ईद का चाँद तो नहीं देख पाया
ईद का सूरज देखा
लगा
जैसे कह रहा हो
ईद मुबारक!
उगते-उगते
छा गया हर तरफ
जर्रे-जर्रे को
करने लगा रौशन
चहकने लगे पंछी
सुनहरा हो गया
तालाब का पानी
चमकने लगे
खेत-खलिहान
खिलने लगी
कलियाँ
खुश थीं
मछलियाँ भी
खिलखिलाने लगे
फूल
मैने कहा
सूरज!
तुमको भी
ईद मुबारक।
मित्रों!
आप सभी को
ईद मुबारक।
...........................................
सूरज और चाँद
ReplyDeleteजब दोनों मनाएंगे ईद
दिन और रात का फर्क तभी होगा खत्म
हम सब एक होंगे
नेक होंगे |
आपके कमेंट की पंक्तियों को उलट कर पढ़ता हूँ...
Deleteनेक होंगे
हम सब एक होंगे
दिन और रात का फर्क तभी होगा खत्म
जब दोनो मनाएंगे ईद
सूरज और चाँद।
वाह
Deleteआपने पंक्तियों का क्रम बिल्कुल दुरुस्त कर दिया। शुरुआत अपने से ही करनी होगी।
Deleteबहुत सुन्दर रचना..
ReplyDeleteबहुत ही प्यारी तस्वीर...
:-)
धन्यवाद।
Deleteहमिद नही दिखा... ईद मुबारक.
ReplyDeleteबाजार गये ही नही:(
Deleteसब प्रसन्न रहें..
ReplyDeleteवाह...
ReplyDeleteहम तो कविता के शीर्षक पर ही फ़िदा हो गए...
बहुत सुन्दर!!!!
आपको भी ईद मुबारक देवेन्द्र जी.
अनु
यकीन मानिए मैने कविता लिखा ही नहीं। आप कहती हैं तो मान लेता हूँ।
Deleteफोटोग्राफी की जो भाव जगे फोटो के साथ लिखता चला गया।
सहज अभिव्यक्ति सबसे खूबसूरत होती है...मुझे यकीन है आपकी बात पर :-)
Deleteअनु
सुन्दर रचना. ईद मुबारक.
ReplyDeleteभाई पाण्डेय जी बहुत सुन्दर रचना |आभार
ReplyDeleteEid mubarak ho! Tasveeren bahut sundar! Rachanase mel khati hueen!
ReplyDeleteतस्वीरों ने ही रची है...
Deleteईद पर्व के चाँद और सूरज दोनों ही मुबारक ....
ReplyDeleteकवि ने फोटोग्राफर और फोटोग्राफर ने कवि की शान बढ़ा दी .
ReplyDeleteसुन्दर प्रस्तुति . ईद मुबारक
घालमेल हो गया लगता है।:)
Deleteबेहद ख़ूबसूरत तस्वीरें...रचना भी इसे कॉम्प्लीमेंट करती हुई...
ReplyDeleteपहली बार लगा कि रचना ऐसे भी बनती है।:)
Deleteईद बहुत बहुत मुबारक हो
ReplyDeleteआपको बहुत बहुत मुबारक हो ईद
ReplyDeleteचाँद आये चाहे सूरज आये
बैचेन को आये थोड़ा सा चैन !
धन्यवाद।
Deleteचर्चामंच के लिऎ :
Deleteबहुत सुंदर सुंदर चित्र है
ईद है चाँद है सूरज है
चैन ही चैन है
फिर कौन बैचेन है !
धन्यवाद।
ReplyDeleteआपका अन्दाज़ हरदम ही अनोखा है देवेन्द्र,
ReplyDeleteदीद उस परमात्मा की और बहाना ईद का!
/
ये तस्वीरें किसी भी नास्तिक को सिर झुकाने पर मजबूर कर दे और जब वो सिर उठाये तो उसके चेहरे पर उस
परमात्मा की आस्था अंकित हो!!
