आज ‘लैपटॉप’आया तो मन हुआ, देखूं कि कैसे इन पर उंगलियाँ चलती हैं ! कठिन लग रहा है ..शब्द भाग रहे हैं। कभी इधर तो कभी उधर। सोच रहा हूँ कि सुविधा के चक्कर में नया झमेला तो नहीं मोल ले लिया सर पर ! कितने संवेदनशील हैं इसके बटन ! जरा सा छुओ तो काम चालू ! घंटे भर में लिखो और चुटकी मे गोल ! फिर सोचता हूँ, सभी तो लिखते हैं इस पर ! फिर मैं क्यों नहीं लिख सकता..! हाँ, अब कुछ मान रहीं हैं कहना मेरा मेरी उंगलियाँ...जो चाहता हूँ वही लिख रही हैं। हैं ! ये क्या खुल गया अचानक से ! कैसिंल करना पड़ेगा। उंगलियाँ चलाऊँ..चूहा नहीं है। उंगलियों को ही चूहा बनाना पड़ेगा..ये करसर क्यों भाग रहा है ? अरे ! सब गायब ! हाय राम ! इतनी देर से लिखा सब बेकार...! बेटा.s.s. अब क्या करूँ..? सब गायब हो गया.s.s.! सी.टी.आर.एल. प्लस जेड दबाइए पापा..s..s आ जाएगा। ओह, यह तो हमे भी पता था क्या बेवकूफों की तरह पूछने लगता हूँ...! अरे वाह ! सब आ गया..! उंह कौन सा न आता तो मेरा बड़ा भारी नुकसान होता..! कौन सी बढ़िया बात लिख दी थी मैने ! काम चलाऊ लिख ले रहा हूँ। अभी बहुत कुछ सीखना बाकी है। जीवन में कितना कुछ है सीखने के लिए ! उम्र कितनी कम ! कैसे तो लोग समय बर्बाद करते हैं ! कैसे तो लोग इक दूजे से झगड़ते रहते हैं..! क्या यह भी समय बर्बाद करना नहीं..! मुर्ख, मुर्खता में और बुद्धिमान, बुद्धिमानी में ! वह बुद्धि किस काम की जो किसी काम न आ सके..! जिससे किसी का भला न हो ! लिखने और करने में कितना फर्क है ! कवि जितना लिखता है उतना करता क्यों नहीं ! नहीं करता तो फिर क्यों लिखता है ? दूसरे करें..! दूसरे सुधरें..! जग सुधरेगा पर हम नहीं सुधरेंगे..! मंच पर किस कुशलता से समाज सुधार, कुरीतियों पर कटु प्रभार करते हुए मानवता की शिक्षा देंगे ! मंच से नीचे नीचे उतरते ही, मिलने वाले लिफाफे के लिए एक दूसरे से हाथापाई तक की नौबत ! लोभ, मोह, क्रोध, सभी का एक साथ निर्लज्ज प्रदर्शन ! वाह रे उपदेशक ! अभी उस कवि सम्मेलन की बात है, अपने मधुर गीत से मंच की वाह वाही लूटने वाले गीतकार महोदय, कितनी क्रूरता से शेष न आए साथी कवि का लिफाफा भी झटकने के लिए आयोजक से उलझ रहे थे ! हास्य रस के कवि कितना क्रोध कर रहे थे ! कह रहे थे, “मैं न आता तो तुम सब का करूण क्रंदन सुन, श्रोता श्मशान सिधार गए होते ! आधे माल पर तो मेरा ही हक बनता है।“ वीर-रस के देश भक्त कवि, देश भक्ति छोड़ कितना घिघिया रहे थे संचालक से ! “मेरी पत्नी मेरी बाट जोह रही है, मैं वीरता पूर्वक यहां आपके बुलावे पर आ गया..! ऐसा ना कीजिए..! सोचिए जरा..! हास्य रस वाले से कुछ कम ताली नहीं बजी थी मेरी कविता पर !” इक-इक ताली के दाम मांगे जा रहे थे..! अरे, मैं कहाँ भटक गया ! दरअसल कुछ चलने लगी हैं उंगलियाँ लैपटॉप पर। बैठकर लिखना कठिन हो गया था । लगता है कुछ बात बन रही है। आज इतना ही अभ्यास काफी है। रात के 12 बज रहे हैं। शनीवार है तो क्या हुआ ! कल सुबह मार्निंग वॉक पर नहीं गया तो डार्लिंग ताने देगी...! बस हो गई आपकी घुमाई ? अब क्या पूछना है ! अब तो लैबटॉप भी कीन लिए ! करते रहिए ब्लॉगिंग रात-रात भर..! अरे ! ई का, वो अभीये आ रही हैं ! जाने कैसे जाग गईं ! भगवान भी चैन की नींद देना भूल गए का.. ई पति भक्त पत्नियों को। बस रात-दिन पतियों की चिंता में घुली जाती हैं ! अरे बंद करो रे.s.s..शुभ रात्रि।
11.10.10
लैपटॉप
