3.4.11

मूर्ख दिवस की यादें, विश्व कप की बधाई व नवसंवत्सर की ढेरों शुभकामनाएँ....सब एक साथ।


आज आनंद का दिन था। बहुत दिनों के बाद वह दिन आया जब दफ्तर में छुट्टी थी, श्रीमती जी ने अत्यंत जरूरी गृह कार्य भी नहीं सौंपा था और न ही मुझे ब्लॉग से अच्छा दूसरा कोई मिला था। विश्वकप जीतने के दृश्य आखों के सामने ताजा थे। चारों दिशाओं से बधाई संदेशे आ जा रहे थे। ब्रश करने और चाय पीने के बाद से ही नई पोस्ट लिखने का इरादा हो रहा था। आनंद की यादें भी पुकार रही थीं। कमी थी तो बस यह कि विषय ही तय नहीं कर पा रहा था।

विश्व कप से एक दिन पहले 1 अप्रैल को राजेंद्र प्रसाद घाट पर बिताये महामूर्ख सम्मेलन की यादें भी ताजा थीं। दूर-दूर से बड़े-बड़े मूर्ख कवि पधारे थे। सभी में महामूर्ख बनने की होड़ लगी थी। हजारों की संख्या में घाट पर बैठे मस्त श्रोता खुद को मूर्ख कहे जाने पर खुश हो, जोर-जोर से ताली पीट रहे थे। अद्भुत दृश्य था। मेरे मित्र मुझे स्वयम से श्रेष्ठ मूर्ख स्वीकार कर चुके थे इसलिए मुझे भी मंच पर चढ़ा देखना चाहते थे मगर मैं उनके बीच बैठा हर हर महादेव का नारा लगाते कविता सुनने के मूड में बैठा था। एक से बढ़कर एक मूर्खता पूर्ण कार्य हो रहे थे। सम्मानित वृद्ध, दुल्हन का जोड़ा पहन सज संवर कर बैठे थे तो भद्र डाक्टर महिला, दूल्हा बन शादी रचाने को तैयार थी। बड़े-बड़े, दूर से ही पहचाने जाने वाले जाली नोट न्यौछावर किये जा रहे थे। अशुभ मुहुर्त में अगड़म-बगड़म स्वाहा के जोरदार मंत्रोच्चार के साथ शादी के फेरे हो रहे थे। मंच संचालक हा..हा करता तो घाट की सीढ़ियों पर बैठे बुद्धिमान श्रोता और भी जोर से हा..हा..हा...के ठहाके लगाकर बड़े लंठ होने का दावा पेश कर रहे थे। मैं भीड़-भाड़ में कैमरा-वैमरा नहीं ले जाता वरना एकाध फोटू जरूर खींच कर चस्पा कर देता। वैसे यदि आप बड़े पाठक हों तो गूगल में सर्चिया के देख सकते हैं। कहीं न कहीं तो आ ही गया होगा । दूर-दूर से बड़े बुद्धिमान कवि खुद को महामूर्ख सिद्ध करने आये थे। जोकरनुमा हाव-भाव व अपने कोकिल कंठ से फिल्मी गाने की पैरोडी को अपने कवित्त के गोबर में सानकर अनवरत उगल रहे थे। जो जितनी बड़ी मूर्खतापूर्ण कविता सुनाता वह उतनी अधिक तालियाँ बजवाता। वाह ! क्या गज़ब की लंठई चल रही थी ! मुझे याद आ रहा है...लखनऊ से पधारे श्री सूर्य कुमार पाण्डेय ने महिलाओं को कुहनी मारने की हूबहू एक्टिंग करते हुए सुनाया था....

वो मेरी बगल से गुजरी तो मैने मार दी कुहनी
कहा उसने
बुढ़ौती में यह हाल होता है ?
कहा मैने
वन डे क्रिकेट के रूल को समझो
वहीं पे फ्री हिट मिलता है
जहाँ नो बॉल होता है।

इतना सुनते ही सभी श्रोता उछल-उछल कर हो….हो….हो… करने लगे। उसके बाद आईं संगीता जी ने मस्त अंदाज में उनकी छेड़छाड़ का उत्तर दिया…...

सूखे टहनी पर गुलाब आ रहे हैं
आखों में मोतिया बिंद है
फिर भी ख्वाब आ रहे हैं
जवानी में जो भेजे थे इन्होने खत
बुढ़ौती में अब उसके जवाब आ रहे हैं।

ऐसी ही अनगिन लंठई भरी कविताओं के साथ कभी कभार जोरदार व्यंग्य भी सुनने को मिल रहे थे। जिसे सुनकर दर्शकों की खुशी का पारा अचानक से कम हो जा रहा था। वैसे जितने भी कवि आये थे सभी बड़े-बड़े थे और उन्हें अच्छी तरह मालूम था कि कहाँ क्या सुनाया जाना चाहिए। और भी बहुत सी बातें हैं जिन्हे लिख कर आप को झेलाया जा सकता है मगर मेरी समझ में नहीं आ रहा है कि लिखूं तो क्या लिखूं। विश्वकप में भारत की जीत अलग ही उचक मचा रही है लिखने के लिए। बहुत से विद्वान ब्लॉगर जो क्रिकेट कभी नहीं देखते मगर उन्होंने भी बच्चों की खुशी के लिए पूरा मैच देखा और एक अच्छी पोस्ट लिख डाली। इसे कहते हैं आम के आम गुठलियों के दाम। मजे भी लो और विद्वान भी बन जाओ। एक मैं मूरख सोच में पड़ा हूँ कि किस विषय पर लिखूँ !

