20.4.19

बनारस की गलियाँ-4 (प्रभु दर्शन)

सोम से रवि तक
अलग-अलग
सभी भगवानों के दिन निर्धारित हैं।

जब हम छोटे थे
जाते थे समय निकाल
निर्धारित वार
निर्धारित भगवान के दरबार

सोमवार-विश्वनाथ जी,
मंगलवार-संकटमोचन,
बुद्धवार-बड़ा गणेश,
बी वार-बृहस्पति भगवान,
शुक्रवार-संकठा जी,
शनिवार-शनिदेव,
रविवार-काशी के कोतवाल, भैरोनाथ के मंदिर।

कहना न होगा
इस तरह
भगवान के दर्शन करने में
रोज खाते थे
भीड़ का धक्का!

धक्के खाते-खाते एक दिन
भगवान जी ने ही बुद्धि दी..
भक्त!
रोज भीड़ में
क्यों लाइन लगाते हो?
खाली समय आया करो
मेरे दर्शन
आराम से पाया करो
मुझे भी अच्छा लगेगा,
तुम्हारा भी
कीमती समय बचेगा।

बस,
फिर क्या था!
मैने
मन्दिर जाने का क्रम बदल दिया
जो दिन
जिस मन्दिर के लिए निर्धारित था,
उस दिन
उस मंदिर में जाना छोड़ दिया!

अब रोज
आराम-आराम से
भगवान जी के दर्शन होने लगे
हम भगवान जी से और...
भगवान जी
हमसे खुश रहने लगे।

सोचता हूँ
यही आइडिया
आधुनिक भगवान जी पर लागू करूँ
जब वे
कुर्सी पर विराजमान न हों
उनके दर्शन
कर लिया करूँ
जैसे-जैसे
उनके दिन फिरेंगे
वैसे-वैसे
वे हम पर भी
कृपा करेंगे
प्राचीन भगवान जी के दिन
भले कभी न बदलें
आधुनिक भगवान जी के दिन
बदलते रहेंगे
कोई भक्त
हमेशा किसी एक से
कभी सन्तुष्ट
रह नहीं सकता।
...................

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