यूं ही नहीं आता वसंत
लड़नी होती है, लंबी लड़ाई
धूप को
कोहरे के साथ।
लगने लगता है
हार गया कोहरा
तभी नहीं दिखती
धूप
गई ठंडी
छाने लगता है
घना कोहरा
यूँ ही नहीं आता
मगर तय है
कोहरे को हराकर
आता है एक दिन
वसंत।
वाह, बहुत सुन्दर सृजन।
बहुत सुन्दर।72वें गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
जी नमस्ते,आपकी लिखी रचना शुक्रवार २९ जनवरी २०२१ के लिए साझा की गयी हैपांच लिंकों का आनंद पर...आप भी सादर आमंत्रित हैं।सादरधन्यवाद।
आभार।
वाह! बहुत ही सुंदर।सादर
सत्य कहा ।
सुन्दर सृजन।
कोहरे को हराकर-- एक दिन आता है बसंत | सटीक मनभावन रचना |
आभार सभी का।
चहुँपेगा बसन्त।
वाह, बहुत सुन्दर सृजन।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर।
ReplyDelete72वें गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
जी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना शुक्रवार २९ जनवरी २०२१ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
आभार।
ReplyDeleteवाह! बहुत ही सुंदर।
ReplyDeleteसादर
सत्य कहा ।
ReplyDeleteसुन्दर सृजन।
ReplyDeleteकोहरे को हराकर-- एक दिन आता है बसंत | सटीक मनभावन रचना |
ReplyDeleteआभार सभी का।
ReplyDeleteचहुँपेगा बसन्त।
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