लगता है आज कुछ खास रविवार है। बड़े आनंद का दिन है। हर तरफ खुशियाँ बिखरी हैं। घर में बिजली भी है पानी भी। निर्मला भी सही समय पर आ कर झाड़ू-पोछा कर रही है। श्रीमती जी भी बड़ी प्रसन्न हैं। हवा के झोंके से कुछ टिकोरे आंगन में झड़ गये हैं। चटनी की खुशबू सुबह से आ रही है। मोर उड़ कर अभी-अभी गया है। चिड़िया चह चहा रही हैं। अमूमन छुट्टियों में भोजन का समय 9 के बजाय 12 शिफ्ट हो जाता है। बच्चे भी समझदार हैं। 8 बजते-बजते कोई न कोई धीरे से कुछ न कुछ नाश्ते की डिमांड रख ही देता है..पापा जिलेबी ! या कुछ और। जानते हैं कि मैं इनकार नहीं करूँगा। श्रीमती जी पिच तैयार करना और बच्चे बैटिंग करना खूब जानते हैं। चूक में या सबकी खुशी के लिए बोल्ड होना ही पड़ता है। मगर आज का दिन ही बड़ा गज़ब का है। किसी ने नाश्ते की डिमांड नहीं करी ! लैपटॉप छोड़कर बच्चों से पूछ बैठा...क्या बात है भई ! आज कुछ नाश्त-वाश्ता नहीं किया तुम लोगों ने ? तीनो बच्चे उम्र के हिसाब से समवेत चहकने लगे....आप को भूख लग गई क्या ? लैपटॉप कैसे छोड़ दिये ! हम ले लें क्या ? आपको पिछले संडे की तरह आज भी ऑफिस जाना है क्या ? तब तक छोटका दौड़ा....ठीक है हम ले लेते हैं लैपटॉप... थैक्यू पापा ! मुझे पूरी दुनियाँ लुटती नज़र आई जोर से चीखा...अरे नहीं...मुझे कहीं नहीं जाना । मेरे लैपटॉप को हाथ मत लगाना।….खबरदार। तब तक श्रीमती जी चहकीं...भूख लगी हो तो भोजन तैयार है। मैं सातवें आसमान से गिरा इतनी जल्दी सुबह 9 बजे ही रविवार के दिन भोजन तैयार है ! क्या गज़ब चमत्कार है ! अभी तक मैने कुछ लिखा ही नहीं ! बच्चे चीखे...अरे आज टीवी पर फिल्म आयेगी न इसीलिए....तभी दरवाजे पर किसी के आने की आहट सुनाई पड़ी। पंडित जी...चलना नहीं है क्या ? कहाँ…? अरे आज सड़क निर्माण का उद्घाटन करने के लिए नेता जी आ रहे हैं ना...! धत्त तेरे की मैं तो भूल ही गया। ठीक है आप लोग चलिए मैं नहा धोकर आता हूँ। अभी तक नहाये नहीं...! आप भी गज़ब करते हैं...! पहले से बता दिया था तब भी....ठीक है जल्दी आइये।

भाड़ में जाये ब्लॉगिंग...! सड़क बन रही है यह कम खुशी की बात है ! विगत दस वर्षों से तो इसी का सपना देख रहे थे। क्या पता था कि अपनी सड़क पर काम तभी चालू होगा जब भारत वर्ल्ड कप जीत लेगा !

सड़क निर्माण के उद्घाटन की राजनीति पूर्ण हो चुकी है। खा-पी कर लैपटॉप खोला तो गहरी नींद आ गई। जागा तो सोचा वही लिखूँ जो आज सोच रहा था। कल से नव संवत्सर 2068 प्रारंभ हो रहा है। भारत की मान प्रतिष्ठा में वृद्धि का योग पहले से ही दिख रहा है। स्वागत की तैयारी करनी है मगर यह क्या ! बाहर तो बारिश के साथ ओले भी पड़ रहे हैं ! शाम से पहले मौसस कैसे अचानक से बदल गया ! आप के शहर में क्या हाल है ? सब ठीक तो है ! सभी को नव वर्ष की ढेरों शुभकामनाएँ....नमस्कार।

