26.9.18

लोहे का घर-49

तेरा घर
खूब बड़ा होगा,
मेरा घर
खूब लंबा है।

तेरे घर की खिड़की का
आकार बड़ा होगा,
मेरे घर की खिड़की का
आकाश बड़ा है।

तेरे दृश्यों की 
इक सीमा होगी
मेरे दृश्य
पल-पल बदलते रहते हैं।

तेरा घर
थिर, जड़ सा
मेरा घर
नित चंचल, चेतन है।

मेरे घर में
अंधे, लूले, लंगड़े
भिखारी रहते हैं
छोटे-छोटे
व्योपारी रहते हैं
हर साइज के बच्चे,
स्त्री, पुरुष,
हिजड़े भी रहते हैं।

तेरा घर
पटरी से उतरता भी होगा
मेरा घर हरदम
पटरी पर चलता है
तेरे घर में
तेरा परिवार ही 
रहता होगा
मेरे घर में
पूरा भारत रहता है।
........

9 comments:

  1. इस घर में पूरा हिंदुस्तान रहता है...
    वाकई!

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  2. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 27.9.18 को चर्चा मंच पर चर्चा - 3107 में दिया जाएगा

    धन्यवाद

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  3. बहुत सुन्दर

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  4. सच है रेलयात्रा में लघु भारत साथ साथ चलता है ....

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  5. बहुत सुन्दर सृजन ।

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  6. Dear Students, Faculty member, and other participants of Nptel Exam Pattern. We should provide verified information of latest Nptel Exam pattern

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