5.8.12

चलिए गंगा जी चलें....

पिछली पोस्ट एक शाम गंगा के नाम में आपने देखा था कि गंगा जी बढ़ रही हैं। मैने लिखा था कि अब एक घाट से दूसरे घाट की ओर जाना संभव नहीं। अब शायद मैं आपको गंगा की तश्वीरें न दिखा पाऊँ। मन नहीं माना तो आज शाम फिर जा पहुँचा गंगा जी। चाहे जब जाइये, चाहे जितनी बार जाइये यहाँ के घाट आपको हमेशा ताज़गी से भर देते हैं। हर बार लगता है कि आपने कुछ नया देखा, कुछ नया समझा, कुछ नई ताजगी का अहसास किया।  गंगा में बाढ़ आई हो या दुनियाँ भर की गंदगी समाई हो यहाँ के रहने वाले गंगा जी नहाना नहीं छोड़ते। गंगा जी बढ़ चुकी हैं। घाट किनारे से यहाँ आना संभव नहीं था। मैं तुलसी घाट के ऊपर खड़ा हूँ। शाम के छः बज  चुके हैं। यहीं से दिखाता हूँ आपको गंगा जी की तस्वीरें....


(1) कुछ किनारे ही नहा रहे हैं, कुछ तैर रहे हैं। दूर एक किशोर गंगा में छलांग लगा रहा है।


(2) दूसरे घाट में जाने के लिए कूद-फांद करता हुआ लड़का।  


(3)शाम के समय बादलों के संग गंगा के बदलते रंग


(4)पर्यटकों का नाव में घूमना कम हुआ है लेकिन अभी बंद नहीं हुआ है।


(5) घाटों पर हलचल बंद है । गंगा में नाव भी कम है लेकिन गगन में परिंदे खूब उड़ रहे हैं। 


(6)मैं जैन घाट के ऊपर खड़ा हूँ। यहाँ मंदिर की दीवारों में जम गया है एक पीपल।


(7) अंधेरा छा रहा है। मंदिर के शिखर ऐसे दिख रहे हैं।


(8) सीढ़ियाँ उतर कर घाट तक गया। यहाँ से गंगा के घाट ऐसे दिख रहे हैं। दूर बत्तियाँ जलनी शुरू हो चुकी है।

नोटः सभी तस्वीरें आज शाम की हैं।

31 comments:

  1. बनारस की सुरमई शाम ,गंगा के नाम , खुद देखा बनारस आपकी नजर से .

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  2. सुंदर चित्रों के साथ सैर आभार

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  3. गंगा के विभिन्न मूड - बढ़िया रहे !

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  4. यानि गंगा मैया उफान पर है .
    बढ़िया है . हम यहाँ घूमने के लिए मॉल्स में जाते हैं , आप गंगा किनारे . :)

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  5. धन्य हैं आप! आभार!

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  6. शाम , कई बार सुरमई होके कसक की अनुभूति कराने लगती है ! एक फ़िल्मी दृश्य याद आ गया , जहां जाय मुखर्जी , आशा पारिख से बिछड़ने वाला है , वो शाम भी सुरमई थी ! उस वक़्त गीत के बोल कुछ यूं थे ...

    ऐसे ही कभी जब शाम ढले तो याद हमें भी कर लेना
    आँचल में सजा लेना कलियाँ पलकों में सितारे भर लेना

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  7. बड़े फोकस वाले सभी चित्र आकर्षक हैं.चित्र नंबर ६ में उड़ते हुए परिंदे को देखकर लगता है कि घर लौटने की खुशी कितनी तीव्र होती है !

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  8. जल का रेला बहे जा रहा,
    हर हर गंगे कहे जा रहा।

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  9. संस्‍कारी बनारसी (और भारतीय) इस नदी को गंगाजी ही कहता/देखता है.

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  10. बहुत खूब! सुन्दर फ़ोटो! आभार इनको दिखाने का!

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  11. आपकी इस उत्कृष्ट प्रस्तुति की चर्चा कल मंगलवार ७/८/१२ को राजेश कुमारी द्वारा चर्चा मंच पर की जायेगी आपका स्वागत है |

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  12. सुंदर मनभावन दृश्य !
    ब्लॉग पर आने के लिए शुक्रिया !
    साभार !

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  13. देवेन्द्र भाई! गंगा माई को जितने रंग में आपने दिखाया है उतने रंग में मुझे मेरा बचपन वापस मिला है.. और साथ ही टीस भी कि पटना से यह दृश्य गायब हो गए हैं.. नहीं तो यह सब हमारे लिए महज फोटू देखने वाली नहीं था!!

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  14. का हो पाण्डे बाबा! राम-राम!
    गंगा जी के दर्सन से मन परसन्न हो गइल बा। चित्र 3 आ 4 एकदम नियमन बा।

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  15. मनोरम दृश्य !
    आभार !

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  16. गंगा जी के किनारे खूबसूरत शाम ... सभी चित्र मनोरम हैं ...

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  17. सुन्दर प्रस्तुति....

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  18. कल से ही मैं भी गुनगुना रहा था चल मन गंगा जमुना तीर ..और आज आपने चरितार्थ कर दिया

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  19. मनमोहक तस्वीरें :)

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  20. सुन्दर तस्वीरें....आपने घर बैठे पूरा बनारस घुमा दिया :-)

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  21. उमड़ता जल देख ख़ुशी हुई :) कम जल देख कर दुःख सा होता है !

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    1. न सूखे नदी ना बाढ़ ही आये
      ऐसा हो तो क्या मजा आये।:)

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  22. इस सार्थक प्रस्तुति के लिए बधाई स्वीकारें .
    कृपया मेरी नवीनतम पोस्ट पर भी पधारने का कष्ट करें.

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  23. जय गंगा मईया..

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  24. waaaah...sundar tasveeren...aapke blog par ki sabhi tasveeren mujhe hamesha bahut achhi lagti hain..

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