मूर्ख सम्मेलन के चित्र / समाचार यहाँ देख सकते हैं...... http://compact.amarujala.com/city/8-1-9756.html

28 comments:

  1. वाह देवेन्द्र जी ...पुरे वनारस की हवा चला दिए ! मजा आ गया 1 मेरे पीछे टी.वि. आन है ..गाना आ रहा है ..सैया आज ..जगाये रहें ...वह भी महुआ चैनल पर ! आप को बहुत - बहुत नए वर्ष की शुभकामनाएं

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  2. बधाई व नवसंवत्सर की ढेरों सुभकामनाएँ

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  3. नवसंवत्सर २०६८ की हार्दिक शुभकामनाएँ|

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  4. हर नो बाल पर फ्रीहिट, कोई रिव्यू भी नहीं, यही शादी है।

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  5. बधाईयां बहुत सारी आपको, देवेन्द्र भाई। और अब एक बधाई मुझे भी दे ही डालिये, सड़क ठीक हो गई है न बनारस की:))

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  6. @संजय...
    अभी कहाँ गुरू
    काम तो हो शुरू
    अभी तो अपनी कॉलोनी के सड़क निर्माण का सिर्फ उद्घाटन हुआ है। पूरा बनारस की सड़कें खस्ताहाल हैं।
    हमरी न मानो रंगरेजवा से पूछो....

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  7. सूखे टहनी पर गुलाब आ रहे हैं
    आखों में मोतिया बिंद है
    फिर भी ख्वाब आ रहे हैं
    जवानी में जो भेजे थे इन्होने खत
    बुढ़ौती में अब उसके जवाब आ रहे हैं।

    वाह वाह!

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  8. अच्छी रही यह गप शप ।

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  9. ईश्वर से कामना है कि आपकी सड़क जल्दी बने :-))
    हमें भी मोतियाबिंद के बावजूद क्या क्या ख्वाब आते हैं देवेन्द्र भाई ! :-(

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  10. यादें बधाइयाँ शुभकामनाएं सभी एक साथ. यादें रख लीं हैं और लेख पढ़ कर जो आनंद आया वो भी मेरे साथ ही है. बधाइयाँ और शुभकामनायें द्विगुणित रूप में वापस. प्रणाम सहित स्वीकार करें.

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  11. Nav warsh kee anek shubh kaamnayen!

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  12. महामूर्ख सम्मेलन के बारे में पढ़कर आनंद आ गया।

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  13. आपको भी बहुत बहुत शुभकामनाएं.

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  14. आपको भी बधाइयाँ ...... नवसंवत्सर की शुभकामनाएं

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  15. सही कह रहे हैं......नवसंवत्सर की शुभकामनाएं

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  16. मुझे बताया गया नरकोन्मुख हैं बनारस की सड़कें। पता नहीं सीवेज लाइन का काम कुछ सिमटा या वैसे ही बिखरा है जैसा चार साल पहले था, जब मैने बनारस छोड़ा।

    खैर वही छूत इलाहाबाद को भी लग गई है!

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  17. पूरा खुला लेखन हुआ आज का ..
    आप भी !! कही जगहों पर फ्री हिट की आस जगा दी होगी -
    कोई तो लगाए! नाम गिनाऊँ क्या ?
    अब जरा दूसरी संभावना भी तो देखिये ...
    अगर बाल्स गुड लेंक्थ हो तो ?

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  18. देव बाबू,

    शानदार लिखे हैं.....सड़के तो जी सारे यू पी की ही ऐसी है बस अपने हाल पर आंसू बहती हुई.....आपका संडे मस्त था भाई ... इश्वर ऐसा संडे सबको दे......आमीन :-)

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  19. नो बॉल भी और फ्री हिट भी। फिर भी फिट ।

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  20. भाड़ में जाये ब्लॉगिंग...! सड़क बन रही है यह कम खुशी की बात है !...

    वाह... क्या बात है...टॉस जरूरी है कि सड़क बड़ी या ब्लॉगिंग...!
    नवसंवत्सर २०६८ की हार्दिक शुभकामनाएँ|

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  21. मज़ा आ गया देवेन्द्र जी ... सभी बधाई एकसाथ कबूल करें आप ... हिन्दू नवसंवत्सर २०६८ की हार्दिक शुभकामनाएँ ...

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  22. सरकारी दफतर बना डाला आपने .... जवानी के खतों का जवाब वर्षों बाद ? ....वैसे देर आयद, दुरुस्त आयद ।

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  23. नये साल की शुभकामनाएं.नये साल में आपकी इछ्छ्याएं पूरी हों.
    मुर्ख सम्मलेन में मुझे भी आपके साथ जाने का मन कर आया आपका चित्रण पढकर,लगता है वाकई मजेदार होता है.

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  24. नवसंवत्सर की हार्दिक शुभकामनाएँ...

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  25. अच्छा लेखन......नवसंवत्सर की शुभकामनाएं...

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  26. दोनों कवितायें मस्त हैं :)

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