आपका कमेंट भी हमेशा सर झुकाने के लिए बाध्य कर देता है।..आभार।
Deleteवाह भाई !पूरे बनारस की भव्यता समेट लिए हो एक कैनवास पे जो बहुत व्यापक है मन भावन है ,कविता में हाइकु है या हाइकु में कविता ,छायांकन भी ,पुलकित करता ,सहजीवन कविता के संग करता .कृपया यहाँ भी पधारें -
ReplyDeleteram ram bhai
सोमवार, 20 अगस्त 2012
सर्दी -जुकाम ,फ्ल्यू से बचाव के लिए भी काइरोप्रेक्टिक
मैं आपके ब्लॉग को पढ़ना चाहता हूँ सर जी लेकिन आप बिमारियों का इलाज बताते हैं और मैं सुबह-सुबह दो घंटे की टहलान(जिसमें फोटोग्राफी, योगा, ध्यान और गप्पें लड़ाना सभी सम्मिलित है।) से ही सारी बिमारियों को भगाने का संकल्प लिये बैठा हूँ। :)
Deleteबहुत सुन्दर! :)
ReplyDeleteसुन्दर पंक्तियां...सुन्दर प्रस्तुति....
ReplyDeleteआपको भी ईद मुबारक...
वाह क्या खूब लिखा है, सोचने का अलग ही अंदाज़.... और रचना के साथ ताल ठोकते फोटोग्राफ्स तो और भी ज़बरदस्त!
ReplyDeleteआपको भी ईद बहुत-बहुत मुबारक हो!
बहुत खूब ... सुबह के सूरज को फिर से बाँधने की कोशिश ... इस बार शब्दों और कैमरे के साथ ...
ReplyDeleteलाजवाब ...
चलिए पहली बार ईंद का सूरज भी देख लिया ,,कभी सुना न देखा था !
ReplyDeleteदेर से आने की माफ़ी.....शुक्रिया..... आपको और आपके परिवार को ईद मुबारक....बहुत सुन्दर फोटो लिए हैं आपने सुबह के ।
ReplyDeletebahut khoob.
ReplyDeleteआपको भी.
ReplyDeleteघुघूतीबासूती
अद्भुत चित्रों के साथ उत्तम विचार!
ReplyDeleteबाऊ जी,
ReplyDeleteनमस्ते!
देर से ही सही.........
चाँद मुबारक नहीं, सूरज मुबारक! ईद मुबारक!
आशीष ढ़पोरशंख
--
द टूरिस्ट!!!
कविता अच्छी लगी.
ReplyDeleteशब्दों, भावों और चित्रों का अनूठा संगम।
ReplyDeleteबधाई।
बहुत सुंदर चित्र और साथ में खूबसूरत खयाल ....
ReplyDeleteवाह ! क्या खूब लिखा आपने ईद का सूरज ! बहुत अछ्छा लगा.चाँद देखकर ईद मनाया जाता है,और ईद के दिन में सूरज तो निकलता ही है,और निकलना भी चाहिये.तभी तो ईद में खुशियाली आती है.फोटो के साथ लिखि गईं लाइने भी बहुत सुन्दर हैं;लगता है मुबारकवाद हार्दिक रूप से दिया है आपने.आपको भी ईद मुबारक हो देर से ही सही.Enter your comment...
ReplyDeleteसुंदर भाव व्यक्त करते हुए बहुत सुंदर चित्र ...!!
ReplyDeleteभैया बंदर वाली पोस्ट पर
ReplyDeleteटिप्पणी का औपशन नहीं मिला
इसलिये उपर की पोस्ट की बधाई
में नीचे वाली पर लिख चला !
बहुत सुन्दर चित्र :
ReplyDeleteसूरज मुबारक -दिन में तो यही कहा जायेगा !
चाँद मुबारक सूरज मुबारक !
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर कविता और उतने ही सुंदर चित्र। अभिव्यक्ति के लिए अपने कलम और कैमरा दोनों का बेहतरीन इस्तेमाल किया है। आपका ब्लॉग आठ साल बाद भी गुलज़ार है।
ReplyDeleteदेवेन्द्र जी,
Deleteईद और चांद के रिश्ते को बचपन से पढता व सुनता आया हूं। आज पहली बार सूरज के साथ आपने कुछ ऐसा भाव व्यक्त किया कि.... आपको सलाम!
ईद का सूरज मुबारक हो । अक्षय तृतीया की शुभकामनाएँ
ReplyDeleteबचपन में स्कूल में सचित्र कविता पढ़ने में वो मज़ा नही आया था, जो कि अब आपकी इस प्रस्तुति आनंदित किया। विषय ह्रदय स्पर्शी है। ह्रदय से बधाई।
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