा कोई अर्थ नहीं है।..धन्यवाद।
लो बोलो हमने तो पूरी पोस्ट लिखी थी इसी नाम से स्मार्ट इंडियन जी और आप "सुना" कह रहे हैं . बस फरक इतना हैं आज कल वो कह रहे जो तब नेट के उधर थे . हिंदी ब्लोगिंग के एलीट ब्लोगरhttp://mypoeticresponse.blogspot.in/2011/09/blog-post_23.html
और क्यूंकि बात निकली है तो कहना चाहूँगा कि आप को खुश होना चाहिए कि बना रहे बनारस पर आज तक हिन्दी-उर्दू के तमाम कालजयी लेखकों को कुल मिली है जितनी टिपण्णी नहीं मिली है जितनी आपको एक पोस्ट पर मिल चुकी है....या फिर यहाँ मौजूद तमाम सज्जनों को उनके पोस्ट पर मिलती रहती है :-)
अधिकतर ब्लॉग को पढ़ने की कोशिश रहती है, इन कोशिशों का नतीजा यह रहा कि हिन्दी के अधिकांश ब्लॉग अपठनीय हैं...सस्ता मनोरंजन उद्देश्य न हो तो इनमें से ज्यादातर ब्लॉग समय की बर्बादी मात्र हैं....
मैंने यह सूची देखी और यह भी देखा कि हिन्दी ब्लॉग में कैसी चीजें ज्यादा पढ़ी जाती हैं....
हम जैसे बहुत से लोगों को लगा था कि साहित्य और पत्रकारिता की मठाधीशी का जवाब होगा ब्लॉग.... लेकिन ब्लॉग ने तो बहुत कम से समय में वह सारी 'सीमाएं' लांघ ली जिसे पार करने में प्रिंट को लंबा वक्फा लगा था...
जिसके पास इतने प्रशंसक हों उसे तो उस सूची में शामिल हो जाना चाहिए था! लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसका मीधा मतलब यह है कि कमेंट से खुश होना हमारी भूल है। यही बात मैं कहना चाहता था....झूठी तारीफ लेकर क्या पायेंगे?
अच्छा साहित्य पढ़ना और मौज लेना दोनो ही अपना शौक है। ब्लॉग जगत में दोनो ही उपलब्ध है। जब जो मूड में आया कर लिया।:) हमेशा मूड एक जैसा नहीं रहता। गंभीर विषयों पर ध्यानकेंद्रित करना हमेशा आसान नहीं होता।
ब्लॉग ने कम समय में वे सारी सीमाएं इसलिए लांघ ली कि यहां कोई भी आने के लिए स्वतंत्र है। इसके लिए किसी विशेष योग्यता/साहित्यकार होने की शर्त नहीं है। जैसे समाज में भांति-भांति के लोग हैं वैसे ही ब्लॉगर भी अनगिन रूचियों वाले हैं। यह ऐसे ही चलता रहेगा। विचारों का यह आदान-प्रदान प्रिंट मिडिया कहाँ दे पाता? मुझे तो यह लाभ बहुत बड़ा लगता है।
संजय जी अरे कोई तो पुरुस्कार और लिस्ट हम जैसे बुरे ब्लोगरो के लिए छोड़ दीजिये आप तो हर लिस्ट में विराजमान है सबसे ऊपर के नम्बरों में ;) इन बुरे ब्लागरो के लिस्ट में आप की कोई जगह ना होगी :)
बात तो बिलकुल ठीक है, हम कहा जायेंगे??? लेकिन यह भी तो है: "अपने मर्जी से कहा अपने सफ़र के हम हैं...." वक्त जहा ले जाएगा, वही जायेंगे. :) ख्याल बहुत ख़ूबसूरत है जी!! -लोरी.
