7.2.10

वेलेन टाइन


आज दिल्ल्ली के प्रगति मैदान में लगे पुस्तक मेले में घूम रहा हूँ। यहाँ कोई साथी हों तो मुझसे हिंद-युग्म के बुक स्टाल नंबर -२८५ में संपर्क कर सकते हैं। प्रस्तुत है आज की कविता 'वेलेंटाइन' जो हिंद-युग्म में प्रकाशित है और जिसे मैंने कल संपन्न हुए 'संभावना डाट काम' पुस्तक के लोकार्पण समारोह में सुनाया था। प्रस्तुत कविता काशिका बोली में हास्य-व्यंग शैली में लिखी गयी है। काशी क्षेत्र में बोली जाने वाली बोली 'काशिका बोली' के नाम से जानी जाती है। काशिका बोली 'भोजपुरी' का ही एक रूप है।


वेलेन टाइन

बिसरल बंसत अब तs राजा

आयल वेलेन टाइन ।

राह चलत के हाथ पकड़ के

बोला यू आर माइन ।

फागुन कs का बात करी
झटके में चल जाला
ई त राजा प्रेम क बूटी
चौचक में हरियाला

आन क लागे सोन चिरैया
आपन लागे डाइन
बिसरल बसंत अब तs राजा
आयल वेलेन टाइन।

काहे लइका गयल हाथ से
बापू समझ न पावे
तेज धूप मा छत मा ससुरा
ईलू--ईलू गावे

पूछा त सिर झटक के बोली
आयम वेरी फाइन।
बिसरल बंसत अब तs राजा
आयल वेलेन टाइन।

बाप मतारी मम्मी-डैडी
पा लागी अब टा टा
पलट के तोहें गारी दी हैं
जिन लइकन के डांटा

भांग-धतूरा छोड़ के पंडित
पीये लगलन वाइन।
बिसरल बंसत अब तs राजा
आयल वेलेन टाइन ।

दिन में छत्तिस संझा तिरसठ
रात में नौ दू ग्यारह
वेलेन टाइन डे हो जाला
जब बज जाला बारह

निन्हकू का इनके पार्टी मा
बड़कू कइलन ज्वाइन।
बिसरल बसंत अब त राजा
आयल वेलेन टाइन।

33 comments:

  1. काहे लइका गयल हाथ से
    बापू समझ न पावे
    तेज धूप मा छत मा ससुरा
    ईलू--ईलू गावे

    अब बापू को कौन समझाई ई दिलन का मामला हाई....... बहुत अच्छा लिखें हैं देवेन्द्र बाबू आज तो .... का खिचाई करे हैं ......

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  2. अभी पढ़ कर मजा नहीं आ रहा जी...
    जो कल सुन कर आया था...
    फिलहाल आपसे इर्ष्या हो रही है...आप आज दुसरे दिन भी मेले में मौज ले रहे हैं..और हम दिल्ली वाले..

    :(

    अभी ही काम से लौटे हैं जी...और सबसे पहले आपका ब्लॉग देखा है...

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  3. अंगरेजी का इतना सहज प्रयोग !
    ठेठिया दिए न !
    मजा आ गया !
    आभार ,,,

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  4. बहुत अच्छी कविता।

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  5. आपने सुनाई यह रचना वहाँ, हम तो थे नहीं वहाँ, सो नहीं सुन सके इसे आपकी आवाज में ।
    कितना अच्छा होता यहाँ आपकी प्रस्तुति का पॉडकास्ट होता ।

    सुन्दर रचना । आभार ।

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  6. अरे भाई , दिल्ली में थे तो ब्लोगर मिलन में भी आ जाते।
    खैर आपने पहले ही वलेंटाइन डे मना लिया ।
    ये काशिका बोली तो बहुत मन भाई , भाई।

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  7. नीमन लागल हमरा. अइसन प्रस्तुति.

