जब भी
मिलता है सम्मान
कहता
भीतर का इंसान
तूने
रूप बनाया है!
तूने
झूठ सुनाया है!
दिल में खंजर रख कर सबको
गले लगाया है।
जब भी मिलता है सम्मान.....
तेरा
होता है सब काम
बाबू
करते सभी सलाम
तूने
चाय पिलाया है
तूने
पान खिलाया है
सूटकेस में गड्डी भर-भर,
घर पहुँचाया है।
जब भी मिलता है सम्मान....
तेरा
जगमग है दिनमान
चाहे
डगमग हिंदुस्तान
मंदी में भी तेरी चउचक
चलती है दुकान!
जब भी मिलता है सम्मान....
तूने
ग़दर मचाया है
तूने
शहर जलाया है
धर्म, जाति के नाम पे सबको
खूब लड़ाया है।
जब भी मिलता है सम्मान.....
....@देवेन्द्र पाण्डेय।
मिलता है सम्मान
कहता
भीतर का इंसान
तूने
रूप बनाया है!
तूने
झूठ सुनाया है!
दिल में खंजर रख कर सबको
गले लगाया है।
जब भी मिलता है सम्मान.....
तेरा
होता है सब काम
बाबू
करते सभी सलाम
तूने
चाय पिलाया है
तूने
पान खिलाया है
सूटकेस में गड्डी भर-भर,
घर पहुँचाया है।
जब भी मिलता है सम्मान....
तेरा
जगमग है दिनमान
चाहे
डगमग हिंदुस्तान
मंदी में भी तेरी चउचक
चलती है दुकान!
जब भी मिलता है सम्मान....
तूने
ग़दर मचाया है
तूने
शहर जलाया है
धर्म, जाति के नाम पे सबको
खूब लड़ाया है।
जब भी मिलता है सम्मान.....
....@देवेन्द्र पाण्डेय।
हा हा बहुत खूब
ReplyDeleteसम्मानितों को
मिलता रहे सम्मान
इतना जुगाड़ लगाया है
सारा जीवन लगाया है :)
भीतर का इंसान तो कहता रहता है पर आदमी सुनना नहीं चाहता
ReplyDeleteसच्ची बात, खरी बात !
ReplyDeleteबहुत बढ़िया
ReplyDeleteप्रकृति की शुद्ध हवा पर समर्पित कविता, उम्मीद है आप सब को पसंद आएगी
ReplyDeletehttps://helphindime.in/hindi-kavita-ek-savera-aur-thandi-hawa/