पढ़ लिया था , सोचा कमेन्ट भी कर दिया , मगर नजर नहीं आया ... पूजा के बाद प्रसाद अगली लाईन के लोगो को मिलता है , पीछे वाले पुजारी द्वारा दूर से छिडके गये पवित्र जल के छींटों से ही पवित्र हो जाते हैं , यही सही :)
सोचने की बात है। :)
ReplyDeleteसोचने पर लगता है..डूब मरने की बात है।:)
Deleteतो ब्लॉग-लेखन खुद को अभिव्यक्त करने की इच्छापूर्ति के लिए है या किसी तारीफ़ के लिए :)
ReplyDeleteऐसे ही मौज़ लेने के लिए।:)
Delete१)सबसे ज़्यादा फिसलन की आशंका बुड्ढों की ही होती है |
ReplyDelete२)बुरे हैं तभी अच्छे पहचाने जाते हैं |
३)झूठी तारीफ ही सुनाई देती है,सच्ची के वक्त कानों में पिघला शीशा घुस जाता है |
1)मैं इतना कटु नहीं लिख सकता..हुआ नहीं हूँ, करीब तो आ ही गया हूँ।:)
Delete(2) सही है। बुरों का भी सम्मान समारोह मनाइये।:)
(3)सही पहचाना, पिखला शीशा ही तो निकला है।:)
मस्त :-)
ReplyDeleteबढ़िया आप पढ़ते नहीं, खुराफात से मस्त हो गये।(:
Deleteआपको ऐसा लगता है क्या !! (मेरे ख्याल से कमेन्ट नहीं करने का अर्थ यह नहीं होता कि आदमी पढता नहीं..)
Delete..... मुझे तो लगा कि आप ब्लॉग जगत में चल रही छिछलपंथी पर तंज कस रहे हैं....खुराफात को गंभीरता से ले लिया शायद :-)
जी, मुझे यही लगा था। इसीलिए यहाँ आपको देखकर अचरज में पड़ गया। आपको कष्ट पहुँचा इसके लिए खेद है।
Delete
ReplyDeleteहमतो खुद को भला मानते हैं सनम
पर सभी ने हमें, आज ठुकरा दिया !
न सूरज ने देखा न शिवजी ने परखा
इस दुनिया को कैसे अब भरमाएंगे !
अपना चेहरा न पाया किसी लिस्ट में
अब बताओ जरा, हम किधर जायेंगे!
ho gaye aap ab jag-jit
Deleteban-ke sabke man ke meet
gate rahte jo mere geet
pranam.
सतीश जी...
Deleteवाकई आप कवि ह्रदय हैं। मेरी तरह आहत हो गये।:) कितना सही कहा गया है..
आह! से निकला होगा गान। मस्त निकला है। आपके प्रश्न का जवाब ये रहा...
सागर में देखी है दूधिया चाँदनी
अब वहीं सर रखकर सो जायेंगे।:)
ब्लॉग जगत में कैसे कैसे लोग हैं,अपने बाल नोचने का दिल करता है !
Deleteदेवेन्द्र भाई ...
पुरस्कार बंट गए, हम और आप रह गए देखते ! साला आखिरी भी नहीं दिया किसी ने
:(
इनके भरोसे बैठोगे तो केशव भी नाराज होंगे, क्यों न हम कुछ करें !
अली साहब को कुर्सीमैन बनाएंगे, लोग उनकी इमानदारी पर भरोसा करेंगे ! कुल जमां १०-१२ ब्लोगर भी मिल गए तो काम हो गया !अनूप शुक्ला को भी पटाया जा सकता है, अरविन्द मिश्र से आप बात कर लेना उम्मीद है वे भी तैयार हो जायेंगे !
सुना है ताऊ भी मैदान में आ गया है वह दशक पुरस्कार देने के चक्कर में है मगर वहाँ का खर्चा ज्यादा होगा,ताऊ घाघ है ...
उम्मीद है चुप नहीं रहोगे !