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  8. आपकी काशिका की प्रस्तुति बहुत पसंद आई ।
    आन क लागे सोन चिरैया
    आपन लागे डाइन
    बिसरल बसंत अब तs राजा
    आयल वेलेन टाइन।

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  9. बहुत जोर मजा आई गवा देवेंदर बाबू...बहुत जोर...
    नीरज

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  10. ओजी कमाल कर दिया आपजी ने तो वेलेंटाइन को टेल से ले लिया|आइसा घुमा कर धोबी पाटदिया की ससुरा मज़ा आ गया|

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  11. वाह!!!......बहुत बढ़िया रचना

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  12. sastang dandavat devedaar ji ,
    tohare kavita ke ekek ashkar ekdam sachch baate.padh ke bahut majaa aaeel.
    khaskar i wala laeen,

    baap mahatari se leke aayal velentin tak.
    poonam

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  13. aadarniya devendaar ji ,
    char baar tohare i cavita par teeppaadi daal chukani .kouno karan se ya netava ke gadbadi se tohareteeppaadi ke sandukachi me avat naekhe dikhat yhe se ab thak gainee. bhagavan bharose baate.abjada ka likhen .kavitava t padh ke bahut maja aail ekdam sachchi baat haouye.
    poonam

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  14. Neeraj Goswami kah delan hamar batiya.....

    Bahut jor maja ....

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  15. काहे लइका गयल हाथ से
    बापू समझ न पावे
    तेज धूप मा छत मा ससुरा
    ईलू--ईलू गावे


    wah....
    bahut khoob...

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  16. महाशिवरात्रि की हार्दिक बधाइयाँ!
    बहुत ही सुन्दर शब्दों के साथ आपने बखूबी प्रस्तुत किया है! उम्दा रचना!

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  17. आन क लागे सोन चिरैया
    आपन लागे डाइन
    बिसरल बसंत अब तs राजा
    आयल वेलेन टाइन।
    क्या बात है देवेन्द्र जी. बहुत खूब.

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  18. कुछ दिन हो गये थे आपके ब्लॉग पर आए आज आया और बेहतरीन खजाना पाया!!

    ये वैलेंटाइन का बढ़िया नमूना पेश किया आपने खास कर अपने भाषा में जिसमें हम लोगो का दिल बसता है बहुत बढ़िया लगा उस टोन में ज़ोर ज़ोर से आपकी कविता का पाठ और मुस्कुराना...मजेदार कविता...बढ़िया लगी..

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  19. काहे लइका गयल हाथ से
    बापू समझ न पावे
    तेज धूप मा छत मा ससुरा
    ईलू--ईलू गावे
    हा हा हा हा हा हा वाह बहुत खूब । शुभकामनायें

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  20. काशिका बोली मे प्रस्तुत वेलेंटाईन की यह कविता बहुत पसन्द आई. :)


    महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें!

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  21. महाशिवरात्रि के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं!

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  22. देवेन्द्र जी, क्षेत्रीय भाषा का अपना स्वाद ही अलग है... जो अपनापण इसमें दीखता है वो खड़ी बोली में नहीं..
    जय हिंद... जय बुंदेलखंड...

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  23. जिया रजा बनारस !
    हम त छानिल मिलले पर तेल लगावई वाईन .
    सबई मनावई बैठल बानी वसंत भ या वेलान्तैन

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  24. Achhi prastuti. क्षेत्रीय भाषा ka sundar prayog laga....
    Shubhkamnayne.

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  25. देवेंदर जी, बस मज़ा आ गया
    दिन में छत्तिस संझा तिरसठ
    रात में नौ दू ग्यारह
    वेलेन टाइन डे हो जाला
    जब बज जाला बारह

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  26. मजा तो आपको साक्षात सुन के ही आया था, पढ़ने से आनंद द्विगुणित हो गया।

    फिर मुलाकात होगी।

    मुकेश कुमार तिवारी

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