शादी की वर्षगांठ एक कलैंडर वर्ष में आने वाली वह तारीख है जिस दिन गठ बंधन हुआ था और आगे से सामाजिक रूप से साथ रह कर काम करने और प्रेम करने की छूट मिली थी। शुरू के वर्ष तो धकाधक, चकाचक, फटाफट कट जाते हैं मगर प्रेमी-प्रेमिका से माता-पिता बनने के बाद दायित्व बोझ के तले आगे के वर्ष काटे नहीं कटते। ज्यों-ज्यों घटना की तारीख नजदीक आती जाती है, पत्नी के मन में खुशियों के लढ्ढू फूटने लगते हैं, पती के मन में खर्च की गांठ बनने लगती है। कुछ लापरवाह किस्म के पती घटना को दुर्घटना मान भूल जाते हैं और एन वक्त पर याद दिलाये जाने पर चारों खाने चित्त हो, पत्नी को बहकाने का असफल प्रयास करते हुए आगे-पीछे घूमते पाये जाते हैं। कुछ सावधान, चालाक किस्म के पती, आसन्न खतरे को भांप कर, पूरी तैयारी से रहते हैं और किस्मत ने साथ दिया तो अच्छे पती बनकर प्यार पाते हैं। कुछ तमाम कोशिशों के बावजूद पत्नी को खुश नहीं कर पाते तो तुलसीदास जी को याद कर संतोष करते हैं-हानि, लाभ, जीवन, मरण, यश, अपयश हरि हाथ!
आधुनिक जीवन में अपने छोटे से छोटे सतकर्म का भी आभासी दुनियाँ में जोर-शोर से ओटू-फोटू चस्पा कर डंका बजाने और प्रशंसा पाने का रिवाज है। यह सीख हमें अपने प्रधानमंत्री जी से मिली या हमसे उन्होने सीखा, शोध का विषय है। चाहे जो भी हो, मित्र शादी के वर्ष गांठ का डंका फेसबुक में खूब बजाते हैं। आज मेरी 18 वीं है, आज मेरी 25 वीं है, आज मेरी 34 वीं है, आज मेरी.....। जिसकी जितनी ज्यादा वो उतना खुश दिखाई देता है। उसे यह समझ में नहीं आता कि 2-3 बच्चे होने के बाद यम के अलावा किसी में दम नहीं है कि उन्हें जुदा कर सके। यह गांठ उन्हें हर वर्ष कस कर बांधनी ही है । वे नहीं बांधेंगे तो बच्चे बांध ही देंगे। अब उनकी हालत पिंजड़े के पंछियों की तरह है जिसकी चाभी बच्चों के हाथ है।
सच गाँठ तो कसकर बांधनी ही पड़ती हैं नहीं तो इधर गाँठ खुली नहीं की सारे शहर को खबर हो जाती हैं ..फिलहाल आपकी शादी की वर्षगांठ पर जब भी हार्दिक शुभकामनाएं!
ReplyDeleteवर्तमान का सटीक चित्रण ...
ReplyDeleteधन्यवाद.
ReplyDelete