पुरस्कार की तो कोई उम्मीद ना थी। जानता हूँ हमसे अच्छे बहुत हैं। दुःख तो पसंद करने वालों ने दिया। किसी ने झूठे से भी नाम नहीं लिया! पूरी लिस्ट से ही पत्ता गोल!!(:
Deleteसतीश भाई जी जब लिस्ट में पायेंगे नहीं नाम
Deleteएक सूची और बनाएंगे उसमें होगा सबका नाम
यही बात है ....
Deleteहम तो जोगी, प्रेम के रोगी, धूनी वहीं रमायेंगे ... (एक फ़िल्मी गीत से)
Deleteदद्दा घाघ बहुत हैं - कुछ घोषित कुछ अघोषित..
Deleteबाकिय हम तो 'इस्मार्ट' बाबा हैं - प्रेम के रोगी - धुनी तो हर जगह जमायेंगे.
बुरों की एक अलग सूची प्रकाशित की जाए.......
ReplyDelete:-)
अनु
☻
Deleteसभी यहीं आ जायेंगे, नम्बरिंग आपके जिम्मे।:)
Deleteहम नंबर वन पर.............
Deletethen first come first serve :-)
क्यों, बाबा को भूल गए क्या सब.
Deleteउस लिस्ट में पहला नंबर लेने की जुगाड़ की जाए या आखिरी ...??
ReplyDeleteपहला नम्बर लेंगे तो अच्छों के करीब पहुँच जायेंगे।:)
Deleteअच्छों की सूची प्रकाशित हुयी ...
ReplyDeleteआप भी इशारों इशारों में बात करने लगे ... आप तो एइसे न थे ...
आप इशारों में पूरा दर्शन रख देते हैं तब नहीं..?:)
Deleteहालत 'एइसे' बना देते हैं, पंडित जी का करें.
Deletesahii kehaa
ReplyDeleteअपनी पिछली दो नारी वादी पोस्टों, कविता.. 'मैं तो आम हूँ' और 'कन्या भ्रूण हत्या' में आपके यही दो शब्द देखना चाहता था..सही कहा। हाय! इस खुराफात में दिखा।(:
Deletesorry
Deleteidhar bahut vyasth rahii padha haen dono ko par kament nahin diyaa
sorry again
waese ek baat kahun
khuraafat mae bhi uthin hi ruchii rakhtee hun jitna naari aadharit vishyon mae
aap ki regualr paathak hun
aur
saal bhar ab achho kaa danka peetaegaa
sal bhar baad burae apnae aap pataa chal jayegae
ham aap tab bhi blog likhaegae
आप पढ़ती हैं इतना जानना ही बहुत है। मैं ही गफ़लत में था। sorry तो मुझे कहना चाहिए।...इस कमेंट के लिए धन्यवाद।
Deleteवाह
ReplyDelete:)
वैसे वाह में एक 'आह' निहित मानी जाए :)
ReplyDeleteमान लिया बाबा।
Deleteआप हिम्मती हैं वरना लोग आहें भरने में भी लजाने लगते हैं।:)
:) अरे भाई अब लोग चैन से रोने भी नहीं देते.
Deleteयहीं रहेंगे और ब्लॉग लेखन करेंगे
ReplyDeleteना इधर जायेंगे ना उधर जायेंगे.... :)
जानकर खुशी हुई। हम भी यहीं रहेंगे।:)
Deleteदुखी मन मेरे सुन मेरा कहना, जहाँ नहीं चैना, वहाँ नहीं रहना (पुनः, एक फ़िल्मी गीत से)
Deleteजीना यहाँ मारना यहां ... इसके सिवा जाना कहां ...
Deleteबहुत सच कहा है....
ReplyDeleteबहुत कहाँ ? थोड़ा ही तो कहा।:)
Deleteअंत में अंग्रेज़ी का 'जे' है... मतलब समझ नहीं आया
ReplyDeleteपोस्ट में 'जे' नहीं दिखता लेकिन डैशबोर्ड में दिखता है। मुझे लगता है मेरी बड़ी वाली स्माइली डैशबोर्ड में 'जे' बन जाती है। दूसरा कोई अर्थ नहीं है।..धन्यवाद।
Deleteएम एस वर्ड में समाईली : गूगल बाबा की शरण में आकार जे बन जाता है..... जैसे अकेले में रोता ब्लोगर सामने आकार समायेली लगा खुश नजर आता है.
