अफसोस मत कर
इक्कीसवीं सदी
अभी अपने
टीन एज के
आखिरी साल में
प्रवेश कर रही है
और हम
पचपन पार हो गए!
अफसोस मत कर
चाँद पर घर बनाने और
उड़ने वाले जूते/जैकेट
खरीदने से पहले
हम स्वर्ग सिधार जाएंगे।
अफ़सोस मत कर
नहीं खत्म हुए
जम्मू कश्मीर से आतंकवादी,
संसार से परमाणु हथियार और
नहीं मिटी अपने देश से
गरीबी।
अफसोस मत कर
इक्कीसवीं सदी ने
अपने टीन एज में ही
खूब सहे हैं
जाति और साम्प्रदायिकता के दंश,
नहीं बन सका अभी तक
अयोध्या में भव्य राम मंदिर और
नहीं आया
भारत में रामराज्य।
खुश हो
कि सभी झंझावात सह कर भी
सलामत रख सके हम
खुद को,
खुश हो
कि अभीतक
गलत काम करना
निंदनीय है समाज में,
अच्छे काम की
आज भी होती है
भूरी-भूरी प्रशंसा,
खुश हो
कि स्मार्ट हो गए हम भी
इक्कीसवीं सदी में
स्मार्टफोन खरीद कर
और खुश होने की सबसे बड़ी बात यह
कि नहीं रहना पड़ा हमें
बीसवीं सदी के
टीन-एज में
जब देश गुलाम था।
भाग्यशाली हैं हम
आजाद मुल्क में पैदा हुए,
बनाते रहे
अपनी सरकार और
अक्षिसाक्षी रहे
इक्कीसवीं सदी के
टीन-एज के।
...........
इक्कीसवीं सदी
अभी अपने
टीन एज के
आखिरी साल में
प्रवेश कर रही है
और हम
पचपन पार हो गए!
अफसोस मत कर
चाँद पर घर बनाने और
उड़ने वाले जूते/जैकेट
खरीदने से पहले
हम स्वर्ग सिधार जाएंगे।
अफ़सोस मत कर
नहीं खत्म हुए
जम्मू कश्मीर से आतंकवादी,
संसार से परमाणु हथियार और
नहीं मिटी अपने देश से
गरीबी।
अफसोस मत कर
इक्कीसवीं सदी ने
अपने टीन एज में ही
खूब सहे हैं
जाति और साम्प्रदायिकता के दंश,
नहीं बन सका अभी तक
अयोध्या में भव्य राम मंदिर और
नहीं आया
भारत में रामराज्य।
खुश हो
कि सभी झंझावात सह कर भी
सलामत रख सके हम
खुद को,
खुश हो
कि अभीतक
गलत काम करना
निंदनीय है समाज में,
अच्छे काम की
आज भी होती है
भूरी-भूरी प्रशंसा,
खुश हो
कि स्मार्ट हो गए हम भी
इक्कीसवीं सदी में
स्मार्टफोन खरीद कर
और खुश होने की सबसे बड़ी बात यह
कि नहीं रहना पड़ा हमें
बीसवीं सदी के
टीन-एज में
जब देश गुलाम था।
भाग्यशाली हैं हम
आजाद मुल्क में पैदा हुए,
बनाते रहे
अपनी सरकार और
अक्षिसाक्षी रहे
इक्कीसवीं सदी के
टीन-एज के।
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