यह चित्र सुबह फेसबुक में पोस्ट किया था। कुछ देर पहले देखा उस पर सलिल भैया (चला बिहारी ब्लॉगर बनने ) ने पूछा, "बा जरा कि भरल बा?" उनको जो उत्तर दिया उसी मूड में यहाँ लिख दिया। इसे एक प्रयोग के रूप में ही लिया जाय। गलती हो तो बताया जाय, सुधार किया जाय। चित्र देखिये, फिर नीचे कविता....
बा जरा
बा जरा
ठूँठ में
बाजरा
ढेर तs
चुग गये
ई चरा
ऊ चरा।
कपार पे
हाथ दे
ताकता
टक टका
ना मिला
इक टका
ना दिखा
रोटका।
जे जबर
ऊ चरा
खेत कS
बाजरा
आस मन
में धरा
बा जरा
बा जरा।
...................
चरा-चिड़िया
रोटका-बाजरा।
बा जरा
बा जरा
ठूँठ में
बाजरा
ढेर तs
चुग गये
ई चरा
ऊ चरा।
कपार पे
हाथ दे
ताकता
टक टका
ना मिला
इक टका
ना दिखा
रोटका।
जे जबर
ऊ चरा
खेत कS
बाजरा
आस मन
में धरा
बा जरा
बा जरा।
...................
चरा-चिड़िया
रोटका-बाजरा।
वाह !
ReplyDeleteढेर तS
ReplyDeleteचुग गये
ई चरा
ऊ चरा...
भरल बा ?...
अहा..
ReplyDeleteसब से
ReplyDeleteब ढ़ि या
खे त का
बा ज रा ! :)
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteबाजरा, अब बा जरा-ज़रा :)
ReplyDeleteसब मिनी कविता में लग गये। हमहूं!
ReplyDeleteहरा
भरा!
बा
जरा!!!
Bahut badhiya!
ReplyDeleteहाजरा हाजरा हाजरात :-)
ReplyDeletebahut sundar...
ReplyDelete:-)
बहुत सुघर बा बाजरा .
ReplyDeleteअबही त ह हराभरा
वाह पाण्डेय जी, बहुत खूब।
ReplyDeleteजबरदस्त भाई जी-
ReplyDeleteकमाल है !
ReplyDeleteनीचे के दो चित्र आत सुबह के हैं। इन्हें जोड़ने में काफी वक्त लग गया और ठीक से सेट भी नहीं हुआ।
ReplyDeleteबोले तो, एक दम झक्कास...
ReplyDeleteक्या आप Facebook पर अनचाही Photo Tagging से परेशान हैं?
badhiya hai
ReplyDeleteआहा बाजरा.
ReplyDeleteवाह वाह वाह वाह....... बस वाह
ReplyDeleteजरा जरा
ReplyDeleteनहीं झरा
हरा भरा बाजरा।
मुस्कुरा जरा-जरा
गज़ब खिला ये बाज़रा।
ढोकला
खाखरा
गोरबन्द बाजरा।
गिर गया हूँ
भरभरा
हाय हाय बाजरा।
ए हो पाण्डे जी! बाजरा के खेत मंs खिलखिलावतsड़ पर हमरा के ई बतावs ...अतना खुस रहे बाला आदमी के आतमा बेचैन कइसे हो गsइल?
ReplyDeleteकमाल है.....
ReplyDeleteबा ज़रा
बाजरा
तो
खा ज़रा.
अच्छा है फ़ोटो कविता गठबंधन।
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