Deleteदेखन में छोटे लागे घाव करें गंभीर :-)
ReplyDeleteअरे नहीं इमरान भाई। उद्देश्य घाव देना नहीं सिर्फ मौज मस्ती है। आहें भरने में कैसी शरम?:)
Delete:) अपने अपने ब्लॉग में ही रम जायेंगे.
ReplyDeleteयही ठीक रहेगा।:)
Deleteअच्छी है
ReplyDeleteअभी आगे आगे देखिये होता है क्या इब्दितये ब्लागरी पुरस्कारों पर रोता है क्या ? ..यह एक नयी गोलबंदी है-स्वनामधन्य एलीट ब्लागर्स की ...... :)
ReplyDeleteअच्छा ! ये बात..!! :)
Deleteएलीट नाम सुना हुआ लगता है।
Deleteपता नहीं, एलियन तो सुना था.
Deleteलो बोलो हमने तो पूरी पोस्ट लिखी थी इसी नाम से स्मार्ट इंडियन जी और आप "सुना" कह रहे हैं . बस फरक इतना हैं आज कल वो कह रहे जो तब नेट के उधर थे . हिंदी ब्लोगिंग के एलीट ब्लोगरhttp://mypoeticresponse.blogspot.in/2011/09/blog-post_23.html
Deleteप्रश्न विचारणीय है..
ReplyDeleteहर पोस्ट पर इतने तारीफ मिलते हैं..क्या वे सब झूठे हैं ? :)
Deleteहमेशा .....
Deleteकहाँ जाएगें अच्छे अच्छों को छोड़कर
ReplyDeleteअच्छों के संग हम भी धिक जाएगें।:)))
अच्छों को छोड़ने का खयाल तो सपने में भी नहीं।:)
Deleteवाकई प्रश्न विचारणीय है :-)
ReplyDeleteविभेदक रेखा को लगता है आपने देखा है
ReplyDeleteविभेदक रेखा को आधार बनाकर उस पर लम्ब गिराना है।:)
Deleteएकदम सही और सटीक लिखा है आपने :)
ReplyDeleteझूठी तारीफ लेकर क्या पाएंगे .....कडवा सच इन शब्दों में
ReplyDeleteफिर तारीफ! :)
Deleteऔर क्यूंकि बात निकली है तो कहना चाहूँगा कि आप को खुश होना चाहिए कि बना रहे बनारस पर आज तक हिन्दी-उर्दू के तमाम कालजयी लेखकों को कुल मिली है जितनी टिपण्णी नहीं मिली है जितनी आपको एक पोस्ट पर मिल चुकी है....या फिर यहाँ मौजूद तमाम सज्जनों को उनके पोस्ट पर मिलती रहती है :-)
ReplyDeleteअधिकतर ब्लॉग को पढ़ने की कोशिश रहती है, इन कोशिशों का नतीजा यह रहा कि हिन्दी के अधिकांश ब्लॉग अपठनीय हैं...सस्ता मनोरंजन उद्देश्य न हो तो इनमें से ज्यादातर ब्लॉग समय की बर्बादी मात्र हैं....
मैंने यह सूची देखी और यह भी देखा कि हिन्दी ब्लॉग में कैसी चीजें ज्यादा पढ़ी जाती हैं....
हम जैसे बहुत से लोगों को लगा था कि साहित्य और पत्रकारिता की मठाधीशी का जवाब होगा ब्लॉग.... लेकिन ब्लॉग ने तो बहुत कम से समय में वह सारी 'सीमाएं' लांघ ली जिसे पार करने में प्रिंट को लंबा वक्फा लगा था...
