14.6.20

जब भी मिलता है सम्मान...

जब भी
मिलता है सम्मान
कहता
भीतर का इंसान
तूने
रूप बनाया है!
तूने
झूठ सुनाया है!
दिल में खंजर रख कर सबको
गले लगाया है।

जब भी मिलता है सम्मान.....

तेरा
होता है सब काम
बाबू
करते सभी सलाम
तूने
चाय पिलाया है
तूने
पान खिलाया है
सूटकेस में गड्डी भर-भर,
घर पहुँचाया है।

जब भी मिलता है सम्मान....

तेरा
जगमग है दिनमान
चाहे
डगमग हिंदुस्तान
मंदी में भी तेरी चउचक
चलती है दुकान!

जब भी मिलता है सम्मान....

तूने
ग़दर मचाया है
तूने
शहर जलाया है
धर्म, जाति के नाम पे सबको
खूब लड़ाया है।

जब भी मिलता है सम्मान.....
....@देवेन्द्र पाण्डेय।

5 comments:

  1. हा हा बहुत खूब
    सम्मानितों को
    मिलता रहे सम्मान
    इतना जुगाड़ लगाया है
    सारा जीवन लगाया है :)

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  2. भीतर का इंसान तो कहता रहता है पर आदमी सुनना नहीं चाहता

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  3. सच्ची बात, खरी बात !

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  4. बहुत बढ़िया

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  5. प्रकृति की शुद्ध हवा पर समर्पित कविता, उम्मीद है आप सब को पसंद आएगी

    https://helphindime.in/hindi-kavita-ek-savera-aur-thandi-hawa/

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