12.10.13

'घर' (चार शब्द चित्र।)


पिछले दिनों फेसबुक में चार स्टेटस लिखे। सभी का संबंध 'घर' से है इन्हें यहाँ सहेजने की इच्छा हुई इसलिए पोस्ट कर दिया। 
  

(1) 

एक घर होता है जिसमें चार लोग रहते हैं। पति, पत्नी, बिटिया और बेटा। फुरसत के पलों में पति फेसबुक से चिपका है, पत्नी बिटिया संग बिग बॉस देख रही है, बेटा कोर्स बुक देख रहा है। सभी जब अपने चिपके स्थान से हटते हैं तो खाना खाकर सो जाते हैं। सुबह होती है सब अपने-अपने रस्ते चले जाते हैं। घर हमेशा की तरह अकेला रहता है। सदस्यों के होने या न होने से उसे कोई फर्क नहीं पड़ता। वह कहता है- 

पहले घर में बच्चे रहते और रहती थीं दादी-नानी
गीतों के झरने बहते थे, झम झम झरते कथा-कहानी।
.......................................................

(2)

भाई-भाई नहीं
पति-पत्नी 
निकले हैं साथ-साथ
स्वर्णमृग की तलाश में
और खींच दी है
घर के चारों ओर
लक्ष्मण रेखा से भी तगड़ी 
एक आर्थिक रेखा!

माता-पिता को मिली है
सख़्त हिदायत
सावधान!
इससे बाहर मत निकलना
जंगलराज है
भेष बदलकर
कभी भी लूट सकता है
महंगाई का रावण।
......................


(3)

पड़ोस में
सास-बहू के झगड़े नहीं होते
बहू 
तीन चार साल में 
तभी घर आ पाती है
जब वह
माँ बनने वाली होती है।

..................................

(4)

रोटी पर बैठकर
उड़ गये
सभी लड़के

घर में 
बुढ्ढा-बुढ्ढी
कमरों में 
किरायेदार रहते हैं।
..........................

22 comments:

  1. बेचैन आत्मा ....ये नाम तो हम पे फबता है और रख आपने लिया ...चलो नाम से क्या होता है ....हम अनपढ़ है और यहाँ सब पढ़े लिखे हमें उनकी भाषा समझने में दिक्कत आती है तो टिप्पणी का कोई हक नही बनता ....पर आप पढ़े-लिखे हो कर भी हम जैसो की बात करते हैं ,जो हमारी समझ में आती है ,,,,आप जिन्दगी की बात करते हैं ,,आप कल की बात करते हैं ..आज की बात करते हैं ,,घर की बात करते हैं .रिश्तों की बात करते हैं ..और जो रिश्तों की बात करेगा ,,उसकी आत्मा तो बेचैन होगी ही ..अनपढ़ की बस येही दिक्कत है ...वो एक लाइन की बात दस लाइन में लिखता है ..फिर भी उसे ये लगता है कि शायद उसके अहसास कोई समझ पायेगा या बस यूँ ही ,,हो गया न बेचैन आत्मा .....चैन मिले आपकी आत्मा को ..स्वस्थ रहें !

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    1. आपकी आत्मीय टिप्पणी से वाकई चैन मिला। बेचैनी कुछ कम हुई। मैं बहुत दिनो से बेचैन हूँ। एक घर वह देखता हूँ जिसमें मैं रहता था। एक घर यह देखता हूँ जो मुझमें रहता है। एक घर था जो मेरा था एक घर है जिसका मैं हूँ। पास पड़ोस में भी देखता हूँ। मेरे परिचित में एक विधवा माँ रहती हैं। संपन्न हैं पर अकेली हैं। तीन योग्य पुत्रों की माँ हैं। तीनो अमेरिका में रहते हैं। भले और अच्छे लोग हैं। माँ से रोज कहते हैं चली आओ, हमारे पास। माँ काशी और गंगा को छोड़कर जाना नहीं चाहतीं। नौकर के हवाले है उनकी जिंदगी। मेरे पास ही मोहल्ले में एक वृद्ध विधुर रहते हैं। उनके भी पुत्र योग्य हैं। अच्छे हैं। वे बुलाते हैं..ये जाते नहीं। पड़ोस में तीन योग्य और अच्छे पुत्रों के माता-पिता रहते हैं। एक भी पुत्र उनके साथ नहीं। लायक पुत्रों के होने पर यह एकाकी जीवन है तो नालायक होने पर क्या हाल होगा! कैसा तो समाज हो गया है कैसी तो परिस्थितियाँ हो गई हैं। इस वैश्वीकरण ने पाया कितना पता नहीं लेकिन खोया बहुत है।

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  2. आधुनिकता और परिवारों से जुड़े समसामयिक चित्र

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  3. वर्तमान सामाजिक दृश्यों को उकेरते हुए चार चित्र ... विशेषतः आख़िरी चित्र कहीं न कहीं हृदय को बेचैन कर गया पाण्डेय जी। आभार एवं धन्यवाद।

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    1. घरों में लोग रहते थे, घरों में लोग रहते हैं
      कभी संयुक्त रहते थे, अब एकल योग रहते हैं
      परिवर्त्तन की धारा मे बह गए रक्तसंबंध सभी
      संबंधों को 'जय' जीते नही,इन्हें उपयोग करते हैं

      http://kadaachit.blogspot.in/

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    2. इन शब्द चित्रों को आपने देखा, महसूस किया, भावनाओं से जुड़े..आपका आभार।

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  4. अब समय आ गया है हर एक को अपना असली घर ढूँढना होगा..एक तरह से यह समय बहुत शुभ है..लोगों के पास साधना के लिए पर्याप्त अवसर हैं...यदि वे चाहें तो...

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    1. क्या बात है! सकारात्मक सोच शायद इसी को कहते हैं।

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  5. वाह
    सबकुछ ही तो कह दि‍या भाई आपने

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  6. लगभग सभी घरों के सत्य को समेट लिया...यही हैं आधुनिक घर!

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  7. बडे सही और मार्मिक चित्र हैं इन क्षणिकाओंमें

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  8. आज की आधुनिकता में सच्चाई को समेटते हुए सुंदर अभिव्यक्ति...!
    नवरात्रि की शुभकामनाएँ ...!

    RECENT POST : अपनी राम कहानी में.

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  9. ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन काम बहुत हैं हाथ बटाओ अल्ला मियाँ - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  10. चारों शब्द-चित्र सटीक हैं बल्कि ’सटाक-सटाक’ हैं।

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  11. बहुत सुन्दर

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  12. भोगी संस्कृति का नतीजा है या समय, समाज बदल रहा है ...
    सटीक चित्र पेश किया है आज का ... दशहरा की मंगल कामनाएं ...

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  13. ये घर , ऐसे घर इस युग में बहुतायत में है …
    सटीक चित्रण !

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  14. वाह बहुत ही सुन्दर |

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  15. आधुनिकता का सुन्दर चित्रण कर दिया है आपने.बहुत पैनी नजर है आपकी,बधाई है.

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