जिसके पास इतने प्रशंसक हों उसे तो उस सूची में शामिल हो जाना चाहिए था! लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसका मीधा मतलब यह है कि कमेंट से खुश होना हमारी भूल है। यही बात मैं कहना चाहता था....झूठी तारीफ लेकर क्या पायेंगे?
Deleteअच्छा साहित्य पढ़ना और मौज लेना दोनो ही अपना शौक है। ब्लॉग जगत में दोनो ही उपलब्ध है। जब जो मूड में आया कर लिया।:) हमेशा मूड एक जैसा नहीं रहता। गंभीर विषयों पर ध्यानकेंद्रित करना हमेशा आसान नहीं होता।
ब्लॉग ने कम समय में वे सारी सीमाएं इसलिए लांघ ली कि यहां कोई भी आने के लिए स्वतंत्र है। इसके लिए किसी विशेष योग्यता/साहित्यकार होने की शर्त नहीं है। जैसे समाज में भांति-भांति के लोग हैं वैसे ही ब्लॉगर भी अनगिन रूचियों वाले हैं। यह ऐसे ही चलता रहेगा। विचारों का यह आदान-प्रदान प्रिंट मिडिया कहाँ दे पाता? मुझे तो यह लाभ बहुत बड़ा लगता है।
..खुलकर अपने विचार रखने के लिए आपाका आभारी हुआ।
लो : आ गए टीप के मारे.
Deleteहम भी पर्चा दाखिल करेंगे इस सूची के लिए:)
ReplyDeleteआर.टी.आई अर्ज़ी?
Deleteसंजय जी
Deleteअरे कोई तो पुरुस्कार और लिस्ट हम जैसे बुरे ब्लोगरो के लिए छोड़ दीजिये आप तो हर लिस्ट में विराजमान है सबसे ऊपर के नम्बरों में ;) इन बुरे ब्लागरो के लिस्ट में आप की कोई जगह ना होगी :)
बिलकुल सही.... बाऊ इथे बस दिलजले बैठे है..
Deleteतुम्हे जिंदगी के उजाले मुबारक.....
....
...
..
:)
देश निकाला?
Delete:(
तो हम दिलजले नहीं हैं? बाबाजी, हम दिलजले, दिलभुने, दिलसिके, दिलफुके सब कुछ हैं|
लो बुरे ब्लागरो की लिस्ट बनाना शुरू भी ना हुई की वहा भी पहले अपना नाम होने की होड़ शुरू हो गई |
ReplyDeleteहाय !
ReplyDeleteकोई होता जिसका हमको, इक मत मिल जाता यारो !
अच्छा नहीं वो बुरा ही होता , होता लेकिन मेरा अपना ! :)
बात तो बिलकुल ठीक है, हम कहा जायेंगे???
ReplyDeleteलेकिन यह भी तो है:
"अपने मर्जी से कहा अपने सफ़र के हम हैं...."
वक्त जहा ले जाएगा, वही जायेंगे. :)
ख्याल बहुत ख़ूबसूरत है जी!!
-लोरी.
पढ़ लिया था , सोचा कमेन्ट भी कर दिया , मगर नजर नहीं आया ...
ReplyDeleteपूजा के बाद प्रसाद अगली लाईन के लोगो को मिलता है , पीछे वाले पुजारी द्वारा दूर से छिडके गये पवित्र जल के छींटों से ही पवित्र हो जाते हैं , यही सही :)
tum n likhoge to ham kidhar jayegen
ReplyDeleteblog kho gaya to ham to mar jayenge.
ha.ha.ha.
अच्छों की सूचि प्रकाशित हो गयी है,
ReplyDeleteअब बुरे लोगों की सूचि जब प्रकाशित होगी तो कम से कम मेरा नाम तो जरूर डालियेगा! :)
टिप्पणियों को पढ़ने के बाद तो मज़ा और दुगुना हो गया :)
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