हे ईश्वर!
कड़ाकी ठण्ड में
कैसा है रे तू?
गरम पानी
मिलता है क्या
नहाने को?
मैं तो
रजाई में दुबका
फेसबुक का मजा ले
रहा हूँ
चुटकुले पढ़ रहा
हूँ
तू?
चैन से सोया है
न!
धरती, आकाश, आग, हवा,पानी
सूर्य, चन्द्र, ग्रह, नक्षत्र.....
इतना सब दिया
तूने
कि आज तक
ठीक-ठीक जान भी
नहीं पाया
कितना दिया तूने!
न मागने की आदत
गई
न भूख मिटी
किसी ने सही कहा
है-
भिखारियों को
जितना भी दो
रहेंगे भिखारी ही।
हमारे मांगने से
परेशान मत हो
कोई तकलीफ हो
तो लिख
पूरी कोशिश
करूँगा
कि तेरा कष्ट
दूर हो।
आदमी हूँ
पुरखों का नाता
है
बेवफाई नहीं
करूँगा
निश्चिन्त रह।
जहाँ भी है
खुश रह
मस्त रह।
आभार।
ReplyDeleteउमदा प्रस्तुति....
ReplyDeleteमस्त है वो मुझे बताया था आपको भी बता दिया खुश रहिये :)
ReplyDeleteआज कल ईश्वर को ए. सी., कूलर शॉल, स्वेटर सब कुछ मिलता है, भक्त बड़ा ध्यान रखते हैं भगवान का … बहुत खुश है, मस्त है वो आप बिलकुल चिंता ना करें :)
ReplyDeleteदूसरा व तीसरा पद काफी अच्छा लगा .
ReplyDeleteहम्म।
Deleteसब तरफ उसी की कृपा से संभव हो रहा है ....
ReplyDeleteबहुत बढ़िया
ReplyDeleteसब उलट-पुलट कर दिया आपने?
उलट-पुलट मतलब?
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