3.11.22

डेंगू 2

एक डेंगू मच्छर बहुत परेशान था। सार्वजनिक शौचालयों में साफ सफाई के लिए तेजाब का छिड़काव हो रहा था। अपनी जान बचाने के लिए उसे बगल की गली के किनारे धरे एक प्लास्टिक के डिब्बे के साफ पानी की शरण लेनी पड़ी। 


मनुष्यों का खून मिलने की संभावना यहाँ भी थी। सभी भद्र पुरुष मूत्र त्याग करने के लिए शौचालयों में जाना पसंद नहीं करते। उनका मानना है कि सार्वजनिक शौचालयों में बहुत गंदगी/मच्छर रहते हैं। वे गली के किनारे किसी ऐसे साफ जगह की तलाश करते हैं जो सार्वजनिक शौचालयों से साफ हो। डेंगू मच्छर ऐसे ही किसी भद्र पुरुष की तलाश में था लेकिन यहाँ अब तक जितने भी आए सब जीन्स का पैंट और मोजा-जूता पहने हुए आए। उनके मुँह खुले थे लेकिन डेंगू मच्छर, चेहरे की ऊँचाई तक नहीं पहुँच पा रहा था।


कैसे काटूँ? यह सोच ही रहा था, एक भद्रपुरुष दिख गया लेकिन यह भी मोटे जीन्स का पैंट, मोजा-जूता और तो और हाथों में दस्ताने भी पहने हुए था। इस बार मच्छर से सहन नहीं हुआ! भद्र पुरूष ने जैसे ही पेशाब करना शुरू किया उसने हिम्मत कर के, उसी स्थान को लक्ष्य बनाकर काट ही लिया! मनुष्य को थोड़ी चुभन हुई लेकिन बिना कुछ समझे, चेन बन्द कर, खुजाता हुआ आगे बढ़ गया। इस तरह डेंगू मच्छर की प्यास बुझी। 

...@देवेन्द्र पाण्डेय।

1 comment:

  1. अरे कुछ मच्छर तो ऐसे भी है जिन्हे पैसे की प्यास है प्लेटलेट्स ना भी हो तो मौसम्मी का जूस ही चढ़ा देते है।

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