आज ‘लैपटॉप’आया तो मन हुआ, देखूं कि कैसे इन पर उंगलियाँ चलती हैं ! कठिन लग रहा है ..शब्द भाग रहे हैं। कभी इधर तो कभी उधर। सोच रहा हूँ कि सुविधा के चक्कर में नया झमेला तो नहीं मोल ले लिया सर पर ! कितने संवेदनशील हैं इसके बटन ! जरा सा छुओ तो काम चालू ! घंटे भर में लिखो और चुटकी मे गोल ! फिर सोचता हूँ, सभी तो लिखते हैं इस पर ! फिर मैं क्यों नहीं लिख सकता..! हाँ, अब कुछ मान रहीं हैं कहना मेरा मेरी उंगलियाँ...जो चाहता हूँ वही लिख रही हैं। हैं ! ये क्या खुल गया अचानक से ! कैसिंल करना पड़ेगा। उंगलियाँ चलाऊँ..चूहा नहीं है। उंगलियों को ही चूहा बनाना पड़ेगा..ये करसर क्यों भाग रहा है ? अरे ! सब गायब ! हाय राम ! इतनी देर से लिखा सब बेकार...! बेटा.s.s. अब क्या करूँ..? सब गायब हो गया.s.s.! सी.टी.आर.एल. प्लस जेड दबाइए पापा..s..s आ जाएगा। ओह, यह तो हमे भी पता था क्या बेवकूफों की तरह पूछने लगता हूँ...! अरे वाह ! सब आ गया..! उंह कौन सा न आता तो मेरा बड़ा भारी नुकसान होता..! कौन सी बढ़िया बात लिख दी थी मैने ! काम चलाऊ लिख ले रहा हूँ। अभी बहुत कुछ सीखना बाकी है। जीवन में कितना कुछ है सीखने के लिए ! उम्र कितनी कम ! कैसे तो लोग समय बर्बाद करते हैं ! कैसे तो लोग इक दूजे से झगड़ते रहते हैं..! क्या यह भी समय बर्बाद करना नहीं..! मुर्ख, मुर्खता में और बुद्धिमान, बुद्धिमानी में ! वह बुद्धि किस काम की जो किसी काम न आ सके..! जिससे किसी का भला न हो ! लिखने और करने में कितना फर्क है ! कवि जितना लिखता है उतना करता क्यों नहीं ! नहीं करता तो फिर क्यों लिखता है ? दूसरे करें..! दूसरे सुधरें..! जग सुधरेगा पर हम नहीं सुधरेंगे..! मंच पर किस कुशलता से समाज सुधार, कुरीतियों पर कटु प्रभार करते हुए मानवता की शिक्षा देंगे ! मंच से नीचे नीचे उतरते ही, मिलने वाले लिफाफे के लिए एक दूसरे से हाथापाई तक की नौबत ! लोभ, मोह, क्रोध, सभी का एक साथ निर्लज्ज प्रदर्शन ! वाह रे उपदेशक ! अभी उस कवि सम्मेलन की बात है, अपने मधुर गीत से मंच की वाह वाही लूटने वाले गीतकार महोदय, कितनी क्रूरता से शेष न आए साथी कवि का लिफाफा भी झटकने के लिए आयोजक से उलझ रहे थे ! हास्य रस के कवि कितना क्रोध कर रहे थे ! कह रहे थे, “मैं न आता तो तुम सब का करूण क्रंदन सुन, श्रोता श्मशान सिधार गए होते ! आधे माल पर तो मेरा ही हक बनता है।“ वीर-रस के देश भक्त कवि, देश भक्ति छोड़ कितना घिघिया रहे थे संचालक से ! “मेरी पत्नी मेरी बाट जोह रही है, मैं वीरता पूर्वक यहां आपके बुलावे पर आ गया..! ऐसा ना कीजिए..! सोचिए जरा..! हास्य रस वाले से कुछ कम ताली नहीं बजी थी मेरी कविता पर !” इक-इक ताली के दाम मांगे जा रहे थे..! अरे, मैं कहाँ भटक गया ! दरअसल कुछ चलने लगी हैं उंगलियाँ लैपटॉप पर। बैठकर लिखना कठिन हो गया था । लगता है कुछ बात बन रही है। आज इतना ही अभ्यास काफी है। रात के 12 बज रहे हैं। शनीवार है तो क्या हुआ ! कल सुबह मार्निंग वॉक पर नहीं गया तो डार्लिंग ताने देगी...! बस हो गई आपकी घुमाई ? अब क्या पूछना है ! अब तो लैबटॉप भी कीन लिए ! करते रहिए ब्लॉगिंग रात-रात भर..! अरे ! ई का, वो अभीये आ रही हैं ! जाने कैसे जाग गईं ! भगवान भी चैन की नींद देना भूल गए का.. ई पति भक्त पत्नियों को। बस रात-दिन पतियों की चिंता में घुली जाती हैं ! अरे बंद करो रे.s.s..शुभ रात्रि।
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ReplyDelete..इक-इक ताली के दाम मांगे जा रहे थे..
अफ़सोस !
नए लेपटोप की बधाई।
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जरा सा छुओ तो काम चालू ! घंटे भर में लिखो और चुटकी मे गोल ! फिर सोचता हूँ, सभी तो लिखते हैं इस पर !
ReplyDeletelage rahein. sab haath main aa jaega jald.
नए लैपटॉप की बधाई ......
ReplyDelete" जीवन में कितना कुछ है सीखने के लिए ! उम्र कितनी कम ! कैसे तो लोग समय बर्बाद करते हैं ! कैसे तो लोग इक दूजे से झगड़ते रहते हैं..! क्या यह भी समय बर्बाद करना नहीं..! मुर्ख, मुर्खता में और बुद्धिमान, बुद्धिमानी में ! वह बुद्धि किस काम की जो किसी काम न आ सके..! जिससे किसी का भला न हो ! लिखने और करने में कितना फर्क है ! कवि जितना लिखता है उतना करता क्यों नहीं ! नहीं करता तो फिर क्यों लिखता है ? दूसरे करें..! दूसरे सुधरें..! जग सुधरेगा पर हम नहीं सुधरेंगे..! मंच पर किस कुशलता से समाज सुधार, कुरीतियों पर कटु प्रभार करते हुए मानवता की शिक्षा देंगे ! मंच से नीचे नीचे उतरते ही, मिलने वाले लिफाफे के लिए एक दूसरे से हाथापाई तक की नौबत ! लोभ, मोह, क्रोध, सभी का एक साथ निर्लज्ज प्रदर्शन ! वाह रे उपदेशक !"
बहुत ही शानदार शब्दों में सब कुछ लिख दिया आपने |
कोई बात नहीं देवेन्द्र जी, जल्दी ही आपकी उंगलियों को आदत बन जाएगी...
ReplyDeleteये की बोर्ड के साइज में फ़र्क होने के कारण है.
मेरे साथ बिल्कुल उल्टा मामला है. मैं शुरू से लैपटाप पर काम करती रही हूँ, इसलिए कम्प्युटर के की-बोर्ड पर मेरी उँगलियाँ दर्द होने लगती हैं.
ReplyDeleteबधाई ।
ReplyDeleteहमने जब कार खरीदी , तो दो साल तक स्कूटर पर ही चलते रहे । आसान लगता था । फिर धीरे धीरे आदत पड़ी । आपके साथ भी यही होने वाला है ।
यह असुविधा आम है. एक-एक यूएसबी/वाइरलैस कीबोर्ड और माउस लेकर अपनी मेज़ पर रख लीजिये. कम से कम उस समय काम करने की आसानी रहेगी.
ReplyDeleteबधाई हो!
ReplyDeleteथोड़े दिन में अभ्यास भी हो ही जायेगा!
सब से पहले तो बधाई हो, फ़िर आप उंगली को माऊस क्यो बना रहे हे, बस एक यूबी एस वाला माऊस लगा ले, बहुत मजा आयेगा, ओर लिखने के लिये तो हाथ बचा कर ही लिखना पडेगा,्कोई कठनाई नही, लेकिन ऊंगली की आदत भी बना ले कभी कभी माऊस नही चला सकते तो उस समय मुश्किल होगी, वेसे ऊंगली का माऊस भी दो दिन मे चलाना आ जाता हे
ReplyDeleteसिखो फिर हमे सिखाओ । इसी बहाने घर आओ ।
ReplyDeleteDevender Ji
ReplyDeleteSabse Pehle to Naye Laptop ke liye Badhai, Sunder likhte hain aap aaj ki post padhkar bahut romanch hua dil main 2 mahine pehle maine bhi jab Laptop kharida tha to mujhe bhi is samsya se 2-4 hina pada tha ,Phir bhi ek anand bana rehta hai...!
Shubhkamnayan
नये लैपटॉप के लिये बहुत बधाई। अभी कुछ दिनों बाद ऊँगलियाँ घोड़ों की भाँति दौड़ेगीं।
ReplyDeleteअभ्यास करते रहिये और हमें ऐसी बढ़िया पोस्ट पढाते रहिये :) नए लैपटॉप की बधाई .
ReplyDeleteव्लाग का नाम बेचैन आत्मा ।लेकिन आज अभी हाल ही आपका असली रुप दिखा ,पीपल के बृक्ष के सम्बंध में टिप्पणी में ।बृक्ष के नीचे ध्यान लगने वाली बात बहुत सटीक लगी इसीलिये ज्यादातर साधु संत बृक्ष के नीचे ही घ्यानस्थ होते है ! बोधिबृक्ष
ReplyDeleteHa,ha,ha! Maine to laptop pe mouse lagwa liya!
ReplyDeleteदेवेंद्र जी,गोद के बच्चे शैतान होते ही हैं!!!
ReplyDeleteसमझ जाएंगे कुछ दिन में जनाब,आहिस्ता आहिस्ता!
नए लैपटॉप के बहुत-बहुत बधाई हो.
ReplyDeleteमुझे भी कुछ दिन दिक्कत आई थी, लेकिन थोड़े संयम और धैर्य से सब ठीक हो गया.
अब तो कंप्यूटर को सपने में भी देखने का मन नहीं करता.
आप बस आगे आगे देखते जाइए, कितना आनंद आयेगा आपको.
आपको पुन: बधाई.
धन्यवाद.
WWW.CHANDERKSONI.BLOGSPOT.COM
धीरे धीरे आदत पड़ जाती हर चीज़ की ... बस खुश रखें सब को ... पत्नी को भी ...
ReplyDeletevastav me patniya patiyon ki shubh -chitak hoti hain.,aakhir jivan sangini hain to aapke sukh-dukh ka va sehat ka bhi dhyan bhi unko rakhna hi padta hai na. vaise jabtak kisi cheej ka abhyas nahi hota to shuru- shuru me thodi dikkat to aati hi hai ,baad me sab sahi ho jata hai.
ReplyDeletepoonam
majedar !!!!sabke hi sath hota hai ye sab.pr khud anubhav karne ka maja hi kuch aur hai. hai na ....
ReplyDeletebahut bahut badhai.... kuch dinon me dosti ho jayegi... fir is sathi ko hardam sath rakhna chahengen....dekhiyega...
ReplyDeleteअरे ! ये लैपटाप से शुरू करके कहां कहां घुमा लाए.
ReplyDeleteमुबारक हो...
ReplyDeleteअब घूमिये काँधे पे लटका कर....
सुन्दर लेखन और नए लैपटॉप ...
दोनों के लिए फिर से बधाई...
नए लैपटॉप के लिए बहुत बहुत बधाई! बहुत सुन्दर पोस्ट! अब तो लैपटॉप आपका सबसे अच्छा दोस्त बनेगा जिसे लेकर आप हमेशा घूमते रहेंगे!
ReplyDeletejara sambhal ke rakhiye...
ReplyDeleteLaptop samvedansheel hai aur lekhan ek bar phir se bicharon ke dwandwa main le jata hua. Dono ke liye badhai.
नए लैपटाप की बधाई ! और भाभी अब भी आपकी चिंता करती हैं ये जानकर तसल्ली हुई :)
ReplyDeleteवाह वाह !
ReplyDeleteबधाई !
कभी कभी बेख्याली में ...उनीदे होकर जागते वक़्त लेपटोप बड़ी मदद करता है ......
ReplyDeleteनये लैपटाप के लिये बधाई। जैसे पत्नि की आदत डाल ली वैसे ही उँगलियों की भी डल जायेगी। शुभकामनायें।
ReplyDeleteरोचक बातें देवेन्द्र भाई.. मुस्कुराते हुए पढ़ी पूरी पोस्ट, कविसम्मेलन वाले व्यंग्य के पास आकर मुस्कराहट थोड़ी ठिठकी की, ऐसा भी होता है? पर अंतिम पंक्तियों तक आते आते होंठों पर वापस आ गईं. आपको बधाई, बढ़िया पोस्ट और नई लेपटाप के लिए...
ReplyDeleteनये लैपटॉप के लिये बहुत बधाई।
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