15.9.19

बारिश

आज बादल घिर रहे हैं
खूब  बारिश हो रही है
शाम तक सूखा था मौसम
रात बारिश हो रही है।

एक घर था हमारा
गङ्गा किनारे, संकरी गलियाँ
तल का कमरा राम जी का
मध्य में माता पिता थे
छत में था एक कमरा
जिसमें रहते पाँच भाई
और इक छोटी बहन भी
जब भी होती तेज बारिश
काँपता था दिल सभी का
ज्यों टपकता छत से पानी
खींच लेते आगे चौकी
बौछार आती खिड़कियों से
खींच लेते पीछे चौकी
तेज होती और बारिश
छत टपकता बीच से भी
अब कहाँ जाते बताओ?
इधर जाते, उधर जाते
भीगकर पुस्तक बचाते

फिर ये बादल घिर रहे हैं
खूब  बारिश हो रही है
शाम तक सूखा था मौसम
रात बारिश हो रही है।

है यहाँ लाचार बारिश
मजबूत है अपना ठिकाना
वातानुकूलित कोठरी है
है असम्भव छू के जाना

मन मगर बेचैन मेरा
घिर रहा यादों का डेरा
तेज होती और बारिश
याद आता घर वो मेरा

हम नहीं रहते वहाँ पर
घर मगर वैसे बहुत हैं
निश्चिंत हैं हम बारिशों से
काँपने वाले बहुत हैं

काश!सबके पक्के घर हों
काश सब खुशियाँ मनाएँ
घिर के आए जब बदरिया
नाचें, कूदें, झूमें, गाएँ।

आज बादल घिर रहे हैं
खूब  बारिश हो रही है
शाम तक सूखा था मौसम
रात बारिश हो रही है।
...........................


4 comments:

  1. भिगो दिया कविता ने...

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (17-09-2019) को     "मोदी का अवतार"    (चर्चा अंक- 3461) (चर्चा अंक- 3454)  पर भी होगी।--
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  3. सुंदर और भावपूर्ण कविता।

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  4. Excellent article. Very interesting to read. I really love to read such a nice article. Thanks! keep rocking.
    Satta King Result

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