का मिर्जा का
चाँद दिखा..?
हाँ पंडित जी
चाँद दिखा।
बधाई हो..बधाई
हो...ईद-उल-फितर की बधाई हो।
मिर्जा हंस कर
बोले...आपको भी बधाई हो । वैसे आप की इतनी खुशी से लग रहा है कि आप ईद से कम कल की
छुट्टी पक्की होने की खबर से अधिक खुश हैं। ईद-उल-फितर का मतलब भी समझते हैं ?
मैने कहा..क्या मिर्जा भाई..! इतने दिनो
से बनारस की गंगा जमुनी संस्कृति में रह कर जीवन बिताया अभी इतना भी नहीं समझेंगे ! छुट्टी ससुरी कहां जाती कल नहीं तो परसों मिल ही जाती। फितर का मतलब दान
होता है तो ईद-उल-फितर का सीधा मतलब तो यही हुआ कि वह खुशी जो हमे दान करने से प्राप्त
होती है। रमजान का पवित्र महीना बीता, आपने रोजे रखे,
नमाज पढ़ी, त्याग किया, खुदा
ने खुश हो कर आपको ईनाम के तौर पर ईद का तोहफा दिया। क्यों मियाँ..ठीक कह रहा हूँ
न ?
अरे वाह ! बिलकुल
ठीक कह रहे हैं पंडित जी...अरबी कैलेंडर के हिसाब से रमजान के बाद माहे शवाल आता है।
इसकी प्रथम तिथि को ही हम ईद मनाते हैं।
तब तो मिर्जा
भाई कल खूब कटेगी...? बकरे हलाल होंगे..?
मिर्जा
बोले...यहीं चूक कर गये पंडित जी। यह बकरीद नहीं है। ईद-उल-फितर है। इसे मीठी ईद
भी कहते हैं। यह दूध और सूखे मेवे से बनी सेवइयों से मनाते हैं। आप जैसे बहुत से
लोग समझते हैं कि यह मांसाहारी त्यौहार है लेकिन यह शाकाहारी है।
क्या कह रहे हैं
मिर्जा भाई...! मुझे दावत भी मिल चुकी है।
अरे भाई...खाने
वाले कुछ भी खायें, आनंद लें, अलग बात है लेकिन जब आपने पूछा तो आपको सही जानकारी
देना हमारा फर्ज है। यह निरामिष त्यौहार है।
यह फितरा और
जकात क्या होता है मिर्जा..? मैने सुना है कि ईद
की नमाज पढ़ने से पहले इसे निकालना अनिवार्य होता है!
संक्षेप में आप
यह समझ लो कि दोनो दान है। फितरा वयस्क रोजेदार के लिए अनिवार्य है। ईद की नमाज
पढ़ने से पहले प्रत्येक वयस्क रोजेदार को 22.50 पैसे का दान करना अनिवार्य होता
है। जकात साल भर की आय का चालीसवाँ भाग अर्थात एक रूपये में 2.5 पैसा दान करना
होता है। दोनो ही निकाल कर पहले ही अलग कर दिया जाता है। दान की राशि निर्धन, अपंग
या सबसे अधिक जरूरत मंदों को दी जाती है।
अच्छा.s..s..! तो इसी दान से जो खुशी
मिलती है उसे ही ईद-उल-फितर कहते हैं ? वाह ! क्या बात है !! कितना अच्छा त्यौहार है !!!
अरे पंडित
जी...इतना समझ लिये तो आप भी कुछ दान-पुन करेंगे..? छोड़िए, कल आइये हमारे यहाँ, मीठी सेवइयाँ आपका
इंतजार कर रही हैं।
जरूर मिर्जा...क्यों
नहीं। ईद का नाम आते ही मेरे मुँह में मीठी सेवइयों का स्वाद अभी से ताजा हो रहा
है। वैसे भी कल हमारे यहां तीज का चाँद मेरी लम्बी उमर की सलामती के लिए
भूखा-प्यासा रहने वाला है। बस आप ही का सहारा है। आज आपने ईद के बारे में बहुत कुछ
समझा दिया। आपको ईद-उल-फितर की ढेर सारी बधाइयाँ।
आपको भी ईद
मुबारक।
(विशेषः सभी
ब्लॉगर बंधुओं को ईद मुबारक। मैने सोचा अपने अल्प ज्ञान को इसी अंदाज में रखकर ईद
मनायी जाय। कहीं कोई चूक हुई हो तो माफ करने के साथ-साथ सुधरवाने का भी कष